मद्यपान और मादक पदार्थों के दुरुपयोग रोकथाम —- राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह

मद्यपान और मादक पदार्थों के दुरुपयोग रोकथाम —- राष्ट्रीय पुरस्कार समारोह

पीआईबी ——-नई दिल्ली ———–

1. मादक पदार्थों के दुरुपयोग की चुनौती के कारण दिसंबर, 1987 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में 26 जून को, यानि आज के दिन को मादक पदार्थों के दुरुपयोग और अवैध व्यापार के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। यह पूरे विश्व समुदाय का इस समस्या के विरुद्ध एक सामूहिक संकल्प है। भारत की आबादी और भौगोलिक स्थिति के कारण इस विश्व-संकल्प में हमारी भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है।
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2. भारत में मद्यपान तथा मादक पदार्थों के दुरुपयोग की रोकथाम के क्षेत्र में, असाधारण योगदान देने के लिए आज राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित व्यक्तियों और संस्थाओं के प्रतिनिधियों को, मैं बधाई देता हूं। आज पुरस्कार पाने वाले सभी व्यक्ति तथा संस्थाएं एंटी-ड्रग-मूवमेंट में हमारे एंबेसडर हैं।

3. आज के पुरस्कारों से इस मनोवैज्ञानिक, सामाजिक और मेडिकल समस्या की गंभीरता और विस्तार का जायज़ा मिलता है। हमने आज की फिल्म में यह देखा कि इस समस्या के उदाहरण गोआ से ओडिशा तक और पंजाब से केरल तक फैले हुए हैं। लेकिन साथ ही इस समस्या के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए व्यापक स्तर पर तैयार हो रही भागीदारी भी देखने को मिली है। समाज को नशा मुक्त बनाने के लिए पंचायती राज संस्थाओं, शिक्षण संस्थानों, ग़ैर सरकारी संस्थाओं, कम्यूनिटी बेस्ड ऑर्गनाइजेशन्स, शोध संस्थानों, जागरूकता बढ़ाने में तत्पर संस्थाओं तथा व्यक्तिगत स्तर पर योगदान देने वाले विशेषज्ञों और सामान्य नागरिकों को इस भागीदारी के लिए प्रेरित करने हेतु सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय की मैं सराहना करता हूं।

4. विश्व इतिहास में, दूसरे देशों पर अधिकार प्राप्त करने के लिए वहाँ नशीले पौधों की खेती कराने तथा वहाँ के समाज में नशा करने वालों की तादाद बढ़ाने के अप्रिय उदाहरण मिलते हैं। आज भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ‘ड्रग माफिया’ के दुष्प्रभाव के बारे में पूरा विश्व समुदाय चिंतित रहता है।

5. मादक पदार्थ पैदा करने वाले म्यांमार-लाओस-थाईलैंड के ‘गोल्डन ट्राएंगल’ और ईरान-अफगानिस्तान-पाकिस्तान के ‘गोल्डन क्रेसेंट’ कहे जाने वाले क्षेत्रों के बीच भारत की संवेदनशील भौगोलिक स्थिति के कारण हमारे लिए यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। सीमावर्ती क्षेत्रों में नशीले पदार्थों की तस्करी के कारण इनके दुरुपयोग में बढ़ोतरी के साथ-साथ आतंकवाद और राजनीतिक अशांति की समस्याएँ भी जुड़ जाती हैं। इसीलिए पंजाब और मणिपुर जैसे सीमावर्ती राज्यों में और भी अधिक सतर्कता और निरंतर प्रयासरत रहने की आवश्यकता है।

6. नशीले पदार्थों और शराब के व्यसन की समस्या व्यक्ति, परिवार, और समाज को स्वास्थ्य, संस्कृति, विकास और राजनीति सहित अनेक क्षेत्रों में प्रभावित करती है। यह समस्या गरीबी को बढ़ावा देने के साथ-साथ राष्ट्रीय सुरक्षा, देश के मानवीय संसाधनों और लोक-कल्याण के लिए एक चुनौती है। हमारे संविधान के अनुच्छेद 47 में भी प्रावधान किया गया है कि ‘राज्य मादक पेयों और स्वास्थ्य के लिए हानिकारक औषधियों के उपभोग का प्रतिषेध करने का प्रयास करेगा।’ इस समस्या का सामना करने के लिए International Conventions तथा राष्ट्रीय अधिनियम एवं नीतियां लागू हैं। परंतु प्रभावी समाधान के लिए समाज और समुदायों की सक्रिय भागीदारी होना आवश्यक है। समाज की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करने में आज के इन राष्ट्रीय पुरस्कारों की विशेष भूमिका है।

