- August 9, 2016
महिला एसएचजी के मूल स्वरुप को कायम रखते हुए सहकारिता के दायरे में लाया जाएगा -सचिव
जयपुर, 9 अगस्त। राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों के गरीबी उन्मूलन और आजीविका के मूल स्वरुप को कायम रखते हुए इनके आर्थिक-सामाजिक स्तर को समुन्नत करने के लिए सहकारिता के दायरें में लाया जाएगा। इसके लिए राइसम में मंगलवार को वर्कशॉप ऑन को-ऑपरेटिव फ्रेमवर्क एण्ड एसएचजी फैडरेशन पर एक दिवसीय कार्यशाला संपन्न हुई।
सहकारिता सचिव श्री अभय कुमार ने बताया कि राज्य में महिलाओं के स्वयं सहायता समूहों पर ग्राम संगठन व उनके कलस्टर स्तरीय फैडरेशन कार्य कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन समूहों में वित्तीय समावेशन कार्य को गति देने के लिए बैंकिंग, मार्केटिंग, कन्ज्यूमर लिकेंजेज बढ़ाने के लिए बहुउद्देशीय महिला सहकारी समिति का गठन किया जाएगा।
श्री अभय कुमार ने बताया कि विभाग द्वारा आदर्श उपनियम तैयार कर लिए गए हैं। उन्होंने बताया कि इन उपनियमों का अध्ययन कर अंतिम रुप देने के लिए एक कार्यदल का गठन किया गया है जिसमें सहकारिता विभाग, ग्रामीण विकास विभाग, राजीविका, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। उन्होंने बताया कि यह दल शीघर््र ही अपने सुझाव देगा जिसके आधार पर सहकारी समितियों का गठन किया जाएगा।
सहकारिता सचिव श्री अभय कुमार ने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूहों को सहकारिता से जोड़ने से उन्हें आसानी से साख सुविधा, विपणन सुविधा, उपभोक्ता सेवाआें आदि से जोड़ा जा सकेगा ताकि सही मायने में आर्थिक सामाजिक विकास हो सके।
ग्रामीण विकास सचिव श्री राजीव ठाकुर ने बताया कि महिला स्वयं सहायता समूहों का अंतिम लक्ष्य गरीबी के विरुद्ध हथियार के रुप में विकसित करना है। उन्होंने बताया कि राजीविका के तहत राज्य में 50 से अधिक कलस्टर फैडरेशन काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि राजीविका में अब मनरेगा के तहत भी कार्य कराए जाने लगे हैं।
रजिस्ट्रार डॉ. रेखा गुप्ता ने बताया कि सहकारिता विभाग ने महिला स्वयं सहायता समूहों की बहुउद्देशीय सहकारी समितियों के रुप में गठन के लिए आदर्श उपनियम तैयार कर लिए हैं। उन्होंने बताया कि समूहों का मूल स्वरुप बना रहेगा और सहकारी दायरें में आने से महिला सशक्तिकरण को ओर अधिक गति मिल सकेगी। डॉ. रेखा गुप्ता ने बताया कि सहकारी दायरें में लाने से फण्ड फ्लो का विस्तार होगा और अधिक कारगर तरीके से महिला सशक्तिकरण की दिशा में काम हो सकेगा।
कार्यशाला में सिविल सोसायटी सदस्य श्री विश्वजीत सेन, संजय शर्मा, यतेश यादव, राजीविका के तुमुल और मनोज अग्रवाल, नाबार्ड की सहायक महाप्रबंधक स्मृति भगत, महिला स्वयं सहायता समूहों के प्रतिनिधि, सहकारी बैंकों, ग्रामीण विकास व सहकारिता विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने हिस्सा लेते हुए समूहों के मूल स्वरुप को बनाए रखते हुए सहकारिता के दायरें में लाने की आवश्यकता प्रतिपादित की। कार्यशाला में एसएसजी और सहकारी समितियों के स्वरुप को लेकर विस्तार से विचार विमर्श किया गया।