भारत और बांग्लादेश के बीच मालवाहक वाहनों की परीक्षण यात्रा

भारत और बांग्लादेश के बीच मालवाहक वाहनों की परीक्षण यात्रा

पेसूका ——— आज पूर्वी दिल्ली के पटपड़गंज में अंतरर्देशीय सीमा शुल्क डिपो में उस समय एक इतिहास लिखा गया, जब दिल्ली में सामान की खेप लाने वाले बांग्लादेश के एक मालवाहक ट्रक ने सीमा शुल्क मुक्त सीमाओं को निर्बाध गति से पार करते हुए इस डिपो में प्रवेश किया।

बांग्लादेश की नजरूल परिवहन एजेंसी और एक्सपो फ्रेट प्राइवेट के इस ट्रक को बांग्लादेश, भूटान, इंडिया, नेपाल (बीबीआईएन) मोटर वाहन अनुबंध (एमवीए) के तहत ढाका से 27 अगस्त, 2016 को परीक्षण यात्रा के हिस्से के रूप में रवाना हुआ था।

बीबीआईएन समझौते पर 15 जून, 2015 को थिम्पू, भूटान में हस्ताक्षर हुए थे। जिसका उद्देश्य इस उप-क्षेत्र में मालवाहक वाहनों और यात्रियों की सीमा पार आवाजाही को सुविधाजनक बनाना था। इस अनुबंध को यात्री और माल वाहनों के लिए अलग-अलग लागू करने के प्रोटोकॉल के बारे में चारों देशों द्वारा बातचीत की जा रही है।

इस परीक्षण यात्रा का आयोजन इस अनुबंध को लागू करने क लिए प्रोटोकॉल का विकास करने में मदद करने के लिए किया गया। मालवाहक वाहन ने ढाका से अपनी यात्रा शुरू की और यह 28 अगस्त, 2016 को पेट्रापोल तथा 29 अगस्त, 2016 को कोलकाता पहुंचा।

यह भारत के पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और दिल्ली राज्यों में 1,850 किलोमीटर की यात्रा करके आज नई दिल्ली में पटपड़गंज स्थित सीमा शुल्क डिपो पहुंचा।

इस ट्रक को ऑनलाइन वेब आधारित प्रणाली के माध्यम से परीक्षण यात्रा हेतु ई-परमिट जारी किया गया था। इससे सभी बीबीआईएन देशों द्वारा मान्य और स्वीकार्य उपभोक्ता अनुकूल प्रक्रिया स्थापित करने में मदद मिलेगी।

इस खेप को सीमा पर किसी भी तरह की कस्टम मंजूरी की प्रक्रिया से नहीं गुजरना पड़ा। बल्कि जब यह पेट्रापोल सीमा पर पहले भारतीय सीमा शुल्क स्टेशन पर पहुंचा तो जीपीएस ट्रैकिंग डिवाइस के साथ एक इलेक्ट्रॉनिक सील इस ट्रक पर लगा दी गई, ताकि इसके माल की कस्टम मंजूरी के लिए दिल्ली में ही जांच की जा सके।

इस परीक्षण यात्रा ने यह दर्शाया है कि इस उप क्षेत्र में निर्बाध परिवहन की आवाजाही से समय और धन की बचत की जा सकती है। इससे पहले सीमा पर मालवाहक ट्रक का सारा माल उतारा जाता था और उसे सीमा शुल्क मंजूरी से गुजरना होता था। इससे काम में देरी होती थी और सामान को नुकसान पहुंचता था। ये कदम मालवाहक वाहनों की निर्बाध आवाजाही में मदद के लिए उठाए गए, जिससे इस क्षेत्र में व्यापार को बढ़ावा मिलेगा।

इसी प्रकार की मालवाहक वाहन की एक परीक्षण यात्रा का आयोजन कोलकाता से ढाका होते हुए अगरतला तक नवंबर, 2015 में आयोजित किया गया था। यह यात्रा भी बहुत सफल रही थी। जिसने इस तथ्य को दर्शाया था कि ऐसी सुविधा से कोलकाता से अगरतला के बीच की 1550 किलोमीटर से अधिक की दूरी को भारत की चिकननेक होते हुए घटा कर 650 किलोमीटर किया जा सकता है।

इसके लिए ट्रकों को बांग्लादेश से होकर गुजरना होगा। जिससे कुल लेनदेन लागत में भी कमी आएगी। यात्री वाहनों की परीक्षण यात्रा को भी 30 अगस्त, 2016 को कोलकाता में हरी झंडी दिखाई गई थी। ये वाहन बांग्लादेश के शहर खुलना गए थे।

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