- April 1, 2021
बिजली वितरण कम्पनियों को परिचालन कार्य कुशलता में सुधार लाने के निर्देश—मुख्य सचिव
जयपुर—– मुख्य सचिव श्री निरंजन आर्य ने बिजली वितरण कम्पनियों को निर्देश दिये कि इस वित्तीय वर्ष में वाणिज्यिक एवं तकनीकी हानियों में कम से कम 3 प्रतिशत की कमी करते हुये समयबद्ध रूप से 15 प्रतिशत से नीचे लायें। उन्होंने वितरण कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशकों को अपनी परिचालन कार्य कुशलता में सुधार लाने के निर्देश भी दिये।
मुख्य सचिव गुरूवार को बिजली कम्पनियों की बैठक को सम्बोधित कर रहे थे जिसमें प्रमुख रूप से राजस्थान वितरण कम्पनियों की वित्तीय स्थिति एवं हाल ही में भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय द्वारा जारी आदेश, अधिसूचना के सन्दर्भ में बिजली उत्पादन कम्पनियों को देय भुगतान पर चर्चा की गयी।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव (वित्त) श्री अखिल अरोड़ा ने बताया कि बिजली वितरण कम्पनियों को लम्बी अवधि के उच्च दर वाले विद्युत क्रय अनुबन्धों पर बिजली उत्पादक कम्पनियों के साथ पुर्नविचार करने की प्रक्रिया को प्रारम्भ करना चाहिए, साथ ही दूसरे पड़ौसी राज्यों की विद्युत वितरण कम्पनियों में प्रचलित अच्छी कार्यप्रणाली का अध्ययन कर राजस्थान की वितरण कम्पनियों में लागू की जाये तथा नियमित रूप से कार्य कुशलता मापदण्ड़ों का तुलनात्मक विश्लेषण किया जाये। श्री अरोड़ा ने राज्य सरकार की ओर से वितरण कम्पनियों को कृषि उपभोक्ता एवं लधु घरेलू उपभोक्ताओं को दी जाने वाली सब्सिडी का समय पर भुगतान करने के लिए आश्वस्त किया।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव (ऊर्जा) ने बताया कि वितरण कम्पनियों को निर्देश प्रदान किये गये है कि वे अपने खर्चों पर नियंत्रण रखे। राजस्व आय का उपयोग जरूरी मदों जैसे वेतन भत्तों का भुगतान, ऋणों पर ब्याज एवं पुर्नभुगतान, अन्य प्रशासनिक एवं सामान्य खर्चों में करने के अतिरिक्त केवल बिजली उत्पादक कम्पनियों की देयता को चुकाने में ही करे एवं इसे पूंजीगत खर्चों में उपयोग ना करे।
बैठक में यह निर्णय लिया गया कि सभी बिजली कंपनियां बिना वित्त विभाग की अनुमति के पूंजी पर लाभांश को वार्षिक राजस्व मांग में शामिल ना करे।
बैठक में प्रमुख शासन सचिव वित्त एवं ऊर्जा, अध्यक्ष एवं प्रबन्ध निदेशक उत्पादन कम्पनी, प्रबन्ध निदेशक ऊर्जा विकास निगम एवं तीनों वितरण कम्पनियों के प्रबन्ध निदेशक, निदेशक (वित्त) उपस्थित थे।
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