बाण सागर से पेयजल और निस्तार के पानी की आपूर्ति

बाण सागर से पेयजल और निस्तार के पानी की आपूर्ति

उत्तर प्रदेश द्वारा समझौते का पालन न किये जाने पर भी मध्यप्रदेश द्वारा उसे बाण सागर परियोजना से पेयजल और निस्तार के लिये पानी दिया जा रहा है। बाण सागर बाँध से सोन नदी में न्यूनतम जल प्रवाह रखने के लिये समय-समय पर पानी निरंतर प्रवाहित किया जा रहा है।

यह पानी उत्तर प्रदेश की माँग 60 क्यूमेक के अनुसार नहीं है, क्योंकि 60 क्यूमेक की आवश्यकता सिंचाई के लिये है। पेयजल अथवा निस्तार के लिये इतने प्रवाह की आवश्यकता नहीं है। वर्तमान में लगभग 5 घन मीटर प्रति सेंकड (क्यूमेक) पानी सोन नदी में प्रवाहित हो रहा है, जिससे निचले हिस्सों में पेयजल और निस्तार की समस्या की स्थिति नहीं है।

उत्तर प्रदेश द्वारा पहली बार सोन नदी में पानी प्रवाहित करने की माँग की गई है। इसके पूर्व 2013 में नहर के परीक्षण के लिये पानी की माँग की थी, जो प्रदाय किया गया था। लेकिन नहर टूट जाने से पानी की माँग स्वमेव समाप्त हो गई थी।

उल्लेखनीय है कि बाण सागर मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार की संयुक्त परियोजना है। मध्यप्रदेश के शहडोल जिले के गाँव देवलौंद के पास सोन नदी पर विशाल बाँध का निर्माण किया गया है।

इसकी उपयोगी जल संग्रहण क्षमता 543 घन मीटर है। इस योजना में बाँध के निर्माण में तीन राज्यों की हिस्सेदारी 2 : 1 : 1 है, जिसमें मध्यप्रदेश का हिस्सा 2 भाग है। योजना के निर्माण पर अभी तक 1697 करोड़ का व्यय किया गया है। इसमें उत्तर प्रदेश द्वारा अभी तक 467 करोड़ का भुगतान किया गया है और 64 करोड़ बकाया है। सोलह सितम्बर 1973 को हुए बाण सागर समझौते में सभी भागीदार राज्यों द्वारा बाण सागर की लागत में हिस्सेदारी पर राजामंदी हुई थी।

उत्तर प्रदेश ने कहा है कि वह अनुरक्षण मद में कोई राशि नहीं देगा। बाण सागर नियंत्रण परिषद द्वारा केन्द्रीय जल आयोग को इसकी सूचना दी गई।

प्रमुख अभियंता द्वारा इस गतिरोध को दूर करने के लिये 13 जनवरी 2015 को जबलपुर में बैठक रखी गई, जिसमें उत्तर प्रदेश के प्रमुख अभियंता ने दोहराया कि बाण सागर के अनुरक्षण के लिये उत्तर प्रदेश कोई धनराशि नहीं देगा। बाण सागर बाँध के अनुरक्षण में प्रतिवर्ष 50 करोड़ का व्यय हो रहा है।

इस संबंध में मध्यप्रदेश के प्रमुख अभियंता ने दिसम्बर 2014 और जनवरी 2015 में पत्र लिखकर यह सूचित किया गया कि मध्यप्रदेश को अनुरक्षण की राशि प्राप्त नहीं होने पर उत्तर प्रदेश के हिस्से का जल संग्रहीत नहीं किया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि इस मुद्दे पर मई 2013 में बैठक की गयी थी। इसमें मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश और बिहार सरकार के अधिकारियों ने भाग लिया था। बैठक में यह तय हुआ था कि बाँध के संचालन और रख-रखाव की लागत के खर्च को तीनों राज्य वहन करेंगे। इसके बाद ही उस राज्य के हिस्से के पानी को संग्रहीत किया जाएगा ताकि उस राज्य को पानी दिया जा सके।

बिहार सरकार बाँध के संचालन और रख-रखाव का खर्च उठा रही है। बिहार को उसी अनुपात में पानी संग्रहीत कर दिया जा रहा है। परन्तु समझौते के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार ने न तो संचालन और रख-रखाव की लागत में अपनी हिस्सेदारी दी और न ही राज्य सरकार से इस विषय में किसी प्रकार का संवाद किया। इसी कारण पिछले एक साल से पानी संग्रहीत नहीं किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश सरकार ने छह माह पहले उत्तर प्रदेश को अपने हिस्से का पैसा देने को कहा था ताकि पानी संग्रहीत किया जा सके। इसके बाद भी उत्तर प्रदेश सरकार ने पैसा देने में अपनी कोई रुचि नहीं दिखाई।

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