मध्य क्षेत्रीय परिषद की 21वीं बैठक —680 मुद्दों में से 428 मुद्दों का समाधान

मध्य  क्षेत्रीय  परिषद  की  21वीं  बैठक —680  मुद्दों  में  से  428  मुद्दों  का समाधान

लखनऊ : ——मध्य क्षेत्रीय परिषद की 21वीं बैठक आज यहां योजना भवन में केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। बैठक में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में वहां के गृह एवं परिवहन मंत्री श्री भूपेन्द्र सिंह तथा छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के प्रतिनिधि के रूप में वहां के गृह मंत्री श्री रामसेवक पैकरा ने प्रतिभाग किया।

इस अवसर पर बैठक की मेजबानी के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि क्षेत्रीय परिषदों का उद्देश्य राज्यों के बीच पारस्परिक सहयोग बढ़ाकर विचार-विमर्श के माध्यम से समस्याओं का समाधान करना है।

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की वर्तमान केन्द्र सरकार ने सहकारी संघवाद को बढ़ावा देने के लिए क्षेत्रीय परिषदों को सक्रिय किया है। पिछले चार वर्षों के दौरान मध्य क्षेत्रीय परिषद की दो बैठकें तथा इसकी स्थायी समिति की तीन बैठकें आयोजित की गई हैं। अन्य क्षेत्रीय परिषदों की 11 बैठकें तथा 15 स्थायी समिति की बैठकें भी हुई हैं। इन सभी बैठकों में 680 मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया है। इनमें से 428 मुद्दों का समाधान भी हुआ है।

इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि हमारे देश की राज व्यवस्था संघीय है। इसमें केन्द्र और राज्यों के अपने-अपने दायित्व है। राज्य तमाम जनहित के मुद्दों पर कानून बनाकर लागू करते हैं, किन्तु केन्द्र तथा राज्य अथवा राज्यों के बीच पारस्परिक महत्व के विषयों पर निर्णय लेने में, परस्पर गतिरोध की स्थिति में संवाद के माध्यम से समाधान में अन्तर्राज्य परिषद की महत्वपूर्ण भूमिका है।

मुख्यमंत्री जी ने कहा कि देश का सर्वाधिक आबादी वाला राज्य होने के कारण प्रदेश के सामने शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, कानून-व्यवस्था से जुड़ी बड़ी चुनौतियां हैं। प्रदेश की अधिसंख्य आबादी कृषि पर निर्भर है। किसानों के कल्याण के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार ने अनेक कदम उठाए हैं।

राज्य सरकार ने किसानों के हित में उनकी ऋण माफी, डी0बी0टी0 के माध्यम से भुगतान, न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उनकी उपज की खरीद आदि कार्य किए हैं। उन्होंने कहा कि संवाद से बड़ी से बड़ी समस्या का समाधान सम्भव है। सिविल सैन्य सम्पर्क सम्मेलन के माध्यम से लखनऊ क्षेत्र में रुकी पड़ी परियोजनाओं को पुनः प्रारम्भ कराने तथा उत्तराखण्ड राज्य के साथ
17 वर्ष से लम्बित मामलों के समाधान का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने संवाद के माध्यम से वर्षों से लम्बित समस्याओं का समाधान किया है।

राज्य सरकार ने प्रदेश में विद्युत आपूर्ति में सुधार एवं प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त करने की दिशा में ऐतिहासिक कार्य किया है। प्रदेश में औद्योगिक विकास एवं निवेश के उद्देश्य से फरवरी, 2018 में यू0पी0 इन्वेस्टर्स समिट का उद्घाटन किया गया था। इसका उद्घाटन आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा किया गया। साथ ही, इसके समापन पर माननीय राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविन्द जी का भी मार्गदर्शन प्राप्त हुआ। प्रदेश सरकार ‘एक जनपद-एक उत्पाद योजना’ के माध्यम से शिल्पकारों, कामगारों तथा कारीगरों को स्वरोजगार तथा स्वावलम्बन के लिए कार्य कर रही है। प्रदेश में एयर कनेक्टिविटी के विस्तार के लिए अनेक परियोजनाओं को मूर्त रूप दिया जा रहा है।

मध्य क्षेत्रीय परिषद की 21वीं बैठक में, 19 जनवरी, 2015 को सम्पन्न 20वीं बैठक में लिए गए निर्णयों के कार्यान्वयन की समीक्षा की गई। इसमें सड़कों के घनत्व को बढ़ाना और मौजूदा सड़कों को अपग्रेड करना, वामपंथी उग्रवाद का सामना करने के लिए सहायता, पुलिस बलों का आधुनिकीकरण, बस्तर में सामुदायिक परिसम्पत्तियों के निर्माण के लिए मनरेगा व्यवस्था में परिवर्तन, राज्य में विमानपत्तन अवसंरचना को उन्नत बनाया जाना, खाद्यानों के भण्डारण से सम्बन्धित मुद्दे, वन सम्बन्धी अनापत्ति से जुड़े मुद्दे, भागीरथी पर्यावरण संवेदी क्षेत्र की अधिसूचना में पाई गई विसंगतियों को दूर करना, केन्द्रीय पूल की मूल्य समर्थन योजना के अन्तर्गत प्राप्त किए गए मोटे अनाज का निस्तारण, पोर्टा केबिन का छात्रावास की सुविधाओं वाले माध्यमिक विद्यालयों के रूप में अपग्रेडेशन, छत्तीसगढ़ में हवाई टैक्सी सेवा, छत्तीसगढ़ की नई राजधानी के लिए विशेष पैकेज पर विचार विमर्श किया गया।

