मेहनत का कोई विकल्प नहीं -सतीश सक्सेना

मेहनत का कोई विकल्प नहीं -सतीश सक्सेना

अकेले लॉन्ग रन पर जाने में , मन बहुत व्यवधान पैदा करता है ! कल सुबह बेमन घर से निकला कि 10 km दौड़ना है अन्यथा Millennium City Marathon – 4th Edition 2nd Dec 2018​ जिसमें कई अंडर ब्रिज की चढ़ाइयाँ पार करते हुए 21 km दौड़ना इतना आसान नहीं होगा ! पहले दो सौ मीटर दौड़ने में ही तरह तरह के

बहाने नजर आने लगे , आज कोहरा बहुत है
…अन्धेरे में पैर गड्ढे में आ सकता है …
—-कुत्ते हो सकते हैं हाथ में डंडा भी नहीं है ..
.आज पैर में दर्द है आदि आदि !

मगर मजबूत इच्छा शक्ति ने, मन को धमकाया कि हर हालत में आज लंबा दौड़ना है और मुश्किल रस्ते से जाना है जहाँ फ्लाईओवर आदि मिलें ! अगर बेमन रोते हुए दौड़े तो बेट्टा आज 25 किलोमीटर दौड़ने की सजा मिलेगी इसलिए चुपचाप 17-18 km दौड लो कोई बहाना मंजूर नहीं ! और मजबूत इच्छा शक्ति की इस धमकी के आगे मन अपना मन मसोस कर चुपचाप कोने में बैठ गया और पैरों को एक लम्बे नए रूट पर मजबूत संकल्प के साथ मुड़ते देखता रहा !

और इस चौसठ वर्षीय नवजवान ने तीन चार ब्रिज की चढ़ाइयाँ पार करते हुए लगभग 20 km की दूरी भारी ट्रेफिक के बावजूद, अकेले दौड़ते हुए , तय करने में सफलता प्राप्त की जिसके लिए मात्र ३ वर्ष पहले 100 मीटर भी दौड़ना एक बुरा सपना था !

पेन्क्रियास और ह्रदय की सुरक्षा के लिए आइये, दौड़ना सीखें, मेडिकल व्यवसाइयों से बचें, वे बेहद खतरनाक हैं , वे आपको बचाने की कोशिश भी नहीं करते हैं और न उनके हाथ में हैं , वे सिर्फ आपके गलते शरीर पर दवाओं का प्रयोग कर आपको प्रभावित करने का कामयाब प्रयत्न करते हैं !

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