भारत की प्राचीन संस्कृति में हर विषय पर श्रेष्ठ विचार मौजूद

भारत की प्राचीन संस्कृति में हर विषय पर श्रेष्ठ विचार मौजूद

‌‌मुकेश मोदी ———————————— जनसम्पर्क एवं ऊर्जा मंत्री श्री राजेन्द्र शुक्ल ने कहा है कि भारत की प्राचीन संस्कृति में हर विषय पर श्रेष्ठ विचार मौजूद है। आवश्यकता है इन पर शोध कर इन्हें जन-सामान्य के ध्यान में लाया जाये। श्री शुक्ल आज माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय में ‘भारतीय शोध दृष्टि’ पर राष्ट्रीय विमर्श को संबोधित कर रहे थे। श्री मुकुल कानिटकर विशेष रूप से उपस्थित थे। गोष्ठी में कई राज्य के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।

श्री शुक्ल ने कहा कि स्वामी विवेकानंद ने शिकागो की धर्म सभा में भारतीय अध्यात्म पर प्रभावी विचारों से दुनिया में भारत की साख को मजबूत किया था। भारत की प्राचीन विधा योग को भी संयुक्त राष्ट्र संघ ने वैश्विक मान्यता दी है। अब प्रति वर्ष योग दिवस मनाया जायेगा।

पुर्नरूत्थान विद्यापीठ, अहमदाबाद की कुलपति सुश्री इन्दुमती ताई ने अपने बीज वक्तव्य में कहा कि शिक्षा के स्तर की जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से देश में किसी के ऊपर दिखाई नहीं देती है। अधिकृत संस्थाएँ प्राध्यापकों को जिम्मेदार बताती है और प्राध्यापक अन्य प्राधिकृत संस्थाओं को जिम्मेदार बताते हैं। उन्होंने कहा कि शोध प्रक्रिया के पहले पूरी शब्दावली पर विचार होना चाहिए। श्रेष्ठ ज्ञान सभी दिशाओं और क्षेत्रों से प्राप्त किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि भारतीय दृष्टि हमेशा वैश्विक रही है। यहाँ आध्यात्मिकता की वैश्विकता है जबकि आजकल भौतिक वैश्विकता अर्थात् बाजार की मांग होती है। 

उद्घाटन सत्र में विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बी.के. कुठियाला ने कहा कि यह एक स्थापित तथ्य है कि भारतीय संस्कृति और सभ्यता का जन्म कम से कम 5000 वर्ष पूर्व हुआ है जबकि शेष विश्व में मानवता की प्रारंभिक स्थिति थी। उन्होंने इन्टरनेट का उल्लेख वेदों में इन्द्रजाल के रूप में बताया है। उन्होंने कहा कि प्राचीन ग्रन्थों के संदर्भ लेने से आज के शोध में गुणवत्ता की वृद्धि होगी, परन्तु इससे महत्वपूर्ण यह समझना है कि ऋषि-मुनियों की शोध विधियाँ क्या थी जिनसे इतने प्रमाणित ज्ञान का निर्माण हो सका।

संविमर्श के प्रथम सत्र में श्री प्रो. राकेश मिश्रा, प्राध्यापक, लखनऊ विश्वविद्यालय ने ‘‘भारतीय विचार क्ष्रेत्र में आत्म-विस्मृति एवं शोध क्षेत्र’’ पर वक्तव्य दिया। द्वितीय सत्र में श्री वासुदेव प्रजापति, पुनरूत्थान विद्यापीठ, अहमदाबाद ने भारत की गौरवशाली विरासत के विभिन्न विषय पर पॉवर प्रेजेन्टेशन दिया। विश्वविद्यालय के कुलाधिसचिव श्री लाजपत आहूजा ने विश्वविद्यालय के कार्यों और गोष्ठी की प्रस्तावना की जानकारी दी। कुलसचिव श्री सच्चिदानंद जोशी ने आभार माना। 

 

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