मानव श्रृंखला का विश्व रिकॉर्ड, पर्यावरण की रक्षा का सामूहिक लिया संकल्प—मुरली मनोहर श्रीवास्तव

मानव श्रृंखला का विश्व रिकॉर्ड, पर्यावरण की रक्षा का सामूहिक लिया संकल्प—मुरली मनोहर श्रीवास्तव

• जल संरक्षण एवं हरियाली को बढ़ावा देकर भावी पीढ़ी की हम रक्षा कर सकेंगे
• जन सरोकार से जुड़े मानव श्रृंखला पर राजनीति किया जाना बेमानी
• बिहार के नाम एक बार फिर विश्व रिकॉर्ड का तमगा
• जल-जीवन-हरियाली अभियान के पक्ष में बना विश्व रिकॉर्ड
• बिहार में विपक्ष इसका विरोध कर खुद ही औंधे मुंह गिरी

जल-जीवन-हरियाली के समर्थन में बिहार में बनी मानव श्रृंखला की शुरुआत करके मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया को एक बड़ा संदेश दिया है। जलवायु संकट का असर विश्व में दिख रहा है।

पर्यावरण प्रदूषण के लिए विकसित देश की भूमिका ज्यादा रही है। भारत में और खासकर बिहार की भूमिका इसमें जरुर कम रही है लेकिन पर्यावरण जलवायु संकट का असर व्यापक दिख रहा है।

मानव श्रंखला में सभी वर्गों के लोग शामिल होकर नई ऊर्जा के साथसभी ने अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी लेकिन विपक्ष लगभग इससे गायब रहा। जबकि पर्यावरण संकट के समाधान के लिए 13 जुलाई 2019 को चली मैराथन बैठक में जल-जीवन-हरियाली अभियान के लिए सभी दलों के विधायक एवं विधान पार्षदों ने सामूहिक तौर पर अपनी प्रतिबद्धता दर्शायी थी।

यह मानव श्रृंखला सामाजिक सरोकार के साथ-साथ पर्यावरण से जुड़ा हुआ भी जनजागरण है। जनता के सरोकार से जुड़े मुद्दे को राजनीति के तराजू पर तौलने से विपक्ष को क्या मिल जाएगा। ऐसी समस्याओं से निपटना हमारा धर्म है। इस बात को किसी भी दल को नहीं भूलना चाहिए और ना ही इस पर किसी प्रकार की टिप्पणी होनी चाहिए।

21 जनवरी 2017 को शराबबंदी एवं नशामुक्ति के संबंध में बनायी गई मानव श्रृंखला में उस समय की विपक्ष की पार्टी भारतीय जनता पार्टी ने इसमें सक्रिय भूमिका निभायी थी। जो सकारात्मक राजनीति का उस वक्त उदाहरण बना था। लेकिन इस बार जिस पर्यावरण के मुद्दे पर सभी दलों 243 विधायकों एवं 75 विधान पार्षदों ने बिहार में जल-जीवन-हरियाली अभियान के लिए सामूहिक सहमति जताते हुए मानव श्रृंखला 19 जनवरी, 2020 को बनाने का संकल्प लिया था।

जब मौका आया तो इसके विरोध में स्वर को बुलंद करने लग गए। जो एक दूषित राजनीति का परिचायक साबित हुआ।

यह मानव श्रृंखला जल-जीवन-हरियाली के पक्ष में पूरे बिहार में बनायी गई। बिहार के मानचित्र पर गांधी मैदान में मानव श्रृंखला बनी उसके माध्यम से पूरा बिहार अटूट रुप से श्रृंखलाबद्ध हुआ। पर्यावरण में असंतुलन एवं जलावायु परिवर्तन से जो स्थिति पैदा हो रही है वह सबके सामने है। आने वाली पीढ़ियों के संरक्षण के लिए जल-जीवन-हरियाली अभियान की नीतीश कुमार ने शुरुआत कर एक नई दिशा देने की कोशिश की है।

