- August 27, 2017
बच्चों के बस्तों का कम होगा बोझ :– मुख्यमंत्री श्री चौहान
भोपाल : —-मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि माता-पिता अपने बच्चों के मित्र बनें। उन्हें प्यार से सिखायें। मध्यप्रदेश में राज्य सरकार कोशिश कर रही है कि बच्चों के बस्तों का बोझ कम हो। शिक्षा के तरीकों में बदलाव किया जा रहा है।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज यहाँ समन्वय भवन में आयोजित राज्य स्तरीय ‘मिल बाँचे मध्यप्रदेश’ कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में स्कूल शिक्षा मंत्री श्री विजय शाह भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि जीवन उत्सव है। बच्चे ईश्वर का सबसे अमूल्य उपहार हैं। बच्चों के साथ बिताया समय सबसे सुन्दर होता है। बच्चों को आगे बढ़ाना और उन्हें सँवारना, समाज और हम सबका कर्तव्य है।
माता-पिता बच्चों को समय दें और उनकी भावनाओं को समझें। बच्चे देश का भविष्य हैं, उन्हें किसी भी स्थिति में कुंठित नहीं होने दें। बच्चों के प्रथम गुरू माता-पिता होते हैं। माता-पिता से बच्चे खुलकर बातें करें, यह बच्चों के समग्र विकास के लिये बहुत जरूरी है। बच्चों में डर हो तो उनका स्वाभाविक विकास नहीं होता।
ज्ञान जरूरी है पर रटना नहीं
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिक्षा के तीन उद्देश्य होते हैं ज्ञान, कौशल और नागरिकता के संस्कार देना। शंकराचार्य जी ने कहा है कि शिक्षा वह है जो जीने की राह दिखाये। स्वामी विवेकानंद ने कहा है कि शिक्षा वह है जो इंसान को इंसान बनाये। पीढ़ियों द्वारा संचित ज्ञान आने वाली पीढ़ियों को देना होता है।
ज्ञान जरूरी है लेकिन केवल रटने से काम नहीं चलेगा। इसे आचरण में उतारना जरूरी है। उन्होंने बच्चों से कहा कि जैसा आचरण होता है, वैसी उनकी छवि बनती है। अच्छा सोचोगे तो अच्छे बनोगे। माता-पिता और शिक्षकों का दायित्व है कि बच्चों के स्वाभाविक गुणों को पहचानें और बढ़ावा दें।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने ग्राम जैत के अपने शिक्षक श्री रतनचंद जैन का स्मरण किया जिन्होंने उन्हें अच्छा इंसान बनने की शिक्षा दी। उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूलों में डर नहीं बल्कि आनंद मिलना चाहिये। देश को अच्छे गुणों वाले नागरिकों की जरूरत है। हर कोई ईमानदारी से अपना कर्तव्य करे, यही नागरिकता के संस्कार हैं।
शिक्षा की बेहतर व्यवस्था के लिये जुड़े समाज
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि मिल बाँचे मध्यप्रदेश अभियान से जुड़ने वाले दो लाख 15 हजार वालिटिंयरों का अभिनंदन है। समाज जुड़ेगा तो शिक्षा की बेहतर व्यवस्था होगी। मिल बाँचे मध्यप्रदेश समाज की सामूहिक जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि स्वाभाविक विकास के लिये खेल जरूरी है। प्रदेश के प्रत्येक स्कूल में खेल मैदान हो, इसकी कोशिश की जायेगी।
बच्चे अपनी प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें और दुनिया को सर्वश्रेष्ठ बनायें। प्रदेश में मेधावी बच्चों की शिक्षा के लिये मेधावी विद्यार्थी प्रोत्साहन योजना शुरू की गयी है। इसमें उच्च शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश पर मेधावी विद्यार्थियों की फीस राज्य सरकार भरेगी। उन्होंने कहा कि संकल्प करें कि प्रदेश के एक-एक स्कूल को ठीक करेंगे और मिलकर नया स्वर्णिम मध्यप्रदेश बनायेंगे। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रम में बच्चों का स्वागत करते हुये उन्हें प्रेरक पुस्तकें भेंट की। उन्होंने कहा कि बच्चों के कार्यक्रम में बच्चों का स्वागत होना चाहिये।
