बालगृहों के बच्चों को मेनस्ट्रीम से जोड़ने के प्रयास करने होंगे -न्यायाधिपति श्री मदन वी. लोकुर

बालगृहों के बच्चों को मेनस्ट्रीम से जोड़ने के प्रयास करने होंगे  -न्यायाधिपति श्री मदन वी. लोकुर

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जयपुर————-सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री मदन वी.लोकुर ने समाज में जागरूकता व सहभागिता जगाने पर बल देते हुए कहा कि हमें बच्चों से जुड़े अपराधों व उनके अधिकारों के विषय पर खुलकर हर स्तर पर बात करनी चाहिए। हमें बालगृहों के बच्चों को समाज में मेनस्ट्रीम से जोड़ने के प्रयास सामाजिक व राज्य स्तर पर पूरी संवेदना के साथ करने की आवश्यकता है।

न्यायाधिपति श्री लोकुर रविवार को सीतापुरा में होटल क्राउन प्लाजा में आयोजित तृतीय उत्तर क्षेत्र गोलमेज परामर्श कार्यक्रम के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। यह दो दिवसीय कार्यक्रम ’’इफेक्टिव इम्पलीमेंटेशन ऑफ द जुवेनाइल जस्टिस (केयर एण्ड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट 2015 फोकस ऑन रिहेबिलिटेशन सर्विसेज एण्ड लिंकिजेज द पोक्सो एक्ट 2012’’ के विषय पर आयोजित किया गया था। उन्होंने बताया कि इन दोनों एक्ट के सफल क्रियान्वयन के लिए हर स्तर के अधिकारी व सबसे पहले पुलिस को इन एक्ट्स को संवेदनशीलता के साथ समझना बेहद जरूरी है। हमें इस विषय में पूरे विश्व में जो स्टेन्डर्ड ओपरेटिव संस्थाएं काम कर रही हैं उनके तरीकों को समझना होगा और जानना होगा कि कैसे हम बालगृहों व पुनर्वास केन्द्र के बच्चों का विकास कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि जोधपुर विधि विश्वविद्यालय में इस विषय के कोर्स पढ़ाकर किशारों को भी जागरूक किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह बच्चे भी हमारे बच्चों की तरह ही हैं इन्हें प्यार, अपनापन और सही मार्गदर्शन से हम अच्छे जिम्मेदार नागरिक बनाने का कत्र्तव्य निभाएं।

उन्होंने कहा कि सही तरह से जानना बेहद आवश्यक है कि किसी भी बच्चे से अपराध किन हालात में हुआ क्योंकि यह उसके भविष्य का सवाल है। ऎसे बच्चों के प्रति समाज को भी अपना नजरिया संवेदनशील करना होगा। इन्हें जीवन में सही दिशा में बढ़ने के लिए कौशल विकास से जुड़े कार्यक्रम से जोड़ा जाए व सरकार इन्हें रोजगार दिलाने के भी भरपूर कदम उठाए। उन्होंने दो दिवसीय कार्यक्रम के समापन अवसर पर कहा कि हमें सकारात्मक सोच के साथ चुनौतियों को लेना होगा और जो कठिनाई आ रही है उन्हें मिटाते हुए जुवेनाइल जस्टिस एक्ट एवं पोक्सो एक्ट को अमल में लाना होगा।

कार्यक्रम में राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष श्री के.एस. झवेरी ने कहा कि इस विषय पर भी गौर करने की आवश्यकता है कि बालगृह में एवं पुनर्वास केन्द्रों में भी बच्चों के साथ होने वाले अपराध पर अंकुश लगाया जाये। हमे इस विषय की गहराई व संवेदनशीलता को समझते हुए कदम उठाने होंगे। यह बच्चे भी देश का भविष्य हैं। इनके प्रति हमारे व्यवहार में सकारात्मकता लानी है और हमें इन्हें सुरक्षित वातावरण देना चाहिए।

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अघ्यक्ष स्तुति कक्कड़ ने इस अवसर पर बताया कि जिन बच्चों को परिवार द्वारा त्याग दिया जाता है, उनके अवैध रूप से व्यापार की रोकथाम के लिए कदम उठाने होंगे। उन्होेंने बताया कि अभी भी देश में कई राज्यों में हर जिले में पुनर्वास गृह उपलब्ध नहीं है। हमें पूरे देश में अभियान चलाकर व्यवस्था को सुधारना होगा।

इस अवसर पर राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति श्री एम.एन. भण्डारी और न्यायाधिपति संदीप मेहता ने एवं पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान तथा केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ से आए 6 अलग-अलग ग्रुप ने जुवेनाइनल जस्टिस एक्ट एवं पोक्सो एक्ट की चुनौतियों, समस्यायें एवं इन्हें सफल बनाने के लिए समाधान सभी के सामने रखे।

इस अवसर पर पंजाब, हरियाणा, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान तथा केन्द्रशासित प्रदेश चंडीगढ़ के न्यायाधिपतिगण, राज्य के प्रशासनिक, न्यायिक एवं पुलिस अधिकारीगण, एन.जी.ओ. बाल संरक्षण समितियों के अध्यक्ष एवं सदस्य यूनीसेफ के प्रतिनिधि तथा रिसोर्स पर्सन उपस्थित थे।

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