• February 12, 2021

प्राध्यापकों को पढऩे-पढ़ाने की जगह सीखने-सीखाने की नीति

प्राध्यापकों को पढऩे-पढ़ाने की जगह सीखने-सीखाने की नीति

चंडीगढ़— हरियाणा राज्य उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय, सिरसा में आयोजित सेमिनार में सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राध्यापकों को पढऩे-पढ़ाने की जगह सीखने-सीखाने की नीति पर कार्य करने की आवश्यकता है।

भारत केन्द्रित नई शिक्षा नीति यह अवसर उपलब्ध करा रही है। नई शिक्षा नीति का महत्वपूर्ण कार्य आत्मनिर्भरता की अवधारणा को साकार करना है। आत्मनिर्भरता के लिए योजनाएं बनाने का उल्लेख पहली बार भारत की नवीन शिक्षा नीति में किया गया है। विद्यार्थी को आत्मनिर्भर बनाने और आत्मनिर्भर बनने की शुरुआत मानसिकता के बदलने से होती है और इस कार्य में प्राध्यापक महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं।

प्रोफेसर कुठियाला ने ‘आत्मनिर्भरता में अध्यापक की भूमिका’ विषय पर बतौर मुख्यातिथि बोलते हुए कहा की उच्च शिक्षा परिषद आत्मनिर्भरता की अवधारणा को साकार करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। इस प्रयास में अब तक 17 बैठकें राज्य के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों और अधिकारियों के साथ हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि जिन विद्यार्थियों ने बारहवीं के बाद महाविद्यालय में प्रवेश लिया है, उनसे प्राध्यापकों को तीन बार संपर्क करना है। पहली बार के संपर्क में विद्यार्थियों को विषय की जानकारी देना है।

दूसरी बार में आत्मनिर्भरता के उपायों को बताना है और तीसरी बार में उन्हें सफल उद्यमियों से वार्ता करवानी है ताकि युवा शक्ति को सही दिशा प्रदान कर राष्ट्र का विकास सुनिश्चित किया जा सके। उन्होंने विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों से आग्रह करते हुए कहा कि ज्ञान के साथ जीवन जीने की कला भी विद्यार्थियों को सिखाना है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अजमेर सिंह मलिक ने कहा कि विश्वविद्यालय आत्मनिर्भरता के लिए हरसंभव प्रयास कर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों में प्रतिभा की कमी नहीं है। विद्यार्थियों को श्रेष्ठ वातावरण उपलब्ध कराने का प्रयास किया जा रहा है। चौधरी देवीलाल विश्वविद्यालय सिरसा द्वारा स्नातक स्तर से ही उद्योग जगत की मांग के अनुसार पाठयक्रम तैयार करवाने के उद्देश्य से कार्यशालाओं का आयोजन गत माह करवाया गया है ।

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