- June 23, 2015
माटी कला प्राचीन एवं पारम्परिक सभ्यता का प्रतीक :- मंत्री सुश्री कुसुम महदेले
कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री सुश्री कुसुम महदेले ने माटी कला को प्राचीन एवं पारम्परिक सभ्यता का प्रतीक बताया है। उन्होंने कहा कि शिल्पियों की सशक्त अभिव्यक्ति का माध्यम है माटी कला। सुश्री महदेले आज गौहर महल में माटी कला बोर्ड द्वारा लगायी गयी प्रदर्शनी ‘माटी की महक” का शुभारंभ कर रही थीं। सुश्री कुसुम महदेले ने माटी-शिल्पियों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि माटी से जुड़ी प्रत्येक कला हमारे जीवन में रची-बसी है। इस पारम्परिक और आधुनिक कला को प्रोत्साहित किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि कला चाहें माटी की हो अथवा केनवास पर उकेरे गये रंगों की हो, वह हमेशा कलाकार की सोच और अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करती है। भारतीय संस्कृति और इतिहास में माटी कला का योगदान उल्लेखनीय रहा है। राज्य सरकार माटी-शिल्पियों, कारीगरों एवं कामगारों के आर्थिक तथा सामाजिक उत्थान के लिये प्रयत्नशील है। माटी-शिल्पियों को नवीन तकनीक, कौशल उन्नयन और प्रशिक्षण दिलवाने की व्यवस्था की गयी है। माटी उद्योग के माध्यम से स्व-रोजगार उपलब्ध करवाने के लिये माटी कला बोर्ड का गठन भी किया गया है। सुश्री महदेले ने प्रदर्शनी का अवलोकन कर माटी-शिल्पियों से चर्चा कर उनकी कला की सराहना की। उन्होंने प्रदर्शनी में लगाये गये टेराकोटा, सिरेमिक, मुलेला टाइल्स, ग्लेज्ड टेराकोटा और ब्ल्यू पार्टरी के स्टॉल पर जाकर शिल्पियों से सामग्री के निर्माण की तकनीक की जानकारी ली। प्रदर्शनी में 37 स्टॉल लगाये गये हैं। इसमें प्रदेश के शिल्पियों के अलावा राजस्थान, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र आदि राज्य के कारीगरों की भागीदारी है। प्रदर्शनी 28 जून तक प्रतिदिन दोपहर 2 बजे से दर्शकों के लिये खुली रहेगी। प्रदर्शनी के उदघाटन पर खादी ग्रामोद्योग बोर्ड की प्रबंध संचालक श्रीमती सुधा चौधरी भी उपस्थित थी। |
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प्रलय श्रीवास्तव |