- September 9, 2015
मेक इन इंडिया : कृत्रिम अंग बनाने की नई सुविधा
नई दिल्ली (पेसूका) – प्रधानमंत्री की मेक इन इंडिया पहल के अंतर्गत भारत का कृत्रिम अंग निर्माण निगम (एएलआईएमसीओ) सामाजिक न्याय और आधिकारिता मंत्रालय के अंतर्गत कार्य कर रहा है। उसने देश में विकलांग व्यक्तियों के लिए सस्ते दामों पर कृत्रिम अंग बनाने के लिए प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण तथा तकनीकी और परामर्श सेवा के सम्बन्ध में बहुराष्ट्रीय कम्पनी ऑटोबोक के साथ समझौता किया है। इस नई उत्पादन इकाई के साथ एएलआईएमसीओ तकनीकी दृष्टि से आधुनिक कृत्रिम प्रणाली बना सकेगा जिससे समाज के सभी वर्गों के ऐसे व्यक्तियों की निर्भरता कम हो सकेगी जिनका कोई अंग खराब है।
विकलांग व्यक्तियों को मुफ्त सहायक उपकरण प्रदान करने के कार्य में लगातार लगे कानपुर के एएलआईएमसीओ ने कानपुर देहात जिले में एक अन्य सफल शिविर लगाया। गहलोत ने विभिन्न प्रकार की विकलांगता से ग्रसित 692 व्यक्तियों को कृत्रिम अंग वितरित किए। उन्हें सरकार की एडीआईपी योजना के अंतर्गत 60 लाख रुपये मूल्य से अधिक के सहायक उपकरण तथा कृत्रिम अंग प्रदान किए गए। लाभान्वितों की पहचान इस वर्ष अगस्त में आयोजित आकलन शिविर में कर ली गई थी।
80 प्रतिशत से अधिक विकलांगता वाले विशेष रूप से पहचाने गए 20 व्यक्तियों को बैटरी से चलने वाली मोटरयुक्त तिपहिया साइकिलें दी गई, जिनमें यूटीलिटी बॉक्स लगा है। प्रत्येक की कीमत 37,000 रुपये है। अधिकतर खर्चा मंत्रालय उठाएगा और 2.4 लाख रुपये की राशि स्थानीय सांसद श्री देवेन्द्र सिंह ‘भोले’ ने एमपी लैड फंड का इस्तेमाल करते हुए प्रदान की।
पहले से पहचाने गए विकलांग व्यक्तियों को विभिन्न सहायक उपकरण दिए गए जिनमें 550 तिपहिया साइकलें, 26 व्हील चेयर, 596 क्रचेज (एक्सीला और एल-बो), चलने के लिए 93 छडि़यां, एक रोलेटर, आठ ब्रेल छडि़यां (मुड़ने वाली), 42 कानों के पीछे लगाने वाली डिजीटल हियरिंग एड मशीनें और विशेष जरूरत वाले बच्चों के लिए 2 एमएसआईईडी किट शामिल हैं। शिविर में 26 कृत्रिम और आर्थोटिक्स उपकरण भी वितरित किए गए।
इस अवसर पर अधिकारिता विभाग में सचिव श्री लव वर्मा और संयुक्त सचिव अवनीश कुमार अवस्थी एएलआईएमसीओ के मुख्य प्रबंध निदेशक श्री डी आर सरीन तथा मंत्रालय के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।