- February 9, 2016
बेटियोँ के हत्यारे :- कृष्ण गोपाल विद्यार्थी
बेटियोँ के हत्यारे
कन्याओँ से डर गया शायद पुरुष समाज ,
तभी तो उनको गर्भ मेँ मार रहे कुछ आज ।
मार रहे कुछ आज , विवशता इसे बताते ,
कल के संकट से मुक्ति की राह सुझाते ।
बेशक खुश हैँ आज बेटियोँ के हत्यारे ,
रोएंगे , जब रहेँगे उनके पुत्र कुंआरे ।
पहल
अगर चाहते हो मिले बेटी को सम्मान,
अपने ही घर से पहल करें आप श्रीमान।
करें आप श्रीमान उदाहरण प्रस्तुत ऐसा,
पाएगी ससुराल में तब ही सुख घर जैसा।
भेदभाव जो अपने ही बच्चों से करते,
वे शोषण की बात करें तो बहुत अखरते।
लड़कियां
पढ़ने मेँ तो लड़कियां हैँ लड़कोँ से तेज ,
फिर क्योँ उनकी ज़िँदगी है काँटोँ की सेज ?
है काँटोँ की सेज , उड़ेँ चाहे अम्बर मेँ ,
अपवादोँ को छोड़ सभी कुण्ठित हैँ घर मेँ ।
जिन बहनोँ को प्रताड़ित करते होँ भाई ,
क्या ससुराल मेँ संभव है उनकी सुनवाई ?
बेटी बचाओ
नारी-शक्ति को सदा कहते रहे महान ,
उसके दुर्गा रूप को देते हो सम्मान ।
देते हो सम्मान मगर तब क्या हो जाता ,
जब कन्या है गर्भ में अल्ट्रासाऊंड बताता ।
केवल नवरात्रों में उसके गुण न गाओ ,
बेटी देश बचाएगी , तुम उसे बचाओ !