इसके अलावा राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के अन्तर्गत राज्य-विशेष की आवश्यकताओं के आधार पर लचीलापन प्रदान करना, अन्तर्देशीय कंटेनर डिपो रायपुर में अनश्रेडेड स्क्रैप के लिए आयात की अनुमति, सी0सी0टी0 एन0एस0 के लिए बेहतर कनेक्टिविटी, राज्यों में शिक्षा से सम्बन्धित मुद्दे, वन संरक्षित क्षेत्रों के अन्दर के गांवों का बाहर पुनस्र्थापन, वन क्षेत्रों में बिजली की लाइनों का इंसुलेशन, उत्तर प्रदेश विद्युत निगम लिमिटेड द्वारा मध्य प्रदेश को बकाया की राशि का भुगतान, बन्देलखण्ड पैकेज के लिए राज्यों को भारत सरकार से अवशेष धनराशि दिया जाना, राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन नीति, 2005 आदि से सम्बन्धित मुद्दों पर भी चर्चा की गई। चर्चा के बाद कुल 22 मुद्दों में से, 20 मुद्दे सुलझा लिए गए।

परिषद की इस बैठक से पहले इसकी स्थायी समिति की क्रमशः 2 बैठकें रायपुर में तथा नई दिल्ली में सम्पन्न हुईं। इन बैठकों में परिषद की 20वीं बैठक के अनसुलझे विषयों में से 20 विषयों को सुलझा लिया गया। इन विषयों में रेलवे द्वारा नया रायपुर में पुरानी छोटी लाईन की भूमि की वापसी, कैम्पा की धनराशि जारी करना, कारागार आधुनिकीकरण योजना-फेज।।, पर्यावरण सम्बन्धी अनापत्ति जारी करते समय अपनाई जाने वाली प्रक्रिया का संशोधन, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम, 2013 के कार्यान्वयन से सम्बन्धित मुद्दे, छात्रावास की सुविधा प्रदान करने के लिए माॅडल स्कूल स्कीम का पुनर्निरीक्षण, निःशुल्क एवं अनिवार्य बालशिक्षा अधिकार अधिनियम, 2009 में संशोधन, प्रस्तावित नई परिवहन और सड़क सुरक्षा नीति प्रावधानों पर पुनर्विचार, उत्तर प्रदेश में भूमिगत जल का रिचार्ज, जमरानी बांध परियोजना के सम्बन्ध में उत्तर प्रदेश और उत्तराखण्ड के बीच समझौता ज्ञापन, उत्तर प्रदेश पावर ट्रांसमिशन काॅर्पाेरेशन लिमिटेड द्वारा रेलवे कर्षण उप-केन्द्रों के लिए ट्रांसमिशन लाईनों का निर्माण, नई रेलवे लाईन परियोजनाओं के लिए भू-अधिग्रहण, क्षेत्रीय परिषद और उसकी स्थायी समिति में सचिव, आई0सी0एस0 की भूमिका का पुननिर्धारण आदि शामिल हैं।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री श्री केशव प्रसाद मौर्य एवं डाॅ0 दिनेश शर्मा, ग्राम विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डाॅ0 महेन्द्र सिंह, केन्द्रीय गृह मंत्रालय के सलाहकार श्री हरि कृष्ण पालीवाल, प्रदेश के मुख्य सचिव डाॅॅ0 अनूप चन्द्र पाण्डेय, पुलिस महानिदेशक श्री ओ0पी0 सिंह, उत्तराखण्ड के मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, अन्तर्राज्य परिषद के सचिव श्री आर0 बुहरिल, केन्द्रीय गृह, राजस्व, वित्त, नागरिक उड्डयन, वाणिज्य, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण, ग्राम्य विकास, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, वन, पर्यावरण एवं जलवायु, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण, आवास एवं शहरी विकास आदि मंत्रालयों के अधिकारी, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

ज्ञातव्य है कि राज्यों के बीच अन्तर्राज्य आपसी सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के लिए राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 के तहत 5 क्षेत्रीय परिषदें (पश्चिमी, पूर्वी, उत्तरी, दक्षिणी एवं मध्य) स्थापित की गई हैं। क्षेत्रीय परिषदें आर्थिक और सामाजिक नियोजन, सीमा विवाद, भाषायी अल्पसंख्यक एवं अन्तर्राज्य परिवहन आदि के क्षेत्र में आम हित के किसी भी मामले पर चर्चा करने और सिफारिश करने के लिए अधिकृत हैं। ये एक दूसरे से जुड़े राज्यों के बीच सहकारी प्रयास के लिए प्रभावी मंच हैं।

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