मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा— मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर

मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा— मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर

शिमला ——- किसानों के लिए ज़ीरो बजट प्राकृतिक खेती पर शिमला के पास कुफरी में पांच दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने किया।

इस कार्यशाला में पद्म श्री सुभाष पालेकर किसानों के साथ प्राकृतिक खेती के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां सांझा करेंगे।

कार्यशाला में मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने कहा कि किसानों व बागवानों ने अपनी आय बढ़ाने के लिए वर्षों से अत्याधिक रसायनों का प्रयोग किया है, जिससे न केवल मिट्टी की उर्वरकता घटी है बल्कि मनुष्य के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

उन्होंने कहा कि इसमें संदेह नहीं कि आरंभ में उनकी आय बढ़ी, लेकिन एक समय के बाद उत्पादन गिरने लगा, जिसका मुख्य कारण रसायनिक उर्वरकों के प्रयोग से मिट्टी की उपजाऊ क्षमता में कमी आना है।

जय राम ठाकुर ने कहा कि अब समय आ गया है जब हमें अपने आप व मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को बचाने के लिए प्राकृतिक खेती को अपनाना होगा। प्राकृतिक खेती में न केवल कम लागत आती है बल्कि प्राकृतिक उत्पादों के बाज़ार में अच्छे दाम मिलते हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने राज्य में शून्य लागत प्राकृतिक खेती के लिए बजट में 25 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। सरकार किसानों को उनके प्राकृतिक उत्पादों के विपणन में हर संभव सहायता प्रदान करेगी ताकि उन्हें अच्छे दाम मिल सकें।

मुख्य मंत्री ने कहा कि किसानों को देसी नस्ल की गाय को पालना चाहिए, जो मनुष्य तथा मिट्टी दोनों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। किसानों की मेहनत व सहयोग से हिमाचल प्रदेश शीघ्र ही देश का प्राकृतिक खेती राज्य बनेगा। राज्य सरकार किसानों को इस काम में हर संभव मदद देगी।

कृषि मंत्री डॉ. राम लाल मारकंडा ने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती के लिए उपयुक्त राज्य है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से न केवल मनुष्य बल्कि मिट्टी का स्वास्थ्य बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। मुख्यमंत्री की पहल से ही राज्य सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों को राज्यपाल आचार्य देवव्रत के प्राकृतिक फार्म के अध्ययन के लिए कुरुक्षेत्र भेजा था।

किसानों को संबोधित करते हुए सुभाष पालेकर ने कहा कि ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि उत्पादन को बढ़ाने के प्रयासों किसानों व बागवानों ने रसायनिक कीटनाशकों का अत्याधिक प्रयोग किया, जिससे लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा है। समाज के लिए बेहद आवश्यक है कि हम बडे़ पैमाने पर प्राकृतिक खेती को अपनाएं। उन्होंने कहा कि यदि बागवानी तथा कृषि उत्पाद रसायनों के अत्याधिक उपयोग से तैयार किए जाते हैं तो स्वास्थ्य पर गंभीर असर होता है।

पालेकर ने कहा कि प्राकृतिक खेती से किसानों की अर्थव्यवस्था में बड़ा सुधार आएगा क्योंकि प्राकृतिक उत्पादों के बाज़ार में काफी अच्छे दाम मिलते हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती से उगने वाले सेबों को प्रमाणित किया जाना आवश्यक है, ताकि उसके बढ़िया दाम मिल सकें।

प्राकृतिक खेती करने वाले डॉ. राजिंद्र सिंह झोबटा, जो पेशे से शल्य चिकित्सक हैं तथा बागवान सुभाष ने अपने बागानों से जुड़े अपने अनुभवों को किसानों के साथ सांझा किया।

निदेशक ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज तथा प्राकृतिक कृषि राकेश कंवर ने इस अवसर पर मुख्य मंत्री तथा अन्य विशिष्ट व्यक्तियों का स्वागत किया।

विधायक बलबीर वर्मा, अध्यक्ष हि. प्र. राज्य सहकारी बैंक खुशी राम बालनाटाह, मुख्य मंत्री के ओएसडी शिशु धर्मा, भाजपा नेता डॉ. प्रमोद शर्मा, कृषि निदेशक देशराज सहित अन्य गणमान्य भी इस अवसर पर मौजूद थे।

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