बच्चों की बीमारियों की पहचान के लिये– घर-घर दस्तक

बच्चों की बीमारियों की पहचान के लिये– घर-घर दस्तक

भोपाल :——– प्रदेश में बाल मृत्यु दर के प्रमुख कारणों को दृष्टिगत रखते हुए स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं के सामुदायिक विस्तार के लिये दस्तक अभियान शुरू किया गया है।

यह अभियान स्वास्थ्य एवं महिला बाल विकास विभाग के सहयोग से प्रदेशभर में चलाया जा रहा है। इसमें पाँच वर्ष से छोटे बच्चों वाले परिवारों के घर पर आशा, एनएनएम और आँगनबाड़ी कार्यकर्ता के संयुक्त दल द्वारा 31 जुलाई तक दस्तक दी जायेगी।

दस्तक अभियान का उद्देश्य पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में प्रमुख बाल्यकालीन बीमारियों की सामुदायिक स्तर पर सक्रिय पहचान द्वारा त्वरित प्रबंधन किया जाना है, जिससे बाल मृत्यु दर में वांछित कमी लाई जा सके।

शासन द्वारा स्वास्थ्य एवं पोषण सेवाओं के विस्तार के लिये साक्ष्य आधारित रणनीति पर विशेष बल दिया गया है। एसआरएस-2016 के अनुसार प्रदेश में पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर 55 प्रति 1000 जीवित जन्म है। इसके प्रमुख कारणों में बाल्यकालीन दस्त रोग एवं निमोनिया है और कुपोषण एवं एनीमिया अन्तर्निहित कारण हैं।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 68.9 प्रतिशत बच्चे एनीमिक एवं 9.2 प्रतिशत बच्चे गंभीर कुपोषित हैं। समुचित स्तनपान द्वारा शिशु मृत्यु दर में लगभग 22 प्रतिशत कमी लाना संभव है। राज्य में लगभग 81 प्रतिशत महिलाओं द्वारा संस्थागत प्रसव का लाभ लेने पर भी केवल 35 प्रतिशत नवजात शिशुओं को ही माँ पहला गाढ़ा पीला दूध का लाभ मिल रहा है।

अभियान की प्रमुख गतिविधियों में बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान कर प्रबंधन एवं रेफरल, बच्चों ने शैशव एवं बाल्यकालीन निमोनिया की त्वरित पहचान कर प्रबंधन एवं रेफरल, बच्चों में बाल्यकालीन दस्त रोग के नियंत्रण के लिये ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी समझाईश और प्रत्येक घर में ओआरएस पहुँचाना, गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान कर रेफरल एवं प्रबंधन, छ: माह से पाँच वर्ष तक के बच्चों में गंभीर एनीमिया की सक्रिय स्क्रीनिंग एवं प्रबंधन, बच्चों में दिखाई देने वाली जन्मजात विकृतियों की पहचान, नौ माह से पाँच वर्ष तक के सभी बच्चों को विटामिन-ए अनुपूरण, गृहभेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना, समुचित शिशु एवं बाल आहार पूर्ति व्यवहार को बढ़ावा, एसएनसीयू एवं एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन तथा विगत छ: माह में बाल मृत्यु की जानकारी हासिल करना शामिल है।

अभियान में प्रदेश के सभी 5 वर्षीय बच्चों तक सामुदायिक पहुँच बनाकर दस्तक दल द्वारा गंभीर कुपोषण, गंभीर बीमारी, गंभीर एनीमिया, दस्त एवं निमोनिया से ग्रस्त बच्चों की सक्रिय पहचान की जायेगी। साथ ही, शिशु एवं बाल आहार-पूर्ति व्यवहारों को बढ़ावा, हाथ धुलवाई एवं ओ.आर.एस. बनाने की विधि का प्रदर्शन तथा कम वजन बच्चों की उचित देखभाल के लिये सामुदायिक समाझाईश दी जायेगी। अभियान में बीमार बच्चों का उपचार, जटिल गंभीर कुपोषित बच्चों का प्रबंधन, गंभीर एनीमिक बच्चों में रक्ताधान तथा दस्त रोग एवं निमोनिया की रोकथाम की जायेगी। इस के लिए दस्तक मॉनीटरिंग टूल का निर्माण विभाग द्वारा किया गया है।

वर्ष 2018-19 दस्तक अभियान के प्रथम चरण में अब तक 1,02,55,435 बच्चों की सक्रिय स्क्रीनिंग की जा चुकी है। अभियान के विगत चरण में 63.40 लाख बच्चों की स्क्रीनिंग की गई, जिसमें से 8883 गंभीर कुपोषित सह चिकित्सकीय जटिलता वाले बच्चों को पोषण पुनर्वास केन्द्र में भर्ती कर उपचारित किया गया। गंभीर एनीमिया से ग्रसित 1206 बच्चों को रक्ताधान किया गया।

गंभीर निमोनिया से ग्रसित 1213 तथा डायरिया से ग्रसित 1412 बच्चों का उपचार किया गया। अभियान के दौरान 9 माह से 5 वर्ष के 53.66 लाख बच्चों को विटामिन-ए की खुराक पिलाई गई। लगभग 25.58 लाख बच्चों के परिवारों को शिशु एवं बाल आहार पूर्ति, हाथ धुलाई, दस्त प्रबंधन आदि के संबंध में समझाईश दी गई।

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