बिहार के जेपी को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान —— मुरली मनोहर श्रीवास्तव

बिहार के जेपी को भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान —— मुरली मनोहर श्रीवास्तव

‘जेपी’ शब्द बिहार का पर्यायवाची बन चुका है। 1974 में जेपी आंदोलन के प्रणेता जेपी (जय प्रकाश नारायण) जिन्होंने इंदिरा गांधी की सरकार की चूल हिलाकर रख दी थी। आज उसी राह पर एक बार फिर जेपी (जगत प्रकाश नड्डा) को भाजपा ने कमान सौंप कर एक नया प्रयोग करने की कोशिश की है। सही मायने में देखी जाए तो जेपी आंदोलन देश की राजनीति में एक अलग तरीके से देखी जाती है।

इस आंदोलन से उपजे नेता ही आज की तारीख में एंटी कांग्रेस सरकार का नेतृत्व करने में कामयाब रहे हैं। एक बार फिर भाजपा ने जेपी को अपनी कमान पूरी तरह से सौंप दी है। इन दोनों जेपी का संबंध बिहार से ही रहा है और दोनों की कार्यशैली ही इन्हें अग्रणी बनाता है। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, राज्यसभा सांसद आर के सिन्हा, जेपी नड्डा सभी जेपी आंदोलन की ही उपज हैं।

नड्डा का राजनीतिक सफरः

जेपी नड्डा के राजनीतिक सफर की शुरुआत 1975 में जेपी आंदोलन से हुई। देश के सबसे बड़े आंदोलनों में शुमार इस आंदोलन का जेपी नड्डा हिस्सा बने थे। इस आंदोलन में भाग लेन के बाद जेपी नड्डा बिहार की अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में शामिल हो गए थे।वर्ष 1977 में नड्डा कॉलेज में छात्र संघ चुनाव लड़े उसमें उन्हें जीत हासिल हुई।

1991 में अखिल भारतीय जनता युवा मोर्चा का नड्डा को राष्ट्री महासचिव की जिम्मेवारी सौंपी गई। 1993 में हिमाचल प्रदेश की बिलासपुर सीट से चुनाव लड़े, शानदार जीत दर्ज कराने के साथ ही नड्डा को प्रदेश की विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया। 1998 और 2007 के चुनाव में इस सीट से फिर चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। इस दौरान नड्डा को प्रदेश की कैबिनेट में भी जगह दी गई। प्रेम कुमार धूमल की सरकार में उन्हें वन पर्यावरण, विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी विभाग का मंत्री बनाया गया।

नड्डा की बेहतर कार्यशैली का नतीजा रहा कि पार्टी ने 2012 में उन्हें हिमाचल प्रदेश से राज्यसभा में भेजा। मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में स्वास्थ्य मंत्रालय का अहम पदभार संभाला। नड्डा को नीतिन गडकरी, राजनाथ सिंह और अमित शाह के अध्यक्षीय कार्यकाल में राष्ट्रीय महासचिव बनने का भी गौरव प्राप्त हुआ।उमा भारती के भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बनने के पहले जेपी नड्डा ही युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे।

वह भारतीय जनता पार्टी के कद्दावर नेताओं में से एक हैं। हलांकि इनकी निष्ठा और ईमानदारी से किए जा रहे कार्यों का ही नतीजा कहा जा सकता है कि पार्टी ने इनके ऊपर विश्वास जताते हुए भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सौंप दी है।

नड्डा का पारिवारिक जीवनः

नड्डा भले ही हिमाचल प्रदेश के कद्दावर नेताओं में शुमार हैं लेकिन इनका जन्म बिहार के पटना में ब्राह्मण परिवार में 2 दिसंबर, 1960 में पटना के भिखना पहाड़ी इलाके में पिता डॉ.नारायण लाल नड्डा और माता और कृष्णा नड्डा के यहां जन्म हुआ था। इनकी सेंट जेवियर स्कूल और कुछ दिनों के लिए राममोहन राय सेमिनरी स्कूल में स्कूली शिक्षा हुई।

सेंट जेवियर से मैट्रिक पास करने के बाद पटना कॉलेज में इंटर में नामांकन हुआ और 1980 में यहीं से स्नातक पास हुए। कुछ दिन पहले पटना आए थे नड्डा और पटना विश्वविद्यालय परिसर में घूमते वक्त अपने अतीत में खो गए थे। विलासपुर (हिमाचल प्रदेश) के मूल निवासी डॉ.नारायण लाल नड्डा पटना विश्वविद्यालय में कॉमर्स विभाग में प्रोफेसर थे, जो बाद में यहां के प्राचार्य भी हुए और यहीं से 1980 में रिटायर भी इसके बाद सपरिवार हिमाचल प्रदेश लौट गए।

वर्ष1992 में हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर मल्लिका नड्डा से परिणय सूत्र में बंध गए। जेपी और मल्लिका को दो बच्चे भी हैं। मल्लिका के पिता भी जबलपुर से सांसद रह चुके हैं।जेपी नड्डा का ताल्लुकात हिमाचल प्रदेश से है। उन्होंने अपनी काबिलियत के दम पर पार्टी में ऊंचा मुकाम बनाया है।

लेकिन इनका बिहार की मिट्टी से खासा लगाव रहा है क्योंकि नड्डा ने अपने जीवन के अहम समय को पटना में ही गुजारा है।हमेशा सकारात्मक सोच रखने वाले जेपी नड्डा ने कई देशों का दौरा कर चुके हैं। जिसमें कोस्ट रिका, तर, कनाडा, अमेरिका, ग्रीस ,आस्ट्रेलिया प्रमुख हैं। नड्डा को विश्व तंबाकू नियंत्रण के लिए विशेष मान्यता पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

बिहार के लोग इस बात से काफी उत्साहित हैं कि बिहार से जुड़ा रहने वाला एक व्यक्ति विश्व की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी की जिम्मेवारी संभालने जा रहा है। इससे बिहार के लोगों को संगठन के माध्यम से सरकार तक अपनी बात पहुंचाने में सुविधा तो होगी ही, साथ ही साथ सरकार की योजनाओं और भाजपा की नीतियों को भी नजदीक से समझने और उसका लाभ उठाने का मौका मिलेगा।

Related post

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

साड़ी: भारतीयता और परंपरा का विश्व प्रिय पोशाक 

21 दिसंबर विश्व साड़ी दिवस सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”- आज से करीब  पांच वर्ष पूर्व महाभारत काल में हस्तिनापुर…
पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

पुस्तक समीक्षा :कमोवेश सभी कहानियां गोरखपुर की माटी की खुशबू में तर-बतर है

उमेश कुमार सिंह——— गुरु गोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं। गुरु…
पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

पुस्तक समीक्षा : जवानी जिन में गुजरी है,  वो गलियां याद आती हैं

उमेश कुमार सिंह :  गुरुगोरखनाथ जैसे महायोगी और महाकवि के नगर गोरखपुर के किस्से बहुत हैं।…

Leave a Reply