- December 21, 2020
फटकार पर स्टेट बैंक का जवाब — बिहार में NPA का प्रतिशत 11.38 :: 17 हजार 258 करोड़ के लोन NPA में
पटना —- बैंक भी नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) से जूझ रहे हैं। वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद की अध्यक्षता में हुई राज्य स्तरीय बैंकर्स कमिटी (SLBC) की बैठक में यह जानकारी सामने आई है। कम लोन बांटे जाने पर मंत्री की ओर से फटकार पर बैंकों ने भी अपनी लाचारी बयां की। बैंकों की तरफ से इस बैठक में बोल रहे स्टेट बैंक के मुख्य महाप्रबंधक ने कहा कि बिहार में NPA का प्रतिशत 11.38 हो गया है, जो काफी ज्यादा है।
राज्य में सभी निजी और सरकारी बैंकों ने कुल एक लाख 51 हजार 933 करोड़ के कर्ज सितंबर 2020 तक बांटे हैं, जिसमें 17 हजार 258 करोड़ के लोन NPA में फंसे हुए हैं। कर्ज के तौर पर बांटी गई इस रकम की न तो रिकवरी हो पा रही है, न ही प्रति महीने किस्त ही मिल रही है।
बैंकों के अनुसार इसमें 104 करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनसे वसूली की आस छोड़ दी है। इसमें साल दर साल बढ़ोत्तरी हो रही है। सबसे ज्यादा कृषि सेक्टर के ऋण में कुल NPA 22% फंसा हुआ है। मध्यम एवं लघु उद्योग और बड़े उद्योगों को दिये गये कर्ज को मिला दिया जाये, तो यह 10% के आसपास है। प्राथमिक सेक्टर में NPA 15.98 प्रतिशत और गैर-प्राथमिक सेक्टर में 1.89 प्रतिशत है। राज्य में सबसे ज्यादा NPA दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक का है, जो करीब 25% का है। दूसरे नंबर पर पंजाब नेशनल बैंक का 23.41% है।
KCC लोन का हाल बुरा
SLBC की इस बैठक में बैंकों की तरफ से साल की तीसरी तिमाही की रिपोर्ट में केसीसी लोन का बुरा हाल सामने आया है। डेयरी क्षेत्र में केसीसी का लक्ष्य 4500 करोड़ था, जबकि केवल 44 करोड़ केसीसी लोन हुए हैं।
मछलीपालन के क्षेत्र में 2500 करोड़ का केसीसी लोन का लक्ष्य रखा गया था, जबकि केवल 2 करोड़ केसीसी लोन हुए हैं।
मुर्गीपालन के क्षेत्र में 2211 करोड़ केसीसी लोन देना था, लेकिन इसमें 41 करोड़ का ही केसीसी लोन हो सका है।
साल 2020-21 में कुल 51,658 एजुकेशनल लोन देने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन लक्ष्य का 41.90 फीसदी ही एजुकेशन लोन हो सका।
बैठक में पहली बार शामिल हुए वित्तमंत्री
SLBC की बैठक में आज भी वही हुआ, जो बीते कई सालों से होता आ रहा है। अगर कुछ बदला था, तो वो ये कि इस बार बैठक की अध्यक्षता वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद कर रहे थे, जबकि इससे पहले वित्त मंत्री के तौर पर सुशील कुमार मोदी इसकी अध्यक्षता करते रहे थे। इसके अलावा बैठक में कुछ नहीं बदला। न बैंकों की तरफ से दिये जा रहे आंकड़े और ना सरकार की तरफ से कही जा रहीं बातें।
सिंचाई भवन के अधिवेशन भवन में आयोजित इस बैठक में जो आंकड़े सामने आये, उससे साफ हो गया कि आखिर क्यों योजना पर योजना आने के बावजूद बिहार की अर्थव्यस्था पटरी पर नहीं आ रही है। SLBC की अपनी पहली बैठक में वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद ने बैंकों को जो निर्देश दिये वो हैं:
बैंक ज्यादा से ज्यादा शाखा और ATM खोलें
आत्मनिर्भर स्व-निधि योजना के तहत स्ट्रीट वेंडर्स को लोन देने पर जोर दें
कृषि क्षेत्र में केसीसी को ऑनलाइन करें, जिससे ट्रैकिंग सही से हो
प्रखंड स्तर पर बैंकों की कामकाज की भी समीक्षा गंभीरता से हो
प्रत्येक पंचायत में सीएससी शुरू की जाए ।