- November 17, 2015
राष्ट्रीय प्रेस दिवस : कार्टून एवं व्यंग्य चित्र: अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम
सीधी (विजय सिंह)- राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर जिला जनसम्पर्क कार्यालय सीधी के संयोजन में विचारों की अभिव्यक्ति के माध्यम के रूप में कार्टूनों एवं व्यंग चित्रों का प्रभाव व महत्व विषय पर पत्रकारों की गोष्ठी का आयोजन किया गया।
वरिष्ठ पत्रकार के.पी. श्रीवास्तव ने संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि कार्टूनिष्टों द्वारा समाचार पत्रों के माध्यम से बहुत बड़ी बात को संक्षिप्त संकेत के माध्यम से कह दिया जाता है। कार्टून एवं व्यंग्य चित्र विचार अभिव्यक्ति का बहुत सशक्त माध्यम है। समाचारपत्रों में पाठकों का यह पसंदीदा कालम होता है।
पाठक समाचारपत्र पढ़ने के पूर्व निर्धारित स्थान में प्रकाशित कार्टून को सबसे पहले देखकर उसे समझता था। इसी प्रकार व्यंग्य कार अपने व्यंगों के माध्यम से चयनित विषयों को बहुत ही सरलतम शब्दों में व्यक्त कर देता था जिसे साधारण पाठक भी समझ जाते थे।
गोष्ठी में दैनिक समय के स्थानीय सम्पादक श्रीधर पति त्रिपाठी, स्टार समाचारपत्र के ब्यूरो चीफ बृजेश पाठक, नवभारत के ब्यूरो चीफ आदित्य सिंह, दैनिक भास्कर के संवाददाता अमित सिंह, पत्रकार अजय पाण्डे, प्रसार भारती के संवाददाता स्तुति मिश्रा, पत्रिका के संवाददाता ओ0पी0 पाठक, सिटी चैनल के सम्वाददाता धर्मेन्द्र सोनी, साप्ताहिक समाचारपत्र की सह संपादक श्रीमती मंटोरैक वार, पत्रकार अजय सिंह, अरविन्द वेदान्ती, राहुल वर्मा सहित पत्रकारगण उपस्थित थे।
स्वतंत्र पत्रकार विजय सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाचारपत्र के कोने में प्रकाशित कार्टून उस दिन के समाचार का सरांश है। उन्होंने कहा कि यह अभिव्यक्ति का इतना सशक्त माध्यम है कि यह पाठकों को उव्देलित कर देता है।
उन्होंने कहा कि कई बार प्रसिद्ध कार्टूनिष्टों ने देश की ज्वलन्त समस्याओं को कार्टून के माध्यम से बड़े सशक्त रूप में दिखाया जिसे देखकर पाठकों को झकझोर दिया।कार्टून और व्यंग पत्रकारिता का गूढ़ विषय है।
पत्रकार वीरेन्द्र सिंह परिहार ने अपने विचारव्यक्त करते हुए कहा कि जब से समाचारपत्रों का प्रचलन प्रारंभ हुआ है तभी से कार्टून एवं व्यंग्य चित्रों ने समाचारपत्र में अपना महत्वपूर्ण स्थान सुनिश्चित कर लिया है। समाचारपत्र में एक निर्धारित स्थान पर कार्टून और व्यंग्य चित्र प्रकाशित होने से पाठक अपने पसंदीदा कार्टूनों को सबसे पहले देखने से नहीं चूकते थे। उन्होंने कहा कि कार्टून के वजह से ही आर.के.लक्ष्मण और शरद जोशी को पूरे राष्ट्र में प्रसिद्धि मिली है।
दैनिकजागरण के ब्यूरो चीफ रामबिहारी पाण्डेय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि समाचारपत्रों में कार्टून एवं व्यंग्य चित्रों को विचारों की मूक अभिव्यक्ति का सशक्त माध्यम कहा जा सकता है। उन्होंने कहा कि 16 नवम्बर 1966 में पहली बार भारतीय प्रेस परिसर का गठन किया गया। इसीलिए प्रत्येक वर्ष 16 नवम्बर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के रूप में मनाया जाता है।
समाचारपत्रों में कार्टून एवं व्यंग चित्रों के माध्यम से अपने विचार व्यक्त करना एक सशक्त माध्यम है। देश में 1946 में इलेक्ट्रानिक मीडिया की स्थापना की गई। इस समय इलेक्ट्रानिक मीडिया में भी कार्टून दिखाए जाने प्रारंभ हो गए हैं। ई टी.वी० में 15 से 20 मिनट का कार्टून चलाया जाता है। यह दर्शकों के बीच काफी पसंदीदा विषय हो गया है।
स्वदेश के ब्यूरोचीफ नन्द लाल सिंह ने कहा कि कार्टून और व्यंग्य चित्र समाचारपत्र की महती जरूरत बन गयी है कोई भी समाचारपत्र बिना काटॅून और व्यंग्य चित्र के प्रकाशित नहीं होता। आधुनिक युग में समाचारपत्र में प्रकाशितों ने वाले कार्टूनों एवं व्यग चित्रों का बहुत महत्व है। इसीलिये सभी समाचार पत्र में कार्टून एवं व्यंग्य चित्र प्रकाशित किये जाते है।
पत्रिका के ब्यूरो चीफ मनोज पाण्डेय ने कहा कि कार्टून और व्यंग्य चित्र समाचारपत्रों में कुछ शब्दों में विचार व्यक्त करने का सशक्त माध्यम बन चुके हैं। प्रत्येक पाठक का कार्टून एवं व्यंग्य चित्र पसंदीदा विषय है। कार्टून इतने सशक्त होते हैं कि कभी-कभी पाठक उद्वेलित हो जाता है और उस दिन सोचने पर मजबूर हो जाता है। यह विषय भी अत्यंन्त महत्वपूर्ण है।
हीरावती न्यूज के पुजेरी लाल मिश्रा ने कहा कि कार्टून समाज का आइना है और गूढ से गूढ विषय को भी कार्टून के माध्यम से सरलतम तरीके से व्यक्त किया जाता है। समाचारपत्रों में जो महत्व संपादकीय कालम का है वही महत्व कार्टून और व्यंग्य चित्रों का है।
स्वतंत्र पत्रकार
19, अर्जुननगर, सीधी