फाइजर टीके के आयात पर काम जारी

फाइजर टीके के आयात पर काम जारी

बिजनेस स्टैंडर्ड ——— अमेरिकी फार्मा कंपनी फाइजर के पास जुलाई से टीके उपलब्ध होने के संकेत के बाद सरकार और कंपनी मिलकर कोविड टीके के यथाशीघ्र आयात के लिए काम कर रही है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने गुरुवार को यह जानकारी दी। फाइजर के क्षतिपूर्ति अनुरोध पर भी सरकार विचार कर रही है। पॉल ने कहा ‘हम उनके अनुरोध की समीक्षा कर रहे हैं। हम लोगों के व्यापक हित में और गुण-दोष के आधार पर फैसला लेंगे। अब तक कोई फैसला नहीं हुआ है।’

उन्होंने कहा कि सरकार ने अन्य देशों में विनिर्मित सुव्यवस्थित टीकों के परीक्षण की जरूरत में छूट देने के प्रावधानों में संशोधन किया है और दवा नियंत्रक के पास मंजूरी के लिए किसी भी विदेशी विनिर्माता का कोई आवेदन विचाराधीन नहीं है। पॉल ने कहा ‘हमें यह बात समझने की जरूरत है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर टीके खरीदना स्टॉक में पड़ी वस्तु खरीदने के समान नहीं होता है।

वैश्विक स्तर पर टीकों की आपूर्ति सीमित है और सीमित स्टॉक आवंटित करने में कंपनियों की अपनी प्राथमिकताएं, सुनियोजित योजना और मजबूरियां हैं। वे अपने मूल के देशों को भी तरजीह देते हैं, जैसे हमारे अपने टीका विनिर्माताओं ने हमारे लिए बिना किसी झिझक के किया है।’ संवाददाता सम्मेलन में पॉल ने इस बात की भी पुष्टि की कि फाइजर ने न केवल भारत में, बल्कि अपने मूल देश अमेरिका सहित सभी देशों में क्षतिपूर्ति की मांग की है।

पॉल टीका प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह के प्रमुख भी हैं। उनके इस बयान से कई मुद्दों पर सरकार का रुख भी स्पष्ट हुआ है। इसमें वह बात भी शामिल है कि क्या सरकार विदेशों से पर्याप्त टीकों की खरीद कर रही है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि केंद्र ने राज्यों के प्रति अपनी जिम्मेदार त्याग दी है।

पॉल ने कहा कि सरकार फाइजर के टीके की कोल्ड-चेन की आवश्यकताओं जैसे तथ्यों पर भी चर्चा कर रही है। हाल ही में फाइजर ने कहा था कि वह केवल केंद्र सरकारों और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रमों में लगाए जाने वाले अधिराष्ट्रीय संगठनों को ही कोविड-19 के टीके की आपूर्ति करेगी।

हाल की खबरों के अनुसार फाइजर केवल वर्ष 2021 में ही भारत को पांच करोड़ इंजेक्शन देने के लिए तैयार है, लेकिन वह महत्त्वपूर्ण विनियामक छूट चाहती है, जिसमें क्षतिपूर्ति भी शामिल है। स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने 24 मई को एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा था कि फाइजर और मॉडर्ना दोनों की ऑर्डर बुक ज्यादातर वक्त में भरी हुई हैं और यह उनके पास उपलब्ध अतिरिक्त मात्रा पर निर्भर करता है कि वे सरकार को मिलेंगे। अग्रवाल ने कहा कि वे भारत को कितनी आपूर्ति कर सकते हैं, इस आधार पर सरकार राज्य स्तर पर टीके की आपूर्ति सुनिश्चित करेगी और सुविधा प्रदान करेगी।

पॉल ने कहा कि केंद्र सरकार वर्ष 2020 के मध्य से ही सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय टीका विनिर्माताओं के साथ लगातार लगी हुई है। उन्होंने कहा कि फाइजर, जेऐंडजे और मॉडर्ना के साथ कई दौर की बातचीत हो चुकी है। सरकार ने उन्हें भारत में अपने टीकों की आपूर्ति और विनिर्माण कराने के लिए सभी सहायता देने की पेशकश की है। हालांकि ऐसा नहीं है कि उनके टीकों की मुक्त आपूर्ति उपलब्ध हो।

टीके के बाद एंटीबॉडी जांच की जरूरत नहीं

नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल ने गुरुवार को कहा कि लोगों को टीका लगाने के बाद ऐंटीबॉडी जांच कराने की जरूरत नहीं है क्योंकि यह प्रतिरोधक क्षमता जांचने का केवल एक उपाय है, और मध्यम से दीर्घावधि में टीके की कोशिका आधारित प्रतिरोधक प्रतिक्रिया देखी जाती है जो ज्यादा अहम है और इसमें जांच की उच्च स्तर की प्रणाली की जरूरत होती है।

पॉल इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि कुछ लोगों में टीके की दो खुराक लेने के बाद भी ऐंटीबॉडी नहीं बनी है। उन्होंने कहा कि कोवैक्सीन की बूस्टर खुराक के बारे में जांच जारी है। पॉल ने भारत में कोविड-19 की स्थिति पर संवाददाता सम्मेलन के दौरान कहा, ‘जब भी हमें यह अंदाजा लगता है कि किसी टीके में बूस्टर खुराक की जरूरत है तो इसकी सूचना दी जाएगी।’

उन्होंने यह भी कहा कि ऐंटीबॉडी समय के साथ कम होती है और इसकी मात्रा एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में उनके पिछले संक्रमण के आधार पर अलग-अलग हो सकती है। पॉल ने कहा, ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य उपाय के तौर पर हम अपनी सुरक्षा का स्तर बढ़ा रहे हैं। हम टीकाकरण से ही सुरक्षित होंगे।’ टीके की बरबादी के आंकड़ों पर विभिन्न राज्यों द्वारा एतराज जताने के बारे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि ये आंकड़े राज्य खुद ही दर्ज करते हैं और इसे टीके की बरबादी को कम करने के लिए फीडबैक के तौर पर लिया जाना चाहिए।

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