बेटे तो धन दौलत के लोभी — दीक्षा बोरा :: सपने — नीमा गढ़िया

बेटे तो धन दौलत के लोभी — दीक्षा बोरा   ::  सपने — नीमा गढ़िया

पिंगलो, गरुड़ (बागेश्वर, उत्तराखंड)

बेटे धन दौलत के लोभी, बेटी सुख-दुःख की साथी,
फिर क्यों नही ये बात समझ में आती।।

बेटे तो मां-बाप की दौलत के आगे-पीछे भागे,
सदा रहे खुशहाल मां-बाप, बेटी यही दुआ मांगे।।

बेटी होती घर की रौनक,
समाज कहां समझता यह बातें,

बेटी को कोई समझ न पाते,
बेटी हो तो मार डालते।।

बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ,
समाज न समझे यह बातें।।
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पोथिंग, कपकोट (बागेश्वर, उत्तराखंड)

सपने वो नही होते, जो सोने के बाद आते हैं।
सपने तो वो होते हैं, जो हमें सोने नहीं देते हैं।

जो हमें हर रोज एक मंजिल दिखाते हैं,
हम में नया जोश भर देते हैं।

हमें हमारी मंजिल तक पहुंचाते हैं,
हम सपनों को पाने की जब मेहनत करते हैं।

सपने भी हमसे मिलने की चाहत करते हैं।
सपने वो होते हैं जो हमें राह दिखाते हैं,

कठिन डगर पर चलना सिखाते हैं।।

चरखा फीचर

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