• May 2, 2022

बिहार :: ‘नमामि गंगे’ परियोजना के विफल के बाद लगी फटकार के बाद पहल

बिहार  :: ‘नमामि गंगे’ परियोजना के विफल के बाद लगी फटकार के बाद पहल

पटना. बिहार के उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा है कि उन्होंने अपने शहरी विकास और आवास विभाग के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि राजधानी पटना में बुनियादी ढांचे से संबंधित सभी लंबित परियोजनाओं को चालू वित्त वर्ष के भीतर पूरा किया जाए. यह निर्देश तब आया है जब नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने मार्च में बिहार विधानसभा में पेश अपनी रिपोर्ट में कार्यदायी एजेंसी बिहार शहरी अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड को ‘नमामि गंगे’ पहल के तहत निर्धारित समय में ऐसी परियोजनाओं को पूरा करने में विफल रहने के लिए फटकार लगाई थी.

डिप्टी सीएम ने सोमवार को कहा कि पटना में सभी अवजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) का निर्माण कार्य 2022-23 में पूरा कर लिया जाएगा. अधिकारियों को केंद्र के ‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के तहत इस तरह के बुनियादी ढांचे के निर्माण में गुणवत्ता सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है. उन्होंने कहा कि इन बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण के लिए सरकार के नियमों और मानदंडों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.

पटना में 6 STP और 5 सीवरेज नेटवर्क का किया जाना था निर्माण

पटना में छह एसटीपी और पांच सीवरेज प्रणालियों (सीवरेज नेटवर्क) का निर्माण किया जाना था और उनमें से नौ को मई 2021 तक पूरा किया जाना था. सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन नौ परियोजनाओं में से सिर्फ चार ही जुलाई 2021 तक पूरी हो पाईं हैं और अन्य की प्रगति 53 से 93 प्रतिशत के बीच थी. उसने कहा कि जहां तक दीघा और कंकड़बाग में एसटीपी की बात है वहां प्रगति ‘नहीं के बराबर’ थी.

सीएजी ने कहा कि कार्यकारी एजेंसी, बिहार शहरी अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड, कार्यों को पूरा करने के लिए निर्धारित समय सीमा का पालन करने में विफल रही, क्योंकि आज तक कोई भी एसटीपी सीवरेज नेटवर्क के साथ पूरा नहीं हुआ है और गंगा व उसकी सहायक नदियों में वांछित सीवेज का प्रवाह पटना में रोका नहीं जा सका. इस रिपोर्ट के अनुसार यह भी देखा गया कि वित्त वर्ष 2016-17 से 2019-20 के दौरान केवल 16 से 50 प्रतिशत धन का उपयोग किया गया था. रिपोर्ट में कहा गया है स्वीकृत लागत के मुकाबले, दिसंबर 2020 तक केवल 35.48 प्रतिशत वित्तीय प्रगति हासिल हुई थी.

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply