मातृ और शिशु मृत्‍यु एवं रुग्‍णता

मातृ और शिशु मृत्‍यु एवं रुग्‍णता

पेसूका ————-केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने इंडोनेशिया के बा‍ली में परिवार कल्‍याण पर एक अंतरराष्‍ट्रीय सम्‍मेलन ‘भारत परिवार कल्‍याण 2020 की ओर प्रशस्‍त: भारतीय दल की एक बैठक’ के अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि भारत में अब एक महत्‍वपूर्ण बदलाव आया है और परिवार कल्‍याण, मातृ एवं शिशु मृत्‍यु दर और रुग्‍णता को कम करने के लिए एक महत्‍वपूर्ण रणनीति के तौर पर उभरा है।

उन्‍होंने कहा कि 15 से 25 वर्ष के आयु समूह में देश की मातृ मृत्‍यु का 45 प्रतिशत है जबकि कुल प्रजनन का 47 प्रतिशत भी संकुलित है, लेकिन अब भारत मातृ मृत्‍यु दर को कम करते हुए व्‍यापक स्‍वास्‍थ्‍य लाभों की ओर बढ़ रहा है। भारत ने 1990 से 2011-13 की अवधि में 47 प्रतिशत की वैश्विक उपलब्धि की तुलना में मातृ मृत्‍यु दर को 65 प्रतिशत से ज्‍यादा घटाने में सफलता हासिल की है।

श्री नड्डा ने कहा कि परिवार कल्‍याण विकास, समानता और वृद्धि की लम्‍बी यात्रा में प्रथम कदम है। उन्‍होंने कहा कि यह सिर्फ इसलिए कार्य नहीं करता क्‍योंकि परिवार छोटे होने से स्‍वस्‍थ्‍य और आर्थिक रूप से समृद्ध हो सकते हैं बल्कि महिलाओं के सशक्‍त होने से भी उभरती हुई अर्थव्‍यवस्‍थाओं और स्‍वास्‍थ्‍य को लेकर सजग समाजों का भी सूत्रपात होता है।

श्री नड्डा ने कहा कि भारत निरंतर स्‍वास्‍थ्‍य सुधार और सतत विकास के लिए मृत्‍यु दर को कम करने की दिशा में प्रयासरत रहा है। भारत में विश्‍व के प्रथम राष्‍ट्रीय कार्यक्रम के तौर पर 1952 में इसका शुभारंभ किया गया था। भारत ने अपनी राष्‍ट्रीय जनसंख्‍या नीति को वर्ष 2000 में तैयार किया था जिसमें वर्ष 2045 तक परिवार कल्‍याण की आवश्‍यकताओं को पूरा करने, स्‍वास्‍थ्‍य देखभाल बुनियादी ढांचे में सुधार और जनसंख्‍या स्थिरीकरण पर जोर दिया गया है।

केंद्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने उल्‍लेख किया कि परिवार कल्‍याण पर ऐतिहासिक लंदन बैठक के दौरान भारत ने प्रतिबद्धता जताई कि परिवार कल्‍याण सार्वभौमिक स्‍वास्‍थ्‍य क्षेत्र को सुनिश्चित करने और स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति एकीकृत आरएमएनसीएच+ए दृष्टिकोण को अपनाते हुए देश की बचनबद्धता के साथ सरकार के प्रयासों का मुख्‍य अंग होगा, जिसके तहत स्‍वास्‍थ्‍य लक्ष्‍यों को प्राप्‍त किया जाएगा।

श्री नड्डा ने कहा कि इंडिया एफपी 2020 का परिवार कल्‍याण सेवाओं की प्राप्ति के लिए केन्‍द्र बिन्‍दु के तौर पर एक प्‍लेटफार्म के रूप में उपयोग किया जाएगा। उन्‍होंने कहा‍ कि भारत की यह भी प्रतिबद्धता है कि परिवार कल्‍याण सूचना, आवश्‍यक वस्‍तुओं और सेवाओं को देश की प्रत्‍येक कोने में अपने नागरिक सामाजिक संगठनों और निजी क्षेत्रों जैसे सहभागियों के सहयोग से प्रजनन आयु वर्ग में 200 मिलियन युगलों सहित प्रत्‍येक व्‍यक्ति तक पूरी तरह से नि:शुल्‍क रूप से प्रदान करने को सुनिश्चित किया जाए।

उन्‍होंने यह भी कहा कि हाल ही में राज्‍यों की सलाह और कार्यक्रम की उन्‍नत गुणवत्‍ता और निगरानी को सुनिश्चित करने के लिए एनएचएम के माध्‍यम से राज्‍यों को सहायता के द्वारा परिवार कल्‍याण सेवाओं के स्‍तर पर विशेष ध्‍यान दिया गया है। उन्‍होंने कहा कि भारत आईयूसीडी सेवाओं के विस्‍तार में भी आगे रहा है।

ग्राम स्‍तर पर 0.9 मि‍लियन आशा कार्मिक ग्राहकों को उनके दरवाजे पर जाकर गर्भ निरोधक गोलियां, कंडोम और आपातकालीन गर्भनिरोधक गोलियों का वितरण कर रही हैं। श्री नड्डा ने कहा कि आशा कार्मिक दंपत्तियों को प्रथम बच्‍चे के जन्‍म में कम से कम दो वर्ष की देरी और पहले और दूसरे बच्‍चे के जन्‍म के बीच कम से कम तीन वर्ष के अंतराल जैसी महत्‍वपूर्ण सलाह देने का भी कार्य कर रही हैं।

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