• July 5, 2019

‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल– 5 जुलाई से 31 जुलाई तक अपनी बोई फसल व खाली खेत का ब्यौरा www.fasalhry.in पोर्टल पर दे

‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल– 5 जुलाई से 31 जुलाई तक अपनी बोई फसल व खाली खेत का ब्यौरा www.fasalhry.in पोर्टल पर दे

चंडीगढ—- हरियाणा में कृषि को जोखिम फ्री बनाने, किसानों को उपज बेचने में कठिनाई न हो और उन्हें ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले, इस कड़ी में हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने ‘मेरी फसल मेरा ब्यौरा’ पोर्टल लॉच किया, जिसके माध्यम से किसान 5 जुलाई से 31 जुलाई तक अपनी बोई फसल व खाली खेत का ब्यौरा www.fasalhry.in पोर्टल पर दे सकेगा।

आज यहां चण्डीगढ़ में मुख्यमंत्री ने इस पोर्टल को लॉच किया और प्रैसवार्ता को सम्बोधित करते हुए कहा कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्यों में हर वर्ष वृद्धि करते हुए कल ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट कमेटी की बैठक में 17 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी करने की घोषणा की है।

उन्होंने किसानों से पानी बचाने, बिजली बचाने व पर्यावरण बचाने की अपील पहले ही की है और इस कड़ी में किसान भी जागरूक हुए हैं। प्रदेश के धान बाहुल्य जिलों में धान के स्थान पर मक्का, अरहर व अन्य फसलें उगाने के लिए आरम्भ की गई जल ही जीवन योजना के अन्तर्गत 50,000 हैक्टेयर भूमि के लक्ष्य को प्राप्त किया है तथा किसानों ने धान के स्थान पर अन्य फसल उगाने के लिए अपना पंजीकरण किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी किसानों की वर्ष 2022 तक आय दोगुणी करने के लिए पहले ही अपना विजन दे चुके हैं और आज का यह पोर्टल भी उस दिशा में एक कदम है। कृषि एवं किसान कल्याण, राजस्व, खाद्य एवं आपूर्ति तथा विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मिलकर इस दिशा में कार्य करेंगे।

भू-मलिक के साथ असली काश्तकार भी अपनी फसल का ब्यौरा इस पोर्टल पर डाल सकेगा और प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में सरकार की ओर से दी जाने वाली नुकसान की भरपाई का मुआवजा भी उसे मिल सकेगा। इसी प्रकार, किसान व आढती के बीच किसी प्रकार का विवाद न हो, इसके लिए भी किसान अपनी मर्जी से अपनी उपज बिना आढती के सरकारी खरीद एजेंसियों के माध्यम से बेच सकेगा और पैसा सीधा उसके खाते में जाएगा।

उन्होंने बताया कि 1 अगस्त से इस पोर्टल पर कृषि और राजस्व विभाग मिलकर प्रवृष्टियां दर्ज करेंगे और दोनों विभागों के कर्मचारी खेत में जाकर ई-गिरदावरी करेंगे, जो जीपीएस के साथ लिंक होगी। इसके पश्चात जब फसल पक्केगी तब सटेलाइट के माध्यम से फोटोग्राफी की जाएगी।

यदि फिर भी कोई कमी रह जाती है तो सम्बन्धित उपायुक्त द्वारा स्पेशल गिरदावरी होगी। उन्होंने कहा कि इस प्रणाली से काफी हद तक कठिनाइयां दूर होंगी और फसल नुकसान जैसी सम्भावनाएं कम होंगी।

उन्होंने बताया कि पोर्टल पर रजिस्टे्रशन के लिए किसान को प्रति एकड़ 10 रुपये तथा अधिकतम 50 रुपये दिए जाएंगे तथा इसके अलावा सांझा सेवा केन्द्र पर की गई हर प्रवृष्टि के लिए वीएलई को पांच रुपये प्रति रजिस्ट्रेशन की दर से राशि भी दी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने बताया कि लगभग 13 लाख किसानों के मोबाइल नम्बर राजस्व विभाग के पास दर्ज हैं, जैसे ही पोर्टल पर किसान अपनी फसल का पंजीकरण करेगा तो एसएमएस अर्लट उसके पास जाएगा। अगर काश्तकार करता है तो भी भू-मालिक के पास इसकी जानकारी जाएगी।