स्कूल शिक्षा मंत्री श्री शाह ने कहा कि सरकारी स्कूलों में विभिन्न सुविधाओं के लिये तीस हजार लोगों ने उपहार दिये हैं। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बुके की जगह बुक देने की परम्परा शुरू की गयी है। अब सभी स्कूलों में आयोजित कार्यक्रमों में पुस्तक देकर स्वागत किया जायेगा।
कक्षा छह से बारह तक के प्रत्येक स्कूल में हर दिन राष्ट्रगीत के बाद तिरंगा फहराया जायेगा। बच्चों को अपनी किताबें संभालकर उपयोग करने तथा अगले वर्ष दूसरे विद्यार्थियों को देने के लिये प्रेरित किया जा रहा है। स्कूलों में बच्चों के बैठने की व्यवस्था रोटेशन के आधार पर की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी नागरिक अपने मोहल्ले की सरकारी स्कूलों में माह में एक बार जायें।
प्रमुख सचिव स्कूल शिक्षा श्रीमती दीप्ति गौड़ मुखर्जी ने कार्यक्रम की रूपरेखा बतायी। उन्होंने बताया कि मिल बाँचे मध्यप्रदेश अभियान के लिये दो लाख 15 हजार वालिटिंयरों ने पंजीयन कराया है। इसमें 76 प्रतिशत अशासकीय वालिटिंयर हैं। इसमें से भी 33 हजार वालिटिंयरों ने प्रत्येक शनिवार को स्कूल की बाल सभा में जाने की सहमति दी है।
कहानी उत्सव के विजेता पुरस्कृत
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री श्री चौहान द्वारा राज्य स्तरीय कहानी उत्सव के विजेता विद्यार्थियों और शिक्षकों को पुरस्कृत किया गया। विद्यार्थियों में प्रथम पुरस्कार खरगोन जिले के श्री भूपेन्द्र यादव, द्वितीय उज्जैन जिले के शुभम चौधरी और तृतीय पुरस्कार सीहोर जिले की कुमारी एलिना को दिया गया।
शिक्षकों में प्रथम पुरस्कार बड़वानी जिले की कुमारी नेहा दुबे, द्वितीय पुरस्कार रायसेन जिले के श्री प्रदीप सोनी और तृतीय पुरस्कार दतिया जिले के श्री नीरज जैन को दिया गया। कहानी उत्सव में प्राथमिक विद्यालय बेहरामपुर (खरगोन) के विजेता छोटे से बच्चे श्री भूपेन्द्र यादव ने “धरती टूटने वाली है” कहानी आकर्षक तरीके से सुनाई।
कार्यक्रम में बस्ती में वाचनालय शुरू करने वाली भोपाल की कुमारी मुस्कान अहिरवार का सम्मान किया गया। स्कूलों में बाल सभाओं के दौरान सुनाई गई रचनाओं के संकलन की पुस्तक ‘गुल्लक’ काविमोचन किया।
जूनियर मैथ्स ओलम्पियाड के विजेता रीवा की कुमारी मोनिका सिंह और भिण्ड के शिवम जैन तथा जूनियर साँईस ओलम्पियाड के विजेता रीवा के काजू पटेल और रीवा की कुमारी मोनिका सिंह को पुरस्कृत किया।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक प्राप्त करने वाले खिलाड़ियों श्री हिमांशु तंवर (जूडो), कुमारी शिवानी बारिया (वूशु), कुमारी रजनी पुष्पक (आर्चरी), कुमारी किरण मीना (कराते) को सम्मानित किया। कार्यक्रम में शाला सिद्धि कार्यक्रम के लिये प्रतीक स्वरूप धार जिले की शासकीय प्राथमिक विद्यालय कागदीपुरा की ओर से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का संकल्प प्रस्तुत किया गया।
खेल प्रोजेक्ट के तहत रूचिकर पाठ्यक्रम तैयार करने के लिये किये जा रहे कार्यक्रम के तहत प्रतीक स्वरूप पाँच शिक्षकों को लेपटॉप प्रदाय किये गये। आईआईटी मुम्बई और कानपुर तथा आईडिया कम्पनी के सहयोग से यह प्रोजेक्ट क्रियान्वित किया जायेगा।
मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रम में प्रणाम पाठशाला – विद्यालय उपहार योजना के पोर्टल का शुभारंभ किया। इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी नागरिक स्कूल चयनित कर उपहार दे सकता है। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने इस पोर्टल के माध्यम से स्कूल चयनित कर एक हजार 200 किताबें उपहार स्वरूप दीं।
कार्यक्रम में सेवानिवृत्त भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी तथा आईआईटी मुम्बई की विजिटिंग फेकल्टी श्रीमती अमिता शर्मा, बड़ी संख्या में बच्चें और शिक्षक भी उपस्थित थे। अंत में आभार प्रदर्शन राज्य शिक्षा केन्द्र के संचालक श्री लोकेश जाटव ने किया।