- July 28, 2022
बिहार :: बाल विवाह और दहेज उन्मूलन में मुखिया और दूसरे जनप्रतिनिधियों की भागीदारी और भूमिका
पटना. बिहार सरकार ने कहा है कि बाल विवाह और दहेज उन्मूलन में मुखिया और दूसरे जनप्रतिनिधियों की भागीदारी और भूमिका तय होगी. मंत्री सम्राट चौधरी ने इस बाबत निर्देश दे दिया है.
मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा है कि बाल विवाह और दहेज प्रथा गंभीर सामाजिक बुराई हैं, जिन्हें दूर किए बिना सशक्त समाज की परिकल्पना नहीं की जा सकती है. बाल विवाह मानवीय अधिकारों का निर्मम उल्लंघन है.
प्रत्येक बच्चे को एक पूर्ण और परिपक्व व्यक्ति के रूप में विकसित होने का अधिकार होता है, जो बाल विवाह की वजह से क्षत-विक्षत हो जाता है. कम उम्र में विवाह से संविधान द्वारा प्रदत्त शिक्षा के मौलिक अधिकार का भी हनन होता है.
शादी की वजह से बहुत सारे बच्चे अनपढ़ और अकुशल रह जाते हैं, जिससे उनके सामने अच्छे रोजगार पाने और बड़े होने पर आर्थिक रूप से स्वतंत्र होने की ज्यादा संभावना नहीं बचती है.
माननीय मुख्यमंत्री बिहार द्वारा वर्ष 2021-22 में बाल विवाह और दहेज प्रथा के गंभीर मुद्दों पर सकारात्मक माहौल तैयार करने की दिशा में राज्यव्यापी समाज सुधार अभियान शुरू किया गया है. बिहार पंचायत राज अधिनियम, 2006 की धारा 22 (XX) और धारा 47 (20) के अंतर्गत क्रमशः ग्राम पंचायत एवं पंचायत समिति को महिला एवं बाल कार्यक्रमों में सहभागिता करने का दायित्व सौंपा गया है. नियमावली, 2010 के नियम-9 (1) में भी ग्राम पंचायत के प्रधान को बाल विवाह की सूचना प्राप्त कर अग्रसारित करने वाले माध्यम के रूप में चीन्हित किया गया है.
पंचायती राज मंत्री ने कहा कि अधिनियम की धारा-156 के अधीन प्राप्त शक्तियों के आलोक में राज्य सरकार मुखिया की जिम्मेवारी तय करते हुए बाल विवाह प्रतिषेध एवं दहेज प्रथा उन्मूलन के बिन्दु पर पंचायतों एवं उनके प्रतिनिधियों के लिए निम्नलिखित फैसला किया है.