7. अवैध मादक पदार्थों के दुरुपयोग से स्वास्थ्य की भारी चुनौतियां पैदा हो रही हैं। खासकर युवा पीढ़ी और स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों पर इस खतरे का अधिक बुरा असर पड़ता है। अक्सर युवाओं तथा बच्चों द्वारा साथियों के दबाव में अवैध मादक पदार्थों का दुरुपयोग शुरू किया जाता है। प्राय: ऐसे युवाओं में इन पदार्थों से होने वाली हानि के बारे में जागरूकता भी नहीं होती है। सामाजिक और आर्थिक वातावरण में हो रहे निरंतर बदलाव तथा हर क्षेत्र में बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के कारण, युवा-वर्ग में मनोरोगियों की संख्या भी बढ़ी है और मादक पदार्थों तथा मद्यपान का प्रचलन भी। इसीलिए इस समस्या के सामाजिक और मनोवैज्ञानिक समाधान उतने ही ज़रूरी हैं जितने कानून और चिकित्सा के द्वारा किए जाने वाले उपाय। नशाग्रस्त युवाओं की प्रभावी नशामुक्ति के लिए उन्हे सार्थक रूप से रोजगार-युक्त बनाकर समाज के साथ जोड़ने की जरूरत है।

8. नशीले पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या को जागरूकता, रोकथाम की जानकारी, प्रोत्साहन, तथा समर्थन के प्रयासों से हल किया जा सकता है। इन प्रयासों में नशा-प्रभावित लोगों प्रति करुणा और सहानुभूति भी आवश्यक है। माता-पिता, शिक्षकों, चिकित्सकों, स्थानीय और स्वैच्छिक संस्थाओं के लोगों को ट्रेनिंग दे कर चिकित्सा और पुनर्वास के प्रयासों में बड़े पैमाने पर शामिल किया जाना चाहिए। मुझे खुशी है कि इन दिशाओं में आगे बढ़ने के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा कदम उठाए जा रहे हैं।

9. मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि केंद्र सरकार द्वारा ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल डिफेंस’ के माध्यम से शिक्षण संस्थानों में जागरूकता बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। इन प्रयासों में एनएसएस और स्पिक-मैके जैसी संस्थाओं का सहयोग लिया गया है। रेडियो पर एक शिक्षाप्रद और प्रेरक कार्यक्रम प्रसारित हो रहा है। लगभग चार सौ नशा-मुक्ति एवं पुनर्वास केंद्र चलाए जा रहे हैं। और भी अनेक प्रयास किए जा रहे हैं। मैं इन सभी प्रयासों के लिए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय की सराहना करता हूँ। इन प्रयासों को और बड़े पैमाने पर आगे बढ़ाने की ज़रूरत है। मुझे बताया गया है कि नशीले पदार्थों के दुरुपयोग की समस्या के प्रामाणिक आकलन के लिए एक व्यापक सर्वेक्षण पर काम चल रहा है। इससे प्राप्त होने वाले परिणामों से हमारे राष्ट्रीय प्रयासों को और अधिक स्पष्ट फोकस के साथ आगे बढ़ाया जा सकेगा।

10. आज मादक पदार्थों के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धता व्यक्त करने के अवसर पर अपने देश से ऐसे पदार्थों और मद्यपान के व्यसन से अपने समाज और देश को मुक्त कराने का हम सभी संकल्प करें। मुझे पूरा विश्वास है कि मंत्रालय द्वारा किए जा रहे प्रयासों से समाज के विभिन्न क्षेत्रों की भागीदारी को बल मिलेगा। ऐसे प्रयासों और बेहतर भागीदारी के बल पर हम मद्यपान और मादक पदार्थों के दुरुपयोग से मुक्त भारत के सपने को साकार कर सकेंगे।

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