• February 2, 2015

मन की बात: शिक्षकों के हित के साथ शिक्षा के हित के लिए भी कार्य हो -शिक्षा राज्य मंत्री

मन की बात: शिक्षकों के हित के साथ शिक्षा के हित के लिए भी कार्य हो  -शिक्षा राज्य मंत्री

जयपुर – शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने शिक्षक संघों का आह्वान किया है कि वे शिक्षकों के हित के साथ शिक्षा हित के लिए भी कार्य करे। उन्होंने प्रदेश में शैक्षिक गुणवत्ता वृद्धि, स्कूलों में नामांकन वृद्धि और ठहराव सुनिश्चित करने के लिए भी उनके योगदान की आवश्यकता जताई। उन्होंने कहा कि हम सभी का लक्ष्य यही होना चाहिए कि राजस्थान शिक्षा के क्षेत्र में देश के प्रथम 10 अग्रणी राज्यों में से एक हो। इसके लिए ईमानदारी से कार्य किए जाने की जरूरत है।

प्रो. देवनानी  शनिवार को यहां शिक्षा संकुल में शिक्षक संघों के साथ संवाद बैठक में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि विद्यालयों में नामांकन वृद्धि, के साथ ही गुणात्मक सुधार जरूरी है। उन्होंने शिक्षा में मिशनरी भाव से कार्य किए जाने और सुधारों की प्रक्रिया को निरंतर जारी रखे जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि राज्य में एकीकरण की नौबत इसलिए आई कि बहुत से विद्यालय ऐसे थे जहां पर एक भी विद्यार्थी नहीं था और हजारों ऐसे भी थे जहां पर 30 से भी कम विद्यार्थी थे। उन्होने शिक्षण संस्थाओं में गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने लिए सभी को मिलकर प्रयास किए जाने पर जोर दिया।

श्री देवनानी ने कहा कि विद्यालयों में कार्यरत शिक्षक बच्चों को पढ़ाने के साथ ही प्रदेश स्कूलों में नामांकन वृद्धि, के लिए स्थानीय जन प्रतिनिधियों, अभिभावकों से व्यक्तिगत संवाद कायम करे। विद्यालयों को इस रूप में विकसिंत करें कि वहां पर अभिभावक अपने बच्चों को भेजने के लिए लालायित रहे। उन्होंने कहा कि नियम-कानूनों से नहीं शिक्षक स्वयं की प्रेरणा से शैक्षिक विकास में अपना योगदान दे। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि प्रदेश के स्कूलों में नामांकन बढ़े, गुणात्मक सुधार हो तथा शिक्षण व्यवस्था ठीक हो। इसमें शिक्षक संघ अपना सतत सहयोग दें।

संवाद में शिक्षक संघों से मन की बात

शिक्षा राज्य मंत्री प्रो. वासुदेव देवनानी ने शिक्षक संघों से शनिवार को मन की बात की। संवाद में उन्होंने कहा कि वह स्वयं शिक्षक रहे हैं, इसलिए उनका शिक्षक संघों से सीधा नाता है। शिक्षक संघ के प्रतिनिधियों ने भी कहा भी शिक्षा राज्य मंत्री की इस सकारात्मक पहल के साथ वे मन से जुड़े हैं। सौहाद्र्रपूर्ण संवाद में शिक्षक संघों ने प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही नामांकन वृद्घि और ठहराव सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा मंत्री द्वारा उठाए गए कदमों में पूर्ण सहयोग का विश्वास दिलाया।

बैठक में विभिन्न शिक्षक संघो के प्रतिनिधियों ने एक-स्वर में राज्य सरकार स्तर पर शिक्षक संघों से संवाद की पहल की सराहना करते हुए कहा कि संवादहीनता ही शिक्षा में गुणवत्ता की सबसे बड़ी बाधा है। उन्होंने नामांकन वृद्घि एवं विद्यालयों में बच्चों के ठहराव के लिए रचनात्मक सुझाव दिए। इसके अंतर्गत शिक्षकों को शिक्षा के कार्य में ही लगाए जावे, शिक्षा के हित में शिक्षक स्थानान्तरण नीति बनाने, सरकारी एवं निजी विद्यालयों के समय और गणवेश में समानता के साथ अच्छे परिणाम देने वाले शिक्षकों को प्रोत्साहन जैसे सुझाव शिक्षक संघ प्रतिनिधियों ने विशेष रूप से दिए।

  बैठक में शिक्षक संघ (सियाराम) के श्री सियाराम शर्मा, राजस्थान शिक्षक संघ(शेखावत) के श्री रामस्वरूप चतुर्वेदी, राज. शिक्षक संघ(सनाढ्य) के श्री छिगन लाल रोज, पंचायतीराज कर्मचारी संघ के श्री मूलचंद गुर्जर, राजस्थान प्रयोगशाला सहायक संघ के श्री  अंजनी कुमार शर्मा, राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के शशिभूषण शर्मा, शिक्षक संघ(अरस्तु) के श्री रामकृष्ण अग्रवाल, राजस्थान शारीरिक शिक्षक संघ के श्री कमल किशोर पारीक, रणवीर सिंह एवं श्री विपीन कुमार शर्मा आदि ने  सुझाव दिए।

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