राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान 27, 28 फरवरी और 2 मार्च

राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान 27, 28 फरवरी और 2 मार्च

राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान 27, 28 फरवरी और 2 मार्च को आयोजित होगा। प्रदेश के 0 से 5 वर्ष आयु के एक करोड़ 11 लाख बच्चों को “दो बूंद जिंदगी की खुराक” दी जाएगी। अभियान की सभी तैयारियाँ पूरी कर ली गई हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 27 फरवरी को सुबह निवास से अभियान का शुभारंभ करेंगे।

डायरेक्टर एन.एच.एम. (टीकाकरण) डॉ. संतोष शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में वर्ष 2008 के बाद पोलियो का कोई प्रकरण प्रकाश में नहीं आया है। फिर भी पड़ोस के कुछ देशों में अभी भी पोलियो का वायरस सक्रिय है। यह वायरस कभी भी हमारे देश में पुनः प्रवेश कर सकता है। इसके लिये राष्ट्रीय पल्स पोलियो अभियान आयोजित किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पोलियो लाइलाज बीमारी है और बच्चों में अपंगता का सबसे बड़ा कारक है। आसपास के राष्ट्रों में वर्तमान में पोलियो बीमारी विद्यमान होने के कारण बच्चों की ’’डबल सुरक्षा’’ सुनिश्चित करने के लिये “दो बूंद जिंदगी की खुराक’’ के लिये प्रदेश में लक्षित समूह के बच्चों को पोलियो खुराक पिलाई जाएगी।

अभियान के प्रथम दिवस के लिये (पोलियो रविवार) 83 हजार 261 बूथ, 4,252 ट्रांजिट बूथ, 12 हजार 996 हाई रिस्क एरिया एवं माईग्रटरी बूथ बनाये गये हैं। इनमें 1 लाख 67 हजार 635 वैक्सीनेटर्स द्वारा पोलियो की खुराक पिलाई जायेगी। अभियान में 12 हजार 37 सुपरवाइजरों द्वारा बूथों की मॉनीटरिंग सुनिश्चित की जायेगी। अभियान के दूसरे एवं तीसरे दिन 82 हजार 35 टीमों द्वारा घरों का भ्रमण कर बच्चों को पोलियो की खुराक पिलाई जायेगी, जिससे एक भी घर एवं एक भी बच्चा पोलियो की खुराक से वंचित न रहे। पल्स पोलियो टीमें प्रातः 8 बजे से सायं 5 बजे तक प्रतिदिन कार्यरत रहेंगी।

प्रदेश में 1 करोड़ 39 लाख बी-ओपीवी वैक्सीन डोज, 1,266 कोल्ड चेन फोकल प्वाईंट तक पहुँचा दिये गये हैं। पल्स पोलियो टीमों का गठन कर ब्लॉक स्तर पर शत-प्रतिशत प्रशिक्षण पूर्ण कर लिया गया है।

महाशिवरात्रि पर्व को दृष्टिगत रखते हुये आयोजित मेला स्थलों पर पोलियो दवा पिलाने के लिये ट्रांजिट बूथ स्थापित किये गये हैं। साथ ही एक भी बच्चा दवा से वंचित न रहे, इसे ध्यान में रखते हुये नियमित टीकाकरण स्थलों, शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं, आँगनवाड़ी केन्द्रों के अतिरिक्त एयरपोर्ट, रेल्वे स्टेशन, बस स्टेशन, हाई रिस्क क्षेत्रों यथा- ईंट भट्टे, क्रेशर, निर्माण स्थल, घुमक्कड़ आबादी एवं झुग्गी बस्तियों में भी मोबाइल टीम की व्यवस्था की गई है।

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