फर्जी खबरों के प्रसार के मामले में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई

फर्जी खबरों के प्रसार के मामले में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई

** गूगल, फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, और कई छोटे सोशल मीडिया पोर्टलों एवं चैट की सुविधा वाले भुगतान ऐप सरकार से संपर्क साधने की योजना में

*** व्हाट्सऐप को अपना केंद्र स्थापित करना होगा
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बिजनेस स्टैंडर्ड ————– सोशल मीडिया और तकनीकी फर्मों पर सरकार की सख्ती को देखते हुए कई कंपनियों को इसकी आशंका सता रही है कि उनके भारत प्रमुख और वरिष्ठ अधिकारी कंपनी छोड़ सकते हैं। उनका कहना है कि अगर सरकार उनके प्लेटफॉर्म के माध्यम से फर्जी खबरों के प्रसार के मामले में कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों पर आपराधिक कार्रवाई शुरू करने की योजना बनाती है तो शीर्ष अधिकारी कंपनी से किनारा कर सकते हैं।

वैश्विक तकनीकी दिग्गज गूगल, फेसबुक, ट्विटर, लिंक्डइन, और कई छोटे सोशल मीडिया पोर्टलों एवं चैट की सुविधा वाले भुगतान ऐप इस मसले पर सरकार से संपर्क साधने की योजना बना रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार फर्जी खबरों के प्रसार के आरोप में कंपनी के शीर्ष अधिकारियों पर मुकदमा चलाने की योजना न बनाए।

हालांकि अभी यह स्पष्ट नहीं है कि वे साझा मोर्चा बनाकर सरकार से मिलेंगे लेकिन इन फर्मों की सार्वजनिक नीति टीम सरकार के साथ लंबी बातचीत की तैयारी कर रही हैं।

एक टेक फर्म की वरिष्ठ सार्वजनिक नीति अधिकारी ने कहा, ‘हम लगातार सरकार के अधिकारियों के संपर्क में हैं। हम उन्हें बताना चाहते हैं कि कंपनियां फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए कदम उठा रही है और इस तरह की सख्त कार्रवाई अनावश्यक है।’

सरकार केवल बड़ी सोशल मीडिया फर्में के लिए ही नहीं बल्कि चैट की सुविधा वाले अन्य पोर्टलों पर भी इस तरह की कार्रवाई करने की योजना बना रही है। एक अधिकारी ने कहा, ‘कई भुगतान वॉलेट चैट, गेम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म की सुविधा प्रदान करती है, जहां उपयोगकर्ता एक-दूसरे के साथ सूचनाओं को साझा कर सकते हैं। ऐसे में अगर सख्त नियम लागू हुए तो उन्हें भी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।’

अंतर-मंत्रालय समिति ने सिफारिशों की एक सूची सौंपी है, जिसमें दुष्प्रचार या फर्जी खबरों के प्रसार के लिए कंपनी के शीर्ष अधिकारियों पर भी मामला दर्ज करने का सुझाव दिया गया है। सरकार पिछले एक साल से सोशल मीडिया दिग्गज फेसबुक और गूगल को फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की चेतावनी दे रही है।

इस तरह की खबरों से भीड़ द्वारा पीट-पीटकर मार डालने और दंगा भड़काने के कई मामले सामने आए हैं। कंपनियों का दावा है कि इसे रोकने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं और अतिरिक्त कर्मचारियों के साथ ही कृत्रिम बौद्धिकता (एआई) एवं मशील लर्निंग का उपयोग किया जा रहा है लेकिन सरकार इसे नकाफी मान रही है।

अमेरिकी की एक तकनीकी फर्म के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘अगर सरकार इस तरह के सख्त कदम उठाती है तो उनके लिए अपने शीर्ष अधिकारियों को कंपनी में बनाए रखना असंभव हो जाएगा। हम फर्जी खबरों के प्रसार को रोकने के लिए हरसंभव उपाय अपना रहे हैं। लेकिन सरकार हर फर्जी खबरों के मामले में अगर मैसेंजर पर निशाना साधने लग जाए तो देश में परिचालन करना काफी कठिन हो जाएगा।’

आईटी मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार सरकार चाहती है कि सभी सोशल मीडिया फर्मों की भारत में अपनी टीम हो और वे देश में अपने कार्यालय खोलें। यही वजह है कि फेसबुक की चैट मैसेंजर व्हाट्ऐप ने भारत में अपना परिचालन केंद्र स्थापित करने की तैयारी की है और परिचालन प्रमुख को नियुक्त करने जा रही है।

व्हाट्ऐप भारत में अपना भुगतान प्लेटफॉर्म व्हाट्सऐप पे भी शुरू करने जा रही है। ऐसे में सरकार के साथ टकराव से उसकी मुश्किलें बढ़ सकती है। कंपनी ने व्हाट्ऐप के लिए 100 से 150 सदस्यों की टीम गठित करने की योजना बनाई है।

फिलहाल व्हाट्सऐप का परिचालन सिंगापुर से किया जा रहा है। हालांकि सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर व्हाट्सऐप देश में भुगतान सेवाओं का परिचालन करना चाहती है तो उसे देश में अपना केंद्र स्थापित करना होगा।

व्हाट्सऐप के प्रवक्ता ने कहा, ‘भारत में अपने उपयोगकर्ताओं की सहायता के लिए और देश में निवेश जारी रखने की खातिर हमारी शीर्ष प्राथमिकता स्थानीय स्तर पर शीर्ष अधिकारी नियुक्त करना है जो टीम के गठन में हमारी मदद करेंगे।’

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