- October 10, 2017
भामाशाह पडाव -डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर — 10 हजार करोड़ रुपये का भुगतान
जयपुर————–मुख्यमन्त्री श्रीमती वसुन्धरा राजे की पहल पर शुरू हुई भामाशाह योजना ने राजस्थान को डिजिटल स्टेट बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के लाभार्थियों के बैंक खाते में भामाशाह प्लेटफार्म के माध्यम से सीधे नकद हस्तांतरण का आंकड़ा सोमवार को 10 हजार करोड़ रुपये को पार कर गया।
महिला सशक्तिकरण और वित्तीय समावेशन के लिए शुरू हुई भामाशाह योजना देश की सबसे बड़ी सीधे लाभ हस्तांतरण (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर-DBT) की योजना है, जिसमें अब तक 28 करोड़ से अधिक ट्रांजेक्शन हुए हैं। सोमवार तक इन ट्रांजेक्शन के जरिये 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक की राशि वितरित हो चुकी है, जो एक रिकॉर्ड है।
इस अनूठी योजना में अब तक राज्य के 1 करोड़ 47 लाख 30 हजार से अधिक परिवारों का नामांकन किया जा चुका है। कुल 5 करोड़ 41 लाख से अधिक लोग भामाशाह प्लेटफॉर्म से जुड़े हैं।
श्रीमती राजे की ओर से प्रदेश की करोड़ों महिलाओं को 15 अगस्त, 2014 के दिन ‘‘वित्तीय आजादी’’ का तोहफा देने के लिए देश की प्रथम महत्वाकांक्षी योजना का शुभारम्भ किया गया था। इसका उद्देश्य राज्य की आधी आबादी को आर्थिक रूप से परिवार पर निर्भर रहने की मजबूरी से मुक्त करना था।
भामाशाह योजना के तहत परिवार की महिला मुखिया के नाम से भामाशाह कार्ड जारी किया जाता है, जिसमें सभी सदस्यों का विवरण दर्ज होता है। इन सदस्यों के किसी सरकारी योजना का लाभार्थी होने की स्थिति में लाभ का भुगतान कार्ड से जुड़े सदस्यों के व्यक्तिगत बैंक खातों में तथा पारिवारिक लाभ महिला मुखिया के बैंक खाते में सीधे हस्तांतरित हो जाता है।
वर्तमान में सामाजिक सुरक्षा, पेंशन, मनरेगा, जननी सुरक्षा, शुभ लक्ष्मी, मुख्यमन्त्री राजश्री, स्वास्थ्य बीमा, पालनहार, छात्रवृत्तियों और निर्माण श्रमिकों की कल्याण योजनाओं सहित कुल 25 से अधिक योजनाओं के लिए नकद और सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के गैर-नकद भुगतान भामाशाह प्लेटफॉर्म के माध्यम से किए जा रहे हैं।
भामाशाह योजना को ई-गवर्नेंस के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए 2016 का राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस पुरस्कार तथा 2017 का ‘‘राष्ट्रीय डिजिटल इंडिया’’ पुरस्कार भी प्राप्त हो चुका है। अधिक पारदर्शिता एवं नागरिकों की सुविधा के लिए राज्य स्तर पर टोल फ्री नम्बर 181 पर एक केन्द्रीयकृत हैल्पलाइन भी स्थापित की गई है।