- July 22, 2015
राज्य की स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित
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मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि जो शहर भारत सरकार की स्मार्ट सिटी परियोजना में प्रतियोगिता आधार पर शामिल होने से चूक जायेंगे उन्हें राज्य की स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित किया जायेगा। इन शहरों में भी केंद्र सरकार की स्मार्ट सिटी के समान ही सभी सुविधाएँ उपलब्ध होंगी। मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ मंत्रालय में स्मार्ट सिटी बनने की क्षमता रखने वाले शहरों के मूल्यांकन पर प्रस्तुतीकरण में उपस्थित महापौरों को संबोधित कर रहे थे।
उल्लेखनीय है कि देश में सौ स्मार्ट सिटी बनाने के लिये हर राज्य से प्रस्ताव भेजे जाना है। इसके लिये स्मार्ट सिटी बनने योग्य शहरों की क्षमता का आकलन भारत सरकार के निर्धारित मापदंड के आधार किया गया है। मध्यप्रदेश से सात शहर को चुना जाना है।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित महापौरों से कहा कि राज्य सरकार की सोच है कि हर शहर आदर्श शहर के रूप में विकसित किया जाये। इसके लिए सबको मिलकर मिशन के तौर पर प्रयास करना होंगे। राज्य सरकार की ओर से हर प्रकार का सहयोग और मार्गदर्शन उपलब्ध करवाया जायेगा।
श्री चौहान ने महापौरों से वित्तीय संसाधन बढ़ाने, राजस्व संग्रहण सुधारने और जन-सुविधाओं की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए काम करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि नगर निगमों में बढ़ते कार्य और गतिविधियों को देखते हुए आवश्यकतानुसार इंजीनियर स्टाफ उपलब्ध करवाने पर भी विचार किया जा रहा है।
श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले से ही ऐसी कार्य-योजनाएँ और परियोजनाएँ लागू कर दी हैं जो स्मार्ट सिटी बनाने में सहयोगी साबित होगी। इनमें जी.आई.एस. मेपिंग, ई- नगर निगम, सीवेज सिस्टम में सुधार, गरीबों के लिए आवास, अधोसंरचना विकास, जल प्रदाय जैसी परियोजनाएँ शामिल हैं।
ये हैं केन्द्र के मापदंड
बैठक में बताया गया कि भारत सरकार द्वारा निर्धारित मापदंड के आधार पर स्मार्ट सिटी बनने योग्य शहरों के मूल्यांकन पर विस्तार से चर्चा करने के बाद भारत सरकार को प्रस्ताव भेजा जा रहा है।
भारत सरकार ने स्मार्ट सिटी बनाने के जो मापदंड निर्धारित किये हैं उनमें स्वच्छ भारत अभियान में 2011 की जनसंख्या के हिसाब से शहरों में टायलेट निर्माण के कुल लक्ष्य का 10 प्रतिशत निर्माण, जनशिकायत निवारण व्यवस्था, मासिक ई-न्यूज लेटर का प्रकाशन, आनलाइन बजट खर्च की जानकारी, स्मार्ट सिटी बनाने के लिए संकल्प पारित किया जाना, वार्ड स्तरीय परामर्श, सेवाओं के प्रदाय में विलंब के लिए अर्थ दण्ड का प्रावधान, राजस्व संग्रहण की स्थिति, वेतन का भुगतान, लेखों का ऑडिट, जल-प्रदाय व्यवस्था के संधारण पर कुल बजट का खर्च, कुल बजट के मुकाबले राजस्व संग्रहण की स्थिति, आंतरिक राजस्व संसाधन का उपयोग करते हुए पूँजीगत व्यय और जो शहर जवाहरलाल नेहरू शहर पुनर्नवीकरण मिशन में शामिल किए गए थे उनमें प्रोजेक्ट निर्माण की स्थिति और स्थानीय स्तर पर सुधार की स्थिति शामिल हैं।
इन मापदंड पर प्रदेश के शहरों का मूल्यांकन किया गया है जिनमें भोपाल सबसे ऊपर, इंदौर दूसरे, जबलपुर तीसरे, ग्वालियर चौथे, सागर पाँचवें, सतना छठवें, बुरहानपुर सातवें, उज्जैन आठवें, देवास नवें और कटनी दसवें नंबर पर रहा। नवगठित छिंदवाड़ा नगर निगम मूल्यांकन में सबसे पीछे रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत सरकार द्वारा चुने जाने वाले सात शहर के अलावा शेष रह गये शहरों का चयन राज्य की स्मार्ट सिटी के रूप में केन्द्र सरकार के मापदंड के आधार पर ही किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश शहरी विकास कम्पनी स्थापित करने जैसी पहल की गई है। इससे विभिन्न वित्तीय संस्थान से शहरी विकास के लिए वित्तीय संसाधनों को जुटाया जाएगा। इससे स्मार्ट सिटी बनाने में पैसों की कोई कमी नहीं आयेगी।
बैठक में सामान्य प्रशासन राज्य मंत्री एवं नगरीय विकास और पर्यावरण विभाग के प्रभारी मंत्री श्री लाल सिंह आर्य, सभी नगर निगम के महापौर और आयुक्त, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा, मुख्यमंत्री के सचिव श्री विवेक अग्रवाल एवं वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।