- February 25, 2018
कडी 1 — मुख्यमंत्री मनोहर लाल और * किसान योजना *
चंडीगढ ————— प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना खरीफ 2016 से शुरू। जिसके तहत खरीफ फसलों के लिए प्रीमियम दर अधिकतम 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए अधिकतम 1.5 प्रतिशत तथा वाणिज्यिक और बागवानी फसलों के लिए अधिकतम 5 प्रतिशत है।
कपास की फसल पर अन्य खरीफ फसलों के समान 2 प्रतिशत ही अधिकतम प्रीमियम होगा तथा अतिरिक्त 3 प्रतिशत का भुगतान राज्य सरकार द्वाराकिया गया है। खरीफ फसलों में धान, बाजरा, मक्का व कपास तथा रबी फसलों में गेंहू, जौं, सरसों व चना को शामिल किया है। इस योजना के तहत लगभग 260 करोड़ रूपये का मुआवजा बांटा जा चुका है।
खड़ी फसल में सूखा, बाढ़, जलभराव, कीट एवं बीमारी, आसमानी बिजली, तूफान, चक्रवात व ओलावृष्टि आदि के रिस्क भी शामिल है। इसके साथ कम वर्षा/विषम मौसमी स्थिति के कारण फसल नहीं बोये जाने एवं फसल कटाई के 14 दिनों तक बेमौसमी वर्षा एवं चक्रवात से हुए नुकसान का भी बीमा शामिल।
बीमित राशि धान के लिए 71500 रूपये, कपास के लिए 69000 रूपये, बाजरा के लिए 33500 रूपये व मक्का के लिए 36000 रूपये प्रति हैक्टेयर तक निर्धारित।
वर्ष 2017-18 के बजट में इस योजना के लिए 300 करोड रूपये का प्रावधान किया गया। खरीफ सीजन 2016 के दौरान 7.35 लाख किसानों की 11.87 लाख हैक्टेयर तथा रबी सीजन 2016-17 मे 5.97 लाख किसानों की 9.07 लाख हैक्टेयर भूमि को कवर किया गया।
साॅयल हैल्थ कार्ड स्कीम के तहत राज्य में लगभग 13.26 लाख मृदा नमूनें एकत्रित किए गये, जिनमें से जुलाई, 2017 तक 12.95 लाख नमूनों का परीक्षण किया जा चुका है तथा 18.38 लाख कार्ड बनाए जा चुके हैं।
हरियाणा केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न योगदान देने वाला देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है। वर्ष 2016-17 में कुल खाद्यान्न उत्पादन 180 लाख मीट्रिक टन हुआ।
वर्ष 2014-15 में चावल उत्पादकता के लिए राज्य को ‘कृषि कर्मण’ पुरस्कार मिला।
पर्यावरण एवं मृदा स्वास्थ्य के लिए जैविक खेती को प्रोत्साहित करने हेतु जैव उर्वरकों पर लागू 5 प्रतिशत वैट को समाप्त किया।
वर्ष 2015-16 के दौरान पहली बार बाजरे की सरकारी खरीद बडे़ पैमाने पर सुनिश्चित की गई।
वर्ष 2016-17 के दौरान पहली बार मूंग की सरकारी खरीद बडे़ पैमाने पर सुनिश्चित की गई।
वर्ष 2017-18 के दौरान पहली बार सरसों की सरकारी खरीद बड़े पैमाने पर सुनिश्चित की गई।
परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत वर्ष 2016-17 के दोरान जैविक खेती के 50-50 एकड के 20 कलस्टर बनाए गए। इन कलस्टर के किसानों की बैठक ली गई तथा ट्रेनिंग भी दी गई।
वर्ष 2015-16 से PSS (Price Sports Scheme) के तहत सुरजमुखी बीज की खरीद की गई, जो वर्तमान में भी जारी है।
वर्ष 2017-18 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए प्लान स्कीमों में 3206.01 करोड़ रूपये का प्रावधान, जोकि 2016-17 के बजट से 18.79 प्रतिशत अधिक है।
सुरजमुखी की सरकारी खरीद 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत की गई।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जुलाई, 2015 में शुरू की गई।
इस योजना के तहत प्रारम्भ में प्रदेश के 6 जिलों अम्बाला, सोनीपत, झज्जर, सिरसा, रोहतक तथा हिसार को शामिल किया गया था। देश के पहले सूक्ष्म सिंचाई योजना के पायलट प्रोजेक्ट का उद्घाटन डेरा फतह सिंह गुमथला गड्डू, कुरूक्षेत्र किया गया। सूक्ष्म सिंचाई प्रोजेक्ट लगाने पर 85 प्रतिशत सब्सिडी उपलब्ध करवाई जा रही है।
यह देश की पहली योजना है जिसमें सौर उर्जा व ग्रिड के माध्यम से उर्जा का आदान प्रदान होगा। प्रथम चरण में प्रदेश के 13 जिलों अम्बाला, करनाल, कुरूक्षेत्र, कैथल, हिसार, झज्जर, भिवानी, रेवाड़ी, महेन्द्रगढ़, सिरसा, सोनीपत, पानीपत व जींद के 36 खण्डों जो कि डार्क जोन घोषित किये गए है, को शामिल किया गया है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के लिए वर्ष 2016-17 में 110 करोड़ रूपये तथा 2017-18 में 103 करोड़ रूपये के बजट का प्रावधान किया गया।
प्रदेश सरकार ने वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की दिशा में सात सूत्रीय कार्यक्रम लागू किया है।
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