मध्यप्रदेश के लाडो योजना पर हरियाणा सरकार रवाना :- श्रीमती माया सिंह

मध्यप्रदेश के लाडो योजना पर हरियाणा सरकार  रवाना :- श्रीमती माया सिंह

लाडो योजना हरियाणा सरकार अपने राज्य में लागू करेगी। लाड़ली लक्ष्मी, बेटी बचाओ के बाद यह तीसरी योजना है जिसे राष्ट्रीय-स्तर पर स्वीकार्यता मिली और कई राज्य ने इन्हें अपनाया। महिला-बाल विकास श्रीमती माया सिंह ने यह जानकारी देते हुए बताया कि योजना के अध्ययन के लिये हरियाणा महिला-बाल विकास विभाग का एक दल अगस्त के अंतिम सप्ताह में मध्यप्रदेश आयेगा। उल्लेखनीय है कि हाल ही में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने लाडो अभियान को वर्ष 2014 के प्रधानमंत्री लोक सेवा उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित किया है। ब्रिटेन की गृह मंत्री ने भी अपने मध्यप्रदेश के दौरे पर लाडो अभियान के बेहतर परिणाम की सराहना की। 

महिला-बाल विकास मंत्री ने बताया कि फरवरी 2013 में लाडो योजना मध्यप्रदेश में लागू की गई। योजना का मुख्य उद्देश्य सामाजिक बुराई बाल विवाह को जड़ से समाप्त करना है। इसके लिये पिछले 3 वर्ष से 51 जिले में लगातार अभियान चलाया जा रहा है। हर गाँव, वार्ड में कोर ग्रुप बनाकर लोगों की मानसिकता में बदलाव की पहल की जा रही है। बाल-विवाह रोकने के लिये सख्त प्रशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की गई।

लाडो अभियान को सफल बनाने के लिये सुनियोजित रणनीति अपनायी गई है। अभियान से स्कूल के प्राचार्य, अशासकीय संस्था के प्रतिनिधि, समाज के मुखिया, धर्मगुरु, स्वास्थ्य कार्यकर्ता और गाँव के प्रमुख व्यक्तियों को जोड़ा गया है। बाल-विवाह की सूचना तत्काल मिल सके इसके लिये मोबाइल और फोन नम्बर का व्यापक प्रचार-प्रसार किया गया। बाल-विवाह संभावना वाले क्षेत्रों को चिन्हित कर उन पर विशेष निगरानी रखी गई। यहाँ तक की विवाह पत्रिका मुद्रित करने वाले प्रिटिंग प्रेस को पत्रिका में उम्र का उल्लेख करने, हलवाई, बेंड-बाजा, टेंट, घोड़ी वाले और परिवहन वालों से अपील की गई कि वे बाल-विवाह समारोह में अपनी सेवाएँ न दें।

बेहतर मिले परिणाम

लाडो अभियान से जुड़े 4 लाख 7 हजार कोर ग्रुप के सदस्यों के जरिये 35 हजार कार्यशाला की गई। जागरूकता अभियान में 16 लाख से अधिक लोगों ने भागीदारी की। बाइस हजार से अधिक स्कूल में जागरूकता अभियान और कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी गई। परिणामस्वरूप पिछले दो साल में 51 हजार 835 बाल-विवाह रोकने में सफलता मिली। अभियान की एक और उपलब्धि रही कि एक लाख 11 हजार 430 बच्चे स्कूल में दाखिल करवाये गये। कई बालिकाओं ने आगे बढ़कर अपना विवाह कोर्ट के जरिये शून्य करवाया।

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