- January 14, 2017
मुख्यमंत्री साहब ,जनता दरबार बंद करने का औचित्य !!
मुख्यमंत्री बिहार- आपने किस आधार पर जनता दरबार बंद किया । एक अच्छे शासक के लिए सीधें सपंर्क विष भी है तो अमृत भी। विष अर्थात सुधरने का मौका और अमृत अर्थात गौरवांवित होने का मौका।
आप ग्रामीण स्तर के नीति निर्धारक के संपर्क में आयें और लागू किये गये नीतियों की समीक्षा करें।
50 दिन और 60 नियम देखें !
अगर इतने नियम नहीं बदले जाते तो शायद सुप्रीम कोर्ट की आशंका सच्च में तब्दिल हो जाता- विपक्षियों के कारण देश आग की ज्वाला में धधक रहा होता।
शिक्षा नीति – सभी मूर्खों, गजेरियों और हरामियों की बहाली से बिहार के शिक्षा कलंकित हुआ। परिणामस्वरूप बच्चा राय जैसे शैतानों की पैदाइश हो रहा है।
शराब बंदी- जो समाज को बनाने के लिए बेहतर कदम है। लागू करने के बाद सकारात्मक और नकारात्मक राय की समीक्षा क्यों नहीं की जा रही है!
गरीबों को जेल में बंद कर – किंग आफ वाइन का सम्राज्य गठित कर रहें है। जिसे समाज बर्दाश्त नहीं कर रही है।
बंद शराबी पति और बेटे के परिवार के लिए आपने विकल्प क्या दिया !
भ्रष्टाचार चरम पर है। आय प्रमाण पत्र के लिए एक अभ्यर्थी को 200 रूप्यें तक वहन करना पड रहा है। ये लूट क्यों !
ये कैसी स्वशासन व्यवस्था!
आप अपने विधायकों की कितने बार बैठकें ली है और अगर ली है तो उसे क्या निर्देश दिया है।
आपके सभी विधायक गब्बर सिंह बन गया है। प्रत्येक दिन की अपने क्षेत्र की गतिविधियों की संप्रेशन क्यों नहीं ली जा रही है !
विधायकों की प्रतिदिन की बैंकिग और खरीद फरोक्त की रिपोर्टिग क्यों नहीं ली जा रही है!
अगर संभव हो तो आप सीधे तौर पर श्री राम कुमार लाल दास से नीति नियामक के रुप मे संपर्क कर क्षेत्रीय नीतियों पर निराकरण करें.
आपके मीडिया सेल बेवकूफ है जो सच्चाईयों से कही दूर है और आपको अंधेरे में रखने कि मुहिम चला रखा है।
बातचीत के दम्यान में श्री राम कुमार लाल दास का कहना है कि आपातकाल के दौर में जब श्री मति इंदिरा गांधी ने गुप्तचरों से सर्वेक्षण करवाई थी तो गुप्तचरों ने अतुलनीय बहुमत से सत्ता में वापसी का दावा किया था, पुनःवापसी के मस्ती में चुनाव करवाई,परिणाम जमानत भी बचा नही पाई- बेहतर नीति नियामक के बावजूद भी नीतिश जी का भविष्य चौपट दिख रही है।