भारत में कोयले की राख से निपटने का तौर तरीका अपर्याप्त

भारत में कोयले की राख से निपटने का तौर तरीका अपर्याप्त

कोयला आधारित बिजली प्रकल्पों को दंड देने और जुर्माना लगाने के बावजूद देश में राख(फ्लाई एश) को लेकर अक्सर दुर्घटनाएं हो रही हैं एक नए अध्ययन ने निवारक उपाय के तौर पर आर्थिक मुआवजे के कारगर होने पर सवाल उठाया है क्योंकि दीर्घकालीन कार्रवाई और लालफीताशाही की वजह से ऐसी पर्यावरणीय दुर्घटनाओं का होना बेरोकटोक जारी है, जैसे बहुत ही हाल में छत्तीसगढ़ के कोबरा जिला में हुई फ्लाई एश दुर्घटना है।
यह रिपोर्ट ऐसा न हो कि हम भूल जाए. भारत में कोयला.राख (कोल.एश) दुर्घटनाओं (मई 2019.मई 2021) की अनदेखी की स्थिति रिपोर्टश्. असर सोशल इंपैक्ट एडवाइजर्सए सेंटर फार रीसर्च ऑन इनर्जी एंड क्लीन एयर (सीआरईए) और मंथन अध्ययन केन्द्र द्वारा तैयार किया गया है। यह रिपोर्ट भारत में मई 2019 से मई 2021 के बीच कोयला आधारित बिजली प्रकल्पों में फ्लाई एश से जुड़ी दुर्घटनाओं की स्थिति के बारे में है। यह रिपोर्ट एक बड़े समूह फ्लाई एश वाच की ओर से जारी की गई है।
एनटीपीसी कोबरा प्रकल्प और एसीबी इंडिया बिजली प्रकल्प में 15 जून को राख की बांध में दरार आई जिससे पास के घर क्षतिग्रस्त हुएए खेतों में राख फैल गई स्थानीय लोग बुरी तरह प्रभावित हुए।

इस रिपोर्ट के लेखकों ने इसतरह की आठ दुर्घटनाओं का अध्ययन केस स्टडी के तौर पर किया है जो देश के छह राज्यों में हुई हैंए ताकि विस्तृत जानकारी एकत्र हो सके। इसमें न केवल राख से जुड़ी दुर्घटनाओं के प्रबंधन में अनेक कमियां होने पर रोशनी पड़ी हैए बल्कि इससे प्रभावित स्थानीय निवासियों की दुर्दशा और कष्टों को भी दर्ज किया गया है। इस रिपोर्ट ने प्रत्येक दुर्घटना के बाद कई महीनों या वर्षों तक की स्थिति की छानबीन की है जिससे इन मामलों को भूला न दिया जाए और व्यापक कार्रवाई हो सके।
इस अध्ययन के दौरान कोयले की राख;फ्लाई एशद्ध से संबंधित दुर्घटनाएं मध्यप्रदेश में एस्सार थर्मल.पावर स्टेशनए विध्यांचल थर्मल.पावर प्रोजेक्ट और रिलायंस ससान अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्टए उत्तर प्रदेश में अनपारा थर्मल.पावर प्रोजेक्टए ओडीसा में तालचर थर्मल.पावर प्रोजेक्टए झारखंड में बोकारो थर्मल.पावर स्टेशनए तमिलनाडु में उत्तर चेन्नई थर्मल पावर स्टेशन और बिहार में कहलगांव सुपर थर्मल पावर स्टेशन में हुई।
सह.लेखक मंथन अध्ययन केन्द्र सेहर रहेजा ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को देखते हुए भारत के लिए कोयला.मुक्त भविष्य की योजना अतिशीघ्र बनाने और कोयला की राख के प्रदूषण पर ध्यान केन्द्रीत करना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कोयला की राख के प्रबंधन की पध्दति में सुधार और निरंतर निगरानी की अतिशय आवश्यकता है क्योंकि हमारी रिपोर्ट में जिन दुर्घटनाओं की चर्चा की गई है वे इस तरह की पहली दुर्घटना नहीं हैं और अंतिम होने की संभावना भी नहीं है। कुछ राज्य आर्थिक मुआवजा का बोझ उठा रहे हैं तो कुछ भयानक पारिस्थितिकीय (इकोलोजिकल) संकट को झेल रहे हैं।
रिपोर्ट के अनुसार मध्यप्रदेश के तीन थर्मल पावर प्लांटों ने पर्यावणीय क्षति के लिए अंतरिम मुआवजा नुकसान के अनुपात में दस करोड़ तकद्ध का केवल दस से बीस प्रतिशत ही प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराया है जबकि दुर्घटना के 18 महीने से अधिक हो गए हैं और 80 से 90 प्रतिशत रकम जमा नहीं कराया गया है।
इसबीच बोकारो थर्मल.पावर स्टेशन ने अंतरिम मुआवजा के तौर पर एक करोड़ रुपए झारखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा कराया है लेकिन सभी प्रभावित निवासियों को मुआवजा नहीं मिल सका है। एक अन्य मामला बिहार के कहलगांव सुपर थर्मल पावर प्लांट का है जिसमें मुआवजा का भुगतान अभी जिला प्रशासन के पास लंबित है जबकि दुर्घटना नवंबर 2020 में हुई थी।

