भीष्म पितामह का अंत –

भीष्म पितामह का अंत –

​राजनीतिक शुचिता की मिसाल देते हुए जैन डायरी में नाम आने पर आडवाणी ने 1996 में गांधीनगर सीट से इस्तीफा दे दिया था।

1998 में क्लीन चिट मिलने पर ही वह मैदान में उतरे।

​1999, 2004, 2009 और 2014 का चुनाव यहीं से जीतते रहे।

गुजरात की गांधीनगर लोकसभा सीट से लालकृष्ण आडवाणी के न उतरने के साथ ही उनकी चुनावी राजनीति का अंत हो गया है।

पार्टी के पितामह कहे जाने वाले आडवाणी की छत्रछाया से मुक्त होकर चुनाव लड़ना एक तरह से बीजेपी में पीढ़ीगत बदलाव पर आखिरी मुहर है।

राम मंदिर आंदोलन से बीजेपी को शून्य से शिखर तक ले जाने वाले आडवाणी ने 1989 में पहला लोकसभा चुनाव नई दिल्ली से लड़ा था और जीते भी।

उन्होंने 1991 में गांधीनगर का रुख किया और वहां से संसद पहुंचे।

राजनीतिक शुचिता की मिसाल देते हुए जैन डायरी में नाम आने पर आडवाणी ने 1996 में गांधीनगर सीट से इस्तीफा दे दिया था।

1998 में क्लीन चिट मिलने पर ही वह मैदान में उतरे। इसके बाद वह 1999, 2004, 2009 और 2014 का चुनाव यहीं से जीतते रहे।

अब इस सीट पर उनकी जगह अमित शाह लेंगे, जिन्होंने अपने शुरुआती दिनों में इस सीट पर चुनाव प्रबंधन का काम भी संभाला था।

Related post

जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल : कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ साझेदारी

जनवरी 2024 में 1,41,817 कॉल : कन्वर्जेंस कार्यक्रम के तहत 1000 से अधिक कंपनियों के साथ…

 PIB Delhi—एक महत्वपूर्ण सुधार में, राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन (एनसीएच) ने शिकायतों के समाधान में तेजी लाने…
‘‘सहकारिता सबकी समृद्धि का निर्माण’’ : संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 : प्रधानमंत्री

‘‘सहकारिता सबकी समृद्धि का निर्माण’’ : संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष 2025 : प्रधानमंत्री

 PIB Delhi:——— प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी 25 नवंबर को नई दिल्ली के भारत मंडपम में दोपहर…

Leave a Reply