- December 6, 2015
मृदा स्वास्थ्य रक्षा आज की पहली जरूरत – श्रीमती माहेश्वरी
जलदाय मंत्री ने विश्व मृदा दिवस पर किया मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण
उदयपुर – जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने किसानों का आह्वान किया है कि खेतों की मौलिक उर्वरा शक्ति और गुणवत्ता को बरकरार रखने के लिए जैविक खेती के अधिकाधिक प्रयोग को बढ़ावा दें और इसके लिए मृदा स्वास्थ्य कार्ड को आधार बनाते हुए लाभदायी खेती पर जोर दें।
जनस्वास्थ्य मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने विश्व मृदा दिवस पर शनिवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की ओर से आरसीए सभागार में आयोजित समारोह में मुख्य अतिथि पद से संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए। समारोह की अध्यक्षता कुलपति प्रो. परमेन्द्र कुमार दशोरा ने की।
साहित्य विमोचन एवं कार्ड वितरण
जलदाय मंत्री ने सरस्वती प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर समारोह का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि श्रीमती माहेश्वरी ने कृषि विशेषज्ञ वैज्ञानिकों द्वारा लिखित पुस्तक ‘‘मृदा एवं जल प्रबन्धन’’ तथा फोल्डर ‘‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड ः आवश्यकता एवं उपयोगिता’’ का विमोचन किया तथा कृषक अमराजी को मृदा स्वास्थ्य कार्ड प्रदान कर कार्ड वितरण का शुभारंभ किया।
जैविक खेती ही है सुरक्षित
समारोह की मुख्य अतिथि जलदाय मंत्री ने मृदा स्वास्थ्य रक्षा के प्रयासों को आत्मसात करने का आह्वान करते हुए किसानों से कहा कि इसके लिए वे जैविक खेती को अपनाएं। इससे पशुपालन को बढ़ावा मिलेगा, डेयरी विकास होगा तथा आत्मघाती रसायनों की बजाय जैविक खाद के प्रयोग से मिट्टी के साथ अपनी सेहत भी दुरस्त रहेगी। इससे किसानों की आमदनी बढ़ेगी और माली हालत में सुधार आएगा। साथ ही लाभों में अभिवृद्धि की वजह से खेती के प्रति रुझान भी बढ़ेगा। राष्ट्र स्वस्थ तभी रहेगा जब मृदा स्वस्थ रहेगी।
प्रोसेसिंग यूनिट लगाएं
श्रीमती माहेश्वरी ने उदयपुर संभाग मुख्यालय पर फूड प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना का सुझाव दिया और कहा कि यहां विभिन्न उत्पादों के प्रोसेसिंग की व्यापक संभावनाएं हैं जिन्हें आकार देने में कृषि क्षेत्र एवं विश्वविद्यालय को आगे आना चाहिए।
उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्रों को और अधिक प्रभावी बनाने पर बल दिया और कहा कि कृषक जागरुकता के लिए ठोस गतिविधियों का संचालन किया जाना जरूरी है। इसके लिए किसानों के समूह बनाकर उनसे संबंधित योजनाओं और सुविधाओं की पूरी-पूरी जानकारी पहुंचाएं। आम किसानों तक सभी योजनाओं की जानकारी पहुंचाकर खेती-बाड़ी के क्षेत्र में क्रांति लायी जा सकती है।
पानी का उपयोग मितव्ययता से करें
उन्होंने जल संरक्षण एवं जल प्रबन्धन में सहयोगी बनने का किसानों से आह्वान करते हुए कहा कि वे पानी के उपयोग में मितव्ययता लाएं और खेत-फसल की जरूरत के अनुसार ही सिंचाई के लिए बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति पर ध्यान दें।
फायदेमंद है जैविक खेती
उन्होंने विश्वविद्यालय से कहा कि किसानों को जैविक खेती के बारे में समझाईश करें और तुलनात्मक रूप से यह बताएं कि इसकी मांग खूब है तथा मुनाफा भी बहुत अधिक है क्योंकि लोग अब घातक बीमारियों एवं रसायनिक प्रदूषण से शरीर को बचाने के लिए जैविक खाद से निर्मित उत्पादों को पसंद करने लगे हैं।