इस दौरान सभी छह राज्यों में पारिस्थितिकीय (इकोलॉजिकल) प्रभाव व्यापक रूप से दिखने लगा है।
उत्तर प्रदेश के अनपारा थर्मल पावर स्टेशन में फ्लाई एश की मात्रा बहुत कम होने के कारण फ्लाई एश को जानबूझकर रिहंद जलाशय में बहा दिया जाता है। इस रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मध्य प्रदेश के इस्सार एश पौंड में दरार आने के दो वर्ष बीतने और इसीतरह की दुर्घटना विंध्याचल और सासन में होने के बाद जिसमें लगभग 135 लाख टन राख सिंगरौली में प्रवाहित हुईए क्षति के सार्वजनिक आंकलन का अभी इंतजार ही है।
झारखंड में बोकारो थर्मल पावर स्टेशन में एश पौंड का निर्माण वर्षा के स्वरूप का ध्यान रखे बिना किया गया था यह सितंबर 2019 में टूट गया जिससे 20 परिवार प्रभावित हुए और 40 एकड़ जमीन डूब गई। इसीतरह 24 अगस्त 2020 को उत्तर चेन्नई थर्मल पावर स्टेशन से फ्लाई एश स्लरी ले जाने वाले पाइपलाइन में दरार आ गई जिससे सेपाक्कम गांव डूब गया जिसमें 60 से अधिक घर हैं। अनेक वैज्ञानिक रिपोर्टों एनजीटी द्वारा गठित समितियों द्वारा ने हानिकारक हेवी मेटल का प्रदूषण इनौर क्रीक के पानी वनस्पति और जीव.जंतु में पाया है। इसके अलावा राख के जमा रहने से लोगों के स्वास्थ्य आजीविका और क्रीक प्रभावित हो रहा है।

रिपोर्ट यह भी बताता है कि बिहार के कहलगांव सुपर थर्मल पावर प्रोजेक्ट के एश डाइक में दरार आने से लगभग 200 एकड़ खेती की जमीन में राख का घोल ;एश स्लरीद्ध फैल गया जिससे खड़ी फसल बर्बाद हो गई।

सह.लेखक असर मेधा कपूर ने कहा कि फ्लाई एश से जुड़ी सभी दुर्घटनाओं में एक चीज समान है। वह पारदर्शिता जबाबदेही अनुपालन के प्रति औद्योगिक वचन बध्दता और ऐसी प्रशासनिक प्रणाली का अभाव है जो कानून को लागू करने दंड देने और निगरानी करने में तत्पर होए पर इसमें निरंतर कमी रही है।

रिपोर्ट में आगे की जाने वाली कार्रवाइयों के बारे में सिफारिश भी की गई है जिसमें कोल एश से जुड़ी दुर्घटनाओं में आपराधिक मामला चलाने एश पौंड के नियमित तकनीकी आंकलन की बाध्यता पारदर्शिता में बढ़ोतरी और सूचनाओं की सार्वजनिक उपलब्धता और संबंधित अधिकारियों को जिम्मेवार बनाए रखने करने के लिए नागरिक समाज द्वारा निरंतर सामुहिक प्रयास आदि शामिल हैं।
केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने 22 अप्रैल को थर्मल पावर स्टेशनों में जमा फ्लाई एश का उपयोग करने के बारे में अधिसूचना का मसौदा प्रकाशित किया। नई अधिसूचना के प्रारुप में एक प्रमुख प्रावधान थर्मल पावर प्लांटों को उस फ्लाई एश का उपयोग कर लेने के लिए दस वर्षों का समय देना है जो वर्षों से जमा होता गया है। अधिसूचना ने फ्लाई एश का 100 प्रतिशत उपयोग सुनिश्चित करने के लिए कोयला या लिग्नाइट आधारित थर्मल पावर प्लांट को तीन से पांच वर्षों का अतिरिक्त समय दिया और उसके अन्य प्रावधानों में श्फ्लाई एश प्रबंधन प्रणाली के टिकाऊपनश् को रखा गया है। इसे 22 अप्रैल से दो महीने के लिए सार्वजनिक टिप्पणियों के खुला रखा गया था।
मंथन अध्ययन केन्द्र के पॉलिसी रिसर्चर श्रीपाद धर्माधिकारी ने प्रारुप अधिसूचना में उपयोगिता शब्द के प्रयोग पर सवाल उठाया है। प्रारुप अधिसूचना जैसा अभी हैए उसमें फ्लाई.एश के उपयोग और निपटारा में फर्क नहीं किया गया है। यह उपयोग फ्लाई एश को किसी गहरे इलाके में छोड़ देने या बेकार खदान में डाल देने जैसा है। उन्होंने कहा कि यह फ्लाई एश को वहां से हटा देने से अधिक कुछ नहीं है। उन्होंने इस तरह के कचरे का निपटारा करने में अधिक सावधानी बरतने की जरूरत को रेखांकित किया है।

संपर्क :
बद्रि चटर्जी
Communications Strategist
Public Action to Address Climate Change
+91 9769687592

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