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है कि जल और हरियाली है तभी जीवन संरक्षित है। इससे पहले भी बिहार ने सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए 21 जनवरी, 2017 को नशामुक्ति एवं शराबबंदी के पक्ष में, 21 जनवरी 2018 को दहेज प्रथा एवं बाल विवाह के खिलाफ लोगों ने मानव श्रृंखला बनाकर अपनी प्रतिबद्धता जतायी थी।मानव श्रृंखला एक अभियान के साथ-साथ पर्यावरण से जुड़े जल-जीवन-हरियाली अभियान के प्रति लोगों की एकजुटता का भी प्रमाण साबित हो रहा है।

बिहार-झारखंड के बंटवारे के बाद 2012 में में राज्य का हरित आवरण 9 प्रतिशत था। वर्ष 2012 में हरियाली मिशन की स्थापना कर 19 करोड़ पौधे लगाए गए औऱ अब राज्य का हरित आवरण क्षेत्र 15 प्रतिशत पहुंच गया है। जल-जीवन-हरियाली अभियान के अंतर्गत आहर, पईन, पोखर को अतिक्रमण मुक्त कराकर उनका जीर्णोद्धार भी कराया जा रहा है।

सभी सार्वजनिक कुओं का भी जीर्णोद्धार कराया जा रहा है। इसके अलावे सौर ऊर्जा को भी बढ़ावा दिया जा रहा है। इस प्रकार बढ़ते प्रदूषण के प्रति हर किसी की यह जवाबदेही बनती है कि हमें जल-जीवन-हरियाली की रक्षा करने के लिए हर संभव कोशिश करनी होगी।

मानव श्रृंखला किसी पार्टी से जोड़कर देखा जाना निराधार है। क्योंकि पर्यावरण एक ग्लोबल समस्या बन चुकी है। इस समस्या का निदान निकालना ही हमारा मूल कर्तव्य है। अगर इस समस्या को हल करने के लिए हमलोगों ने आज भूमिका नहीं निभायी तो वो दिन दूर नहीं जब आने वाली पीढ़ी को कई समस्याओं से जुझना पड़ सकता है। हम विकास की राहों पर दौड़ रहे हैं। भागदौड़ की जिंदगी में हम अपने मूल को ही भूल रहे हैं। नतीजा दिनोंदिन समस्याएं बढ़ती जा रही हैं।

बिहार में सामाजिक सरोकार से जुड़ी यह तीसरी मानव श्रृंखला है। इस बार विपक्ष के नेताओं और कुछ शिक्षक संगठनों के विरोध के बावजूद लोग सड़कों पर जाति, धर्म, ऊंच-नीच की भावना से ऊपर उठकर दलगत राजनीति से इतर होकर जल-जीवन-हरियाली के पक्ष में बनने वाली मानव श्रृंखला का हिस्सा बनकर बिहार के पहले के बनाए मानव श्रृंखला के अपने रिकॉर्ड को खुद ही तोड़कर एक नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया।

जिन मुद्दों पर सदन के अंदर विचार विमर्श कर आम जन की समस्याओं को निपटाने का संकल्प लिया जाता है। उसी का सड़क पर उतरकर निराकरण के लिए आवाज तक नहीं उठाया जाना किसी अपराध से कम नहीं है। माना जा सकता है कि इस पर राजनीति लोग कर रहे हों, मगर एक आम नागरिक बनकर हमारा और आपका जिस प्रकार दायित्व बनता है कि हम समस्या का समाधान करें।

ठीक उसी प्रकार राजनीतिक दलों का भी यह दायित्व बनता है कि सामाजिक मुद्दों पर विचार करने के बाद एक साथ मैदान में होना चाहिए। जल-जीवन-हरियाली किसी व्यक्ति विशेष, किसी दल विशेष का नहीं है बल्कि यह समस्या जनमानस से जुड़ा हुआ है।

पूरी दुनिया को इस विषय पर गंभीरता से सोचा जाना चाहिए।बिहार में बने इस मानव श्रृंखला को लेकर विपक्ष का सत्ता पक्ष पर टिपण्णी ही जब करनी थी तो फिर सामूहिक बैठक में हां में हां मिलाना कितना जायज है।

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