लगभग 100 साल पहले पृथ्वी पर 50% जंगल होते थे जो अब 10% से भी कम — रमेश गोयल

लगभग 100 साल पहले पृथ्वी पर 50% जंगल होते थे जो अब 10% से भी कम — रमेश गोयल

5 जून विश्व पर्यावरण दिवस है और पर्यावरण सुरक्षा के लिए एक संकल्प करने का महत्वपूर्ण समय क्योंकि वर्तमान समय में चल रही वैश्विक महामारी पर्यावरण अशुद्धि के कारण ही पनप रही है। कारण बड़ा स्पष्ट है कि अब से लगभग 100 साल पहले पृथ्वी पर 50% जंगल होते थे जो अब 10% से भी कम हो गए हैं। बढ़ती जनसंख्या और आधुनिकता व विकास के नाम पर काटे जा रहे जंगल तथा बढ़ता हुआ प्रदूषण पर्यावरण के लिए सर्वाधिक घातक है।

दिन विशेष पर इस बात के चिंतन की चर्चा करते हुए पर्यावरण प्रेरणा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय पर्यावरण प्रमुख जल स्टार रमेश गोयल ने कहा है कि हम उसके अच्छे या बुरे प्रभाव पर विचारें और उसके अनुसार अपनी दिनचर्या को ढालें ।

निश्चित रूप से वृक्षारोपण अनेक संस्थाएं करती हैं । नियमित देखभाल ना होने के कारण पौधारोपण मात्र औपचारिकता रह जाता है और वृक्ष नहीं बन पाते। ऐसे में हमारा यह कर्तव्य है कि हम लॉक डाउन के अपने अनुभव को प्रकृति के प्रति सम्मान और श्रद्धा से जोड़ें और प्रकृति की रक्षा करने का संकल्प करें।

अनेक पार्कों में पत्तों व घास के कचरे को जला दिया जाता है जिसके कारण पार्क में सैर करने आने वाले लोगों को शुद्ध वायु के स्थान पर प्रदूषित वायु मिलती है और साथ ही बिना किसी खर्च के खाद बनाने वाले एक पदार्थ को नष्ट कर दिया जाता है।

ऐसा करने वाले लोगों को यह ध्यान रखना चाहिए कि वे वायु प्रदूषण ही नहीं फैला रहे बल्कि प्रकृतिे, देश और समाज हित के विपरीत कार्य कर रहे हैं। इसी प्रकार से हमारे सफाई कर्मचारी जो लाकडाउन की अवधि में भी निरंतर कार्य करते रहे प्रशंसा के पात्र हैं वही उन्हीं में से कुछ लोग प्रतिदिन कूड़ा एकत्रित करके नियत स्थान पर पहुंचाने की बजाय जला देते हैं।

एक बड़े हस्पताल के मुख्य द्वार के सामने ऐसा प्रतिदिन बहुत समय से हो रहा है जिसकी जानकारी प्रशासन को देने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं होती है। ऐसे सफाई कर्मचारी केवल समाज और देश के लिए नहीं अपने लिए भी जहर का उत्पादन करते हैं।

विश्व पर्यावरण दिवस पर उन्होंने सभी देशवासियों से आग्रह किया है कि संभव हो तो एक फलदार या छायादार वृक्ष का पौधारोपण आज से लेकर 7 जुलाई तक कभी भी अवश्य करें और उसकी नियमित देखभाल भी 6 माह तक करें।

उन्होंने जन सामान्य से अपील की है कि यदि खुले में कूड़ा डालना, कचरे में आग लगाना, जगह जगह थूकना, जल ऊर्जा बर्बाद करना बंद कर दें तब भी पर्यावरण के लिए उनका सहयोग अभिनंदनीय होगा और यह एक अति साधारण कार्य है। उन्होंने सभी से विनम्र अपील की है की विश्व पर्यावरण दिवस पर छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर प्रदूषण फैलाने से बचें और बचाएं ताकि बीमारी तथा महामारी न फैलने पाये।

Related post

यह इत्र सबसे महँगा

यह इत्र सबसे महँगा

अतुल मलिकराम ——फूलों का स्वभाव होता है खुद के साथ ही साथ अपने आसपास के वातावरण…
ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण भीषण गर्मी से जूझ रहे दो अरब लोग: रिपोर्ट

ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण भीषण गर्मी से जूझ रहे दो अरब लोग: रिपोर्ट

लखनऊ (निशांत सक्सेना ) : एक नई रिपोर्ट के अनुसार, जून से अगस्त 2024 के बीच,…

Leave a Reply