- November 3, 2015
रूसी कंपनी सिस्तेमा श्याम का रिलायंस कम्युनिकेशंस में विलय
महीनों तक चली बातचीत के बाद आखिरकार रिलायंस कम्युनिकेशंस (आर कॉम) और सिस्तेमा श्याम की बात बन ही गई। दोनों के बीच सौदे के तहत रूसी कंपनी सिस्तेमा की भारतीय इकाई सिस्तेमा श्याम का रिलायंस कम्युनिकेशंस में विलय होगा। यह पूरा सौदा शेयरों की अदला-बदली के जरिये अंजाम दिया जाएगा। यह कवायद पूरी होने के बाद सिस्तेमा को आर कॉम में 10 फीसदी हिस्सेदारी हासिल हो जाएगी। सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज एमटीएस ब्रांड के तहत भारत में डेटा सेवाएं मुहैया कराती है। शेयरों में होने वाला यह सौदा दूरसंचार क्षेत्र में एकीकरण की शुरुआत का संकेत है, जहां कई छोटे खिलाड़ी मैदान छोड़कर निकल सकते हैं।
इस सौदे से आर कॉम को 18 वर्षों के लिए स्पेक्ट्रम सुलभ होगा। इस लिहाज से यह सौदा रिलायंस कम्युनिकेशंस के लिए बेहद अहम है क्योंकि इससे कंपनी को नई जान मिलेगी। 800 मेगाहट्र्ज में आर कॉम के स्पेक्ट्रम की वैधता 2021 में समाप्त हो जाएगी। लेकिन इस सौदे से 800/850 मेगाहट्र्ज बैंड में आर कॉम को 2033 तक स्पेक्ट्रम मिलता रहेगा। जिन सर्किलों में ये स्पेक्ट्रम मिलेगा, उनमें दिल्ली, गुजरात, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल, कोलकाता, उत्तर प्रदेश (पश्चिम) और पश्चिम बंगाल जैसे बेहद कमाऊ सर्किल शामिल हैं। इस सौदे से आर कॉम को तकरीबन 90 लाख ग्राहक और 1,500 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा।
मूल्यवान स्पेक्ट्रम आसानी से मिलने पर आर कॉम की चिंता दूर होंगी क्योंकि उसे 800/850 मेगाहट्र्ज बैंड में एसएसटीएल का उच्चस्तरीय स्पेक्ट्रम हासिल होगा, जो आदर्श रूप से 4जी एलटीई सेवाओं के ज्यादा अनुकूल है। अतिरिक्त स्पेक्ट्रम से आर कॉम को राष्ट्रीय स्तर पर पैठ बढ़ाने में भी मदद मिलेगी। रिलायंस कम्युनिकेशंस में कंज्यूमर बिजनेस के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी गुरदीप सिंह ने बताया, ‘रिलायंस कम्युनिकेशंस में महत्त्वपूर्ण अंशभागी और साझेदार के तौर सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज लिमिटेड का स्वागत करते हुए हमें बेहद खुशी हो रही है। हमें इस बात की खुशी है कि 800-850 मेगाहट्र्ज बैंड में एसएसटीएल के मूल्यवान स्पेटक्ट्रम के जुडऩे से आर कॉम के स्पेक्ट्रम पोर्टफोलियो को मजबूती मिलेगी और इसके जरिये हमें वर्ष 2033 तक 8 अहम सर्किलों में अपने उपभोक्ताओं को विश्वस्तरीय 4जी एलटीई सेवाएं मुहैया कराने में मदद मिलेगी।’
आर कॉम के लिए यह सौदा बेहद फायदेमंद नजर आ रहा है क्योंकि इसमें उसे सिर्फ केंद्र सरकार को स्पेक्ट्रम शुल्क के तौर पर हर साल 392 करोड़ रुपये चुकाने होंगे। अगले दस वर्षों तक आर कॉम को इसका भुगतान करना होगा। इसके बदले में सिस्तेमा जेएसएफसी को आर कॉम में 10 फीसदी हिस्सेदारी मिलेगी। सौदा पूरा होने के बाद सिस्तेमा को रणनीतिक निवेशक की भूमिका मिलेगी और उसे निदेशक मंडल में जगह या वीटो का अधिकार नहीं मिलेगा। इस सौदे को सरकार से अनुमति मिल जाने पर आरकॉम के मौजूदा दूरसंचार सर्किल में से करीब आधे में उसकी भविष्य की चिंता दूर हो जाएगी। इनमें से ज्यादातर में उसका लाइसेंस अगले कुछ साल में समाप्त हो रहा है।
सिस्तेमा के प्रेसिडेंट और सीईओ मिखाइल शामोलिन ने बताया, ‘हम इसे लेकर आश्वस्त हैं कि रणनीतिक निवेशक के रूप में आर कॉम की इक्विटी पूंजी में एसएसटीएल के प्रवेश से बनने वाली कंपनी की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ेगी और इससे ग्राहकों को भारत में एलटीई तकनीक के तेज विस्तार से बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इसके अलावा, हम मानते हैं कि यह सौदा पूरा होने के बाद रूस और भारत के बीच बढ़ते कारोबारी संबंधों की मिसाल बनेगा और दोनों देशों के बीच और निवेश को
प्रोत्साहित करेगा।’