गांव गोद लेकर आदर्श बनाएं
उन्होंने विश्वविद्यालय से कहा कि वे किसी गांव को चुन उसमें जैविक खेती को बढ़ावा दें और मृदा स्वास्थ्य रक्षा और कृषक जागरुकता के भरपूर प्रयासों को आकार देते हुए आदर्श बनाएं ताकि अन्य गांवों के किसान भी अनुकरण कर सकें।
मिट्टी जीवन का मूलाधार
समारोह की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. पी.के. दशोरा ने मिट्टी को जीवन का मूलाधार बताया और मृदा के स्वास्थ्य के प्रति जागरुकता का आह्वान किसानों से किया। प्रो. दशोरा ने बताया कि अभी मृदा परीक्षण के लिए 70 प्रयोगशालाएं संचालित हैं, इनके अलावा 58 नई प्रयोगशालाएं स्थापित की जाएंगी।
किसान संकल्पबद्ध होकर आगे आएं
कुलपति ने किसानों से कहा कि वे आत्मघाती रसायनों से बचें और जैविक खेती से भूमि की क्षमताओं को बरकरार रखते हुए खेती करें और इसके लिए मृदा स्वास्थ्य रक्षा के तमाम उपायों को अमल में लाएं। इसके लिए किसानों को संकल्पबद्ध होकर काम करने की आवश्यकता है तभी मिट्टी को सशक्त पुनर्जीवन प्राप्त हो सकता है।
विश्वविद्यालय का आलेख राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम
कृषि रसायन एवं मृदा विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ. एच.एस. पुरोहित ने विश्व मृदा दिवस मनाने की पृष्ठभूमि एवं आवश्यकता पर विस्तार से प्रकाश डाला और बताया कि इस दिशा में विश्वविद्यालय के आलेख को राष्ट्रीय स्तर पर प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया है।
किसानों के लिए वरदान है यह कार्ड
आरंभ में निदेशक (अनुसंधान) डॉ. जी.एस. आमेटा ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत करते हुए मृदा स्वास्थ्य कार्ड से संबंधित विवरण दिया और बताया कि इससे किसानों को आशातीत लाभ मिलेगा।
अतिथियों का बुके से स्वागत निदेशक(अनुसंधान) डॉ. जीएस आमेटा, संयुक्त निदेशक डॉ. एस.के. शर्मा, विभागाध्यक्ष डॉ. एच.एस. पुरोहित,करणसिंह शक्तावत, किसान प्रतिनिधियों शिवकुमार, होमाजी, देवाजी आदि ने किया।
समारोह का संचालन एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. गायत्री तिवारी ने किया जबकि आभार प्रदर्शन संयुक्त निदेशक डॉ. एस.के. शर्मा ने किया। समारोह में निदेशक(प्रसार शिक्षा) डॉ. आई.जी. माथुर, वित्त नियंत्रक डॉ. डीएन पुरोहित, अधिष्ठातागण, कृषि वैज्ञानिक, अधिकारीगण तथा कृषि विद्यार्थी आदि उपस्थित थे।
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जलदाय मंत्री ने विश्व मृदा दिवस पर मृतिका पूजन किया और प्रदर्शनी देखी
उदयपुर, 5 दिसम्बर/जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी एवं भूजल मंत्री श्रीमती किरण माहेश्वरी ने विश्व मृदा दिवस पर शनिवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में मृदा पूजन किया।
उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. परमेन्द्रकुमार दशोरा, निदेशक(अनुसंधान) डॉ. जी.एस. आमेटा, विभागाध्यक्ष डॉ. एच.एस. पुरोहित, संयुक्त निदेशक डॉ. एस.के. शर्मा के साथ विधिविधान से मृदा पूजन किया।
जलदाय मंत्री श्रीमती माहेश्वरी ने मृदा संरक्षण, गुणवत्ता विस्तार तथा मृदा स्वास्थ्य के बारे में लगाई गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया और मृदा स्वास्थ्य रक्षा के लिए किए जाने वाले उपायों की जानकारी ली। प्रदर्शनी में मृदा स्वास्थ्य से संबंधित रंगीन चित्रात्मक पोस्टर्स, बैनर्स एवं छायाचित्रों के साथ ही जैविक खेती से संबंधित मॉडल्स आकर्षण का केन्द्र रहे।