- March 16, 2017
रेल किराया तय करने के लिए स्वतंत्र नियामक
(बिजनेस स्टैंडर्ड) केंद्र सरकार रेल किराया तय करने के लिए एक स्वतंत्र नियामक बनाने जा रही है और इसके लिए संसद के अगले सत्र में एक विधेयक पेश कर सकती है। मोदी सरकार इससे पहले रेल बजट का सालाना आम बजट में विलय करने का ऐतिहासिक कदम उठा चुकी है। इस घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले कई सूत्रों ने बताया कि मोदी सरकार रेलवे के शुल्क प्राधिकरण को न्यायिक अधिकार देना चाहती है।
रेलवे के वित्तीय आयुक्त बी बी वर्मा ने इसकी पुष्टिï कर दी। उन्होंने कहा, ‘रेलवे में तत्काल किराया बढ़ाए जाने का कोई प्रस्ताव नहीं है। हम एक शुल्क प्राधिरकण स्थापित करने की प्रक्रिया में है और जल्द ही इस संबंध में संसद में एक विधेयक पेश किया जा सकता है।’
रेल किराया तय करने के लिए एक स्वतंत्र नियामक के गठन का प्रस्ताव सबसे पहले 2001 में राकेश मोहन समिति ने दिया था। विवेक देवराय समिति ने वर्ष 2014 में फिर से इस पर चर्चा शुरू की थी। यह पहल ऐसे में हुई है जब यात्री खंड से रेलवे का घाटा 2015-16 में 30,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है।
लागत में बढ़ोतरी और पिछले कुछ सालों से किराया नहीं बढऩे से रेलवे की वित्तीय हालत बदतर हुई है। भाजपा के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय गठबंधन सरकार (राजग) रेलवे को फिर से पटरी पर लाने और इसे विश्वस्तरीय बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही है।
देवराय समिति की सिफारिश के बाद मोदी सरकार ने पिछले 92 साल से चली आ रही परंपरा खत्म करते हुए रेल बजट का आम बजट में विलय कर दिया था। वर्ष 1924 में रेलवे के लिए पृथक बजट पेश करने की परंपरा शुरू हुई थी। ब्रिटिश रेलवे के अर्थशास्त्री विलियम एकवर्थ की अगुआई वाले पैनल ने 1920-21 में रेल बजट को अलग करने की सिफारिश की थी।
मोदी सरकार ने इसका आम बजट के साथ विलय कर दिया। वित्त वर्ष 2017-18 के लिए एक फरवरी को संसद में पेश आम बजट में वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रेलवे के लिए पूंजीगत व्यय का लक्ष्य 1,31,000 करोड़ रुपये रखा है।
इनमें 55,000 करोड़ रुपये सरकारी मदद के तौर पर आएंगे। पिछले साल जनवरी में रेलवे के संकल्पना पत्र के अनुसार प्रस्तावित रेलवे नियामक के चार उत्तरदायित्व होंगे जिनमें शुल्क तय करना, रेलवे में निजी निवेश के लिए समान अवसर सृजित करना, क्षमता और प्रदर्शन मानकों का निर्धारण और सूचनाओं का प्रवाह शामिल हैं। नियामक में चेयरमैन के अलावा चार सदस्य होंगे, जिन्हें रेलवे, ढांचागत क्षेत्र, वित्त, कानून, प्रबंधन और उपभोक्ता मामलों की जानकारी होगी।
इस समय ब्रिटेन, रूस, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी में रेलवे में किसी न किसी रूप में एक नियामक का प्रावधान है। नियामक पर उपभोक्ता का हित सुरक्षित रखने, सेवा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने, प्रतिस्पद्र्धा को बढ़ावा देने, बाजार का विकास करने, संसाधनों का सक्षम तरीके से आवंटन आदि उत्तरदायित्व होंगे। साथ ही रेलवे की सेवाओं की गुणवत्ता, निरंतरता और विश्वसनीयता की जिम्मेदारी भी इसी नियामक की होगी।