• March 7, 2016

‘बिना विधि-शासन के सतत विकास संभव नहीं’: राजनाथ सिंह

‘बिना विधि-शासन के सतत विकास संभव नहीं’: राजनाथ सिंह

 ‘सरकार पर्यावरण शासन मुहैया कराने, नीति आधारित निर्णय लेने के लिए प्रतिबद्ध’: जावडेकर
 
 ‘हम सतत तरीके से भारत को ऊर्जा कुशल बनाने के लिए बचनबद्ध’: पीयूष गोयल
 
2030 के विकास एजेंडा के समर्थन के लिए विधि-शासन पर आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन समाप्‍त
 

पेसूका ——————————- सरकार ने आज विधि-शासन के जरिये सतत विकास हासिल करने तथा पर्यावरण शासन मुहैया कराने और नीति आधारित निर्णय लेने की दिशा में अपनी प्रतिबद्ध दोहराई।
केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज यहां 2030 के विकास एजेंडा के समर्थन के लिए विधि-शासन पर आयोजित अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि बिना विधि-शासन के सतत विकास संभव नहीं है और सतत विकास के लिए शांति एवं सद्भावना अनिवार्य है। उन्‍होंने कहा कि वैश्विक समुदाय ने हिंसा के सभी रूपों में कमी लाने तथा न केवल राष्‍ट्रीय स्‍तर पर बल्कि, अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भी विधि-शासन को बढ़ावा देने की जरूरत पर गौर किया है।
केंद्रीय गृहमंत्री श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पिछले वर्ष सितंबर में 190 से अधिक देशों द्वारा अंगीकृत संयुक्‍त राष्‍ट्र के 2030 का एजेंडा एवं सतत विकास लक्ष्‍य (एसडीजी) अर्जित करने के लिहाज से जटिल और बृहत हैं। उन्‍होंने कहा कि आज विश्‍व विकास की दिशा में पहले से कहीं अधिक सक्रिय, प्रतिक्रियाशील, अन्‍वेषक और समावेशी दृष्टिकोण की जरूरत महसूस करता है।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि एक ऐसे विश्‍व में, जहां एक छोटी आबादी का समृद्धि एवं भौतिक संपत्ति पर कब्‍जा है, एसडीजी को संपन्‍न वर्गों एवं निर्धनों के बीच की खाई को कम करने पर अधिक ध्‍यान केंद्रित करना चाहिए।
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावडेकर ने पर्यावरण शासन मुहैया कराने के प्रति सरकार की प्रतिबद्धता दोहराते हुए नीति आधारित निर्णय लेने और भेदभाव न करने की जरूरत को रेखांकित किया। उन्‍होंने कहा कि प्रक्रियाएं पारदर्शी होंगी और उनका लक्ष्‍य अनुपालन सुनिश्चित करना होगा। श्री जावडेकर ने कहा कि न्‍यायपालिका एक मार्गदर्शक शक्ति हो सकती है और अनुपालन सुनिश्चित कर सकती है। उन्‍होंने कहा कि कार्यपालिका और न्‍यायपालिका को अनिवार्य रूप से सतत विकास सुनिश्चित करने के लिए एक साथ मिलकर काम करना चाहिए। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि गरीबी उन्‍मूलन न्‍यायपालिका एवं कार्यपालिका दोनों के ही लक्ष्‍य है तथा देश को पर्यावरण सुरक्षा एवं विकास दोनों की ही जरूरत है।
कोयला, बिजली एवं नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा राज्‍य मंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा कि सरकार सतत तरीके से देश को ऊर्जा कुशल बनाने के लिए प्रतिबद्ध बनी हुई  है। उन्‍होंने पर्यावरण की सुरक्षा सुनिश्चित करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई और कहा कि स्‍वच्‍छ कोयले पर 400 रुपये प्रति टन के अधिभार का उपयोग ‘नमामी गंगे’ तथा नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग को प्रोत्‍साहित करने पर किया जाएगा।
न्‍यायाधीश जे.एस.खेहर ने प्रमुख भाषण दिया जबकि नेशनल ग्रीन ट्रिब्‍यूनल के अध्‍यक्ष न्‍यायाधीश स्‍वतंतर कुमार ने समापन सत्र पर प्रतिनिधिमंडलों का स्‍वागत किया। एनजीटी के विशेषज्ञ सदस्‍य श्री रंजीत चटर्जी ने धन्‍यवाद ज्ञापन किया।

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