किसानों को समय पर खाद, बीज और कृषि ऋण उपलब्ध करवाना सरकार की प्राथमिकता है ताकि किसान समृद्ध हो और अधिक पैदाबार से कृषि क्षेत्र का सकल घरेलू उत्पाद दर में योगदान बढ़े। वर्तमान में जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान 17 से 18 प्रतिशत ही है, जबकि उद्योग का 28 से 30 प्रतिशत तथा सेवा क्षेत्र का लगभग 50 प्रतिशत है।

किसानों की बेहतरी के लिए सरकार ने नये आयाम स्थापित किए हैं। खाद बीज के लिए अब किसानों को लाइनों में लगने की आवश्यकता नहीं। पिछली सरकार की यूरिया व अन्य खादों के खरीद प्रबन्धन समय पर न करने के कारण नवम्बर 2014 में सरकार को कठिनाई का सामना करना पड़ा, परंतु तत्कालीन रेल मंत्री श्री सुरेश प्रभू व रसायन व उर्वरक मंत्री श्री अनन्त कुमार के सार्थक सहयोग से उस कठिनाई को हल किया गया और किसानों को समय पर यूरिया उपलब्ध करवाया गया। उसके बाद पिछले साढ़े चार वर्षों के सरकार के कार्यकाल में कभी ऐसी समस्या नहीं आई है।

उन्होंने कहा कि पानी का उचित प्रबन्ध हो, इसके लिए सरकार गम्भीर है। उन्होंने कहा कि लखवार, किशाऊ व रेणुका बांधों के निर्माण से भविष्य के लिए पानी का प्रबन्ध किया जा रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी स्वयं इस विषय पर गम्भीर हैं और अभी हाल ही में अपने मन की बात कार्यक्रम में जल संचय योजना के माध्यम से देश के लोगों से आहवान किया है कि वे भविष्य में पानी का उपयोग उचित ढंग से करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नहरी तंत्र को सुदृढ़ करने के लिए 2500 करोड़ रुपये की योजनाएं क्रियान्वित की जा रही हैं। पश्चिम यमुना के माध्यम से भी पानी हरियाणा को उपलब्ध हो, इसके लिए भी योजना तैयार की गई है। हरियाणा के लगभग 14,000 ग्रामीण तालाबों का जीर्णोंद्घार किया जा रहा है और इस कार्य में राज्य सरकार काफी हद तक कामयाब हुए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना को सफल बनाने के लिए नाबार्ड हरियाणा को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए तैयार है और आज ही उन्होंने नाबार्ड के चेयरमैन से बात की है और उन्होंने अपनी सहमति प्रदान की।

मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं व धान की खरीद केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है, परंतु सरसों, बाजरा, सूरजमुखी की खरीद हरियाणा सरकार अपनी एजेंसियों से करवाती है। इस बार मक्का की खरीद भी हरियाणा सरकार करवाएगी। किसान की हर उपज का एक-एक दाना खरीदा जाएगा और किसान को किसी भी प्रकार की कठिनाई न हो, यही हमारी प्राथमिकता है।

केन्द्रीय बजट के सम्बन्ध में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि आज तक जितने भी बजट हुए हैं वे जनहित व लोक भलाई के होते हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने डाक विभाग द्वारा कृषि अवशेषों को न जलाने का संदेश जन-जन तक पहुंचाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया डाक लिफाफे का विमोचन भी किया। डाक विभाग हरियाणा सरकार को एक लाख ऐसे डाक लिफाफ उपलब्ध करवाएगा जो सरकारी पत्राचार में प्रयोग होंगे।

इस अवसर पर कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री ओम प्रकाश धनखड़, मुख्य सचिव श्रीमती केशनी आनन्द अरोड़ा, कृषि एवं किसान कल्याण, राजस्व एवं आपदा प्रबन्धन विभाग कीअतिरिक्त मुख्य सचिव श्रीमती नवराज संधू, अतिरिक्त मुख्य सचिव खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता मामले श्री एस एन रॉय, मुख्यमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव श्री वी उमाशंकर, कृषि विभाग के महानिदेशक श्री अजीत बालाजी जोशी, हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक डा० जे गणेशन, हरियाणा की मुख्य प्रधान डाकपाल श्रीमती रंजू प्रसाद के अलावा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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