- July 14, 2020
मधुबनी + पंडौल विधान सभा = मधुबनी विधान सभा – 36
***** 2005 में परिसीमन के तहत पंडौल विधान सभा को मधुबनी विधान सभा में सम्मिलित किया गया ।
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मधुबनी और पंडौल विधान सभा में आज तक इतने विधायक हो चूकें हैं लेकिन इस धारा को न उर्वर बनाने में दक्षता हासिल की और न उद्योग उत्पाद क्षेत्र में।
सत्ता की लोलुपता देखिये की ये कितने बार पार्टी बदलें हैं।
क्या ये विधायक और ऐसे पार्टी मधुबनी विकास कर सकते हैं या कोई मूलभूत समस्या हल किए है ?
फिर बार बार जनता को झांसा देने का क्या तुक ?
ये सभी दल सत्ता सुख में लिप्त रहे और क्षेत्र से सभी उद्योग समाप्त होता रहा।
इन तमाम पार्टी के विधायक औद्योगिकीकरण के लिए सड़क पर कभी दिखे नहीं।
सिर्फ मूक द्रष्टा बने रहे । लेकिन वोट के वक्त जनता को झांसा देने मे तीसमार खाँ निकले।
इन लोगों की निष्क्रियता के कारण मधुबनी जिले की 85 % प्रतिशत आवादी का पलायन हुआ।
क्या विधायक और सांसद का यही कर्तव्य है की वोट लें और पटना , दिल्ली मे मस्ती करें ।
बिहार के हर विधान सभा क्षेत्र के लिए अदम्य सहासी युवा नेतृत्व की जरूरत है जो वर्तमान मे किसी पार्टी मे नहीं है ।