• January 31, 2022

रतनपुर-जमालपुर के बीच नयी रेल सुरंग कुल 45 करोड़ खर्च

रतनपुर-जमालपुर के बीच नयी रेल सुरंग कुल 45 करोड़ खर्च

रतनपुर-जमालपुर के बीच नयी रेल सुरंग होकर बिछाई गई डबल लाइन का एनआई वर्क पूरा होने के बाद 29 जनवरी से ट्रेनों का परिचालन शुरू हो गया। नई सुरंग पर कुल 45 करोड़ खर्च हुए हैं। नयी सुरंग के निर्माण का काम अक्टूबर 2019 से शुरू हुआ था। निर्माण में लगभग दो साल का समय लगा।

राज्य की पहली सुरंग भी जमालपुर में है, जिसका निर्माण 1861 में ईस्ट इंडियन रेलवे कंपनी ने कराया था। पुरानी सुरंग से 25 मीटर की दूरी पर नयी सुरंग का निर्माण कराया गया है। नयी रेल सुरंग में आस्ट्रेलिया की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसका डिजाइन भी अलग है। सुरंग की लंबाई 903 फीट है। चौड़ाई 7 मीटर और ऊंचाई 6.10 मीटर है।

पुरानी सुरंग से 25 मीटर की दूरी पर नयी सुरंग का निर्माण कराया गया है। नयी रेल सुरंग में आस्ट्रेलिया की तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। इसका डिजाइन भी अलग है। सुरंग की लंबाई 903 फीट है। चौड़ाई 7 मीटर और ऊंचाई 6.10 मीटर है।

पूर्वी सर्किल के मुख्य संरक्षा आयुक्त एएम चौधरी ने राज्य की दूसरी रेल सुरंग की जांच पूरी कर ली थी। रतनपुर-जमालपुर के बीच बनी नई रेल सुरंग और दोहरीकरण का सीआरएस ने पहले ट्रॉली से जांच की, फिर पैदल चलकर सुरंग का निरीक्षण किया। लगभग चार घंटे तक निरीक्षण के बाद इलेक्ट्रिक इंजन के साथ आठ कोच लगी ट्रेन से 125 किमी की रफ्तार से रेलवे ट्रैक और सुरंग में स्पीड ट्रायल किया गया। जांच में कहीं कोई त्रुटि नहीं पायी गई।

जमालपुर के रास्ते अगरतला से आनंद विहार टर्मिनल के बीच चलने जा रही तेजस राजधानी एक्सप्रेस भी चलेगी। मुख्य सुरक्षा आयुक्त सुबह में अधिकारियों के साथ ट्रॉली से जमालपुर से रतनपुर तक गए। सुरंग के अंदर और बाहरी हिस्से की बनावट को बारीकी से देखा। स्पीड ट्रायल के लिए सीआरएस स्पेशल ट्रेल 3.08 बजे रतनपुर से खुली और 3.14 बजे जमालपुर पहुंच गई।

रतनपुर-जमालपुर के बीच नयी रेल सुरंग से होकर बनायी गई डबल लाइन में एनआई वर्क पूरा होने के बाद शनिवार 29 (जनवरी) से ट्रेन परिचालन सामान्य हो गया।

Related post

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

यशपाल का आजादी की लड़ाई और साहित्य में योगदान

  कल्पना पाण्डे———प्रसिद्ध हिन्दी कथाकार एवं निबंधकार यशपाल का जन्म 3 दिसम्बर 1903 को फिरोजपुर (पंजाब) में हुआ था। उनके…
साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…

Leave a Reply