प्रदेश के जन-भागीदारी मॉडल से मिली कोरोना नियंत्रण में अपार सफलता

प्रदेश के जन-भागीदारी मॉडल से मिली कोरोना नियंत्रण में अपार सफलता

भोपाल : —– मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण से पार पाने के और प्रदेशवासियों को सुरक्षा कवच प्रदान करने के लिए जन-भागीदारी का जो मॉडल अपनाया गया, वह अन्य राज्यों के लिए चर्चा का विषय बन गया। इसमें मुख्य रूप से कोरोना सक्रंमण के उपचार की व्यवस्थाओं के साथ जन-जागरूकता संबंधी कार्यों ने महती भूमिका निभाई। कोरोना की पहली और दूसरी लहर से‍निपटने में रही कमियो को दूर करते हुए संभावित तीसरी लहर के प्रति अधिक सर्तकता और सजगता बरती जा रही है। इन प्रयासों में चिकित्सकीय अधो-संरचनाओं का व्यापक विस्तार के साथ ऑक्सीजन के नवीन प्लांट लगाकर मध्यप्रदेश को आत्म-निर्भर बनाया जा रहा है।

प्रदेश में कोविड-19 महामारी पर नियंत्रण रखने का परिणाम है कि आज की स्थिति में नाम मात्र के 131 सक्रिय कोविड-19 मरीज़ हैं। नागरिकों ने कोविड-19 अनुकूल व्यवहार को पूरी तरह से अपनाया है। सोशल डिस्टेंसिंग, घर से बाहर निकलने पर मास्क का प्रयोग और बार-बार साबुन अथवा सेनेटाइजर से हाथों को सेनेटाइज करने को अब नागरिकों ने अपनी आदत बना ली है। टीकाकरण महाअभियान से आई जागरूकता का परिणाम है कि प्रदेश देश में पहली डोज़ के 3 करोड़ 8 लाख टीके लगवाने के बाद कुल लक्ष्य के 50 प्रतिशत से अधिक का टीकाकरण कर देश में अव्वल है। इसके साथ ही कोविड-19 के लक्षणों के दिखने पर अब लोग डरते नहीं है। फीवर क्लीनिक पहुँचकर टेस्ट करवाते हैं। पॉजिटिव होने पर उपचार भी लेते हैं।

प्रदेश में स्वास्थ्य सुविधाओं में पर्याप्त विस्तार किया गया है। विस्तार का यह क्रम लगातार जारी है। कोरोना के उपचार में सर्वाधिक कारगर ऑक्सीजन को स्वास्थ्य केन्द्रों तक निर्बाध रूप से उपलब्ध कराने के लिये अब ऑक्सीजन की परिवहन पर निर्भरता नहीं रहेगी। प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन के 189 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट बनाये जा रहे हैं। अब तक 57 ऑक्सीजन प्लांट को स्थापित कर शुरू कर दिये गये हैं। सितम्बर अंत तक सभी 189 प्लांटस् को प्रारंभ कर दिया जायेगा। पीएसए ऑक्सीजन प्लांट सभी चिकित्सा महाविद्यालय और जिला चिकित्सालय में स्थापित किये जा रहे हैं। इनमें 11 चिकित्सा महाविद्यालय और 83 प्लांट जिला चिकित्सालयों में लगाये जा रहे हैं। सिविल अस्पतालों में 48, सामुदायिक संस्थाओं में 41 और अन्य शासकीय स्वास्थ्य संस्थाओं में 6 पीएसए ऑक्सीजन प्लांट स्थापित किये जा रहे हैं। ऑक्सीजन उत्पादक प्लांट के साथ ही हवा से ऑक्सीजन बनाने वाले पोर्टेबल उपकरण ऑक्सीजन कंसेट्रेटर को भी अस्पतालों में पहुँचाया जा रहा है।

प्रदेश के शासकीय चिकित्सा महाविद्यालयों में अभी 14 हजार 13 ऑक्सीजन सर्पोटेड बेडस् है। इनको बढ़ाकर सितंबर अंत तक 17 हजार 827 किया जायेगा। चिकित्सा महाविद्यालयों में वर्तमान में उपलब्ध 3,776 आईसीयू/एचडीयू बेडस् को सितंबर तक बढ़ाकर 4,771 किये जाने पर कार्य किया जा रहा है। आईसीयू बेडस् में बच्चों के लिये 320 आईसीयू (पीआईसीयू) बेडस् 20 जिला चिकित्सालयों में उपलब्ध हैं। सितंबर तक सभी 51 जिला चिकित्सालयों में 520 बच्चों के आईसीयू (पीआईसीयू) बेडस् किये जाएंगे। इसके साथ ही मेडिकल कॉलेज में 380 अतिरिक्त नवीन पीआईसीयू सितंबर 2021 तक बनाये जायेंगे।

लोक स्वास्थ्य संस्थाओं में वर्तमान में 992 पीडिएट्रिक ऑक्सीजन सर्पोटेड बेड और मेडिकल कॉलेज में 300 अतिरिक्त पीडिएट्रिक बेड स्थापित करने की प्रक्रिया प्रचलित है। इसे सितंबर तक पूरा किया जायेगा।

कोविड-19 महामारी संक्रमण के तेजी से बढ़ने पर और गंभीर स्थिति से संक्रमित मरीज के उपचार में वेंटीलेटर का उपयोग होता है। वर्तमान में स्वास्थ्य संस्थाओं में 2112 वेंटीलेटर उपलब्ध हैं। इनमें अतिरिक्त 161 वेंटीलेटर केवल पीडिएट्रिक और नवजात शिशुओं के लिये उपलब्ध हैं।

शहरी और ग्रामीण क्षेत्र में कोविड संक्रमित मरीजों को और अन्य बीमारियों के मरीजों को अस्पताल लाने के लिये चिकित्सकीय उपकरणों और स्टाफ से लैस 108 एम्बूलेंस की संख्या भी बढ़ाई जा रही है। अभी 600 से अधिक एम्बूलेंस संचालित हैं। अक्टूबर से 1002 एम्बूलेंस संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसी प्रकार प्रदेश में संचालित 820 जननी एक्सप्रेस की संख्या को अक्टूबर में बढ़ाकर 1050 करने का भी निर्णय राज्य सरकार द्वारा लिया गया है। स्वास्थ्य संस्थाओं में अन्‍य चिकित्स्कीय उपकरणों, इन्फ्रॉस्टक्चर डेवलपमेंट और अन्य कार्यों को तेजी से पूरा करने के लिये भी प्रयास जारी हैं।

कोविड-19 महामारी से बचाव में टीकाकरण का महत्वपूर्ण योगदान है। प्रारंभिक अध्ययनों से यह तथ्य उभरकर सामने आये हैं कि जिनको कोविड-19 के टीके की केवल पहली डोज ही लग जाती है, उनके संक्रमित होने की संभावना कम होती है और यदि संक्रमित हो भी जाएँ, तो गंभीर रूप से बीमार नहीं होते। टीके की दोनों डोज़ लग जाने पर कोविड संक्रमण की संभावना न के बराबर रह जाती है और बीमार रहने पर जान जाने का जोखिम नगण्य होता है। कोविड-19 टीका महामारी से बचाव के लिये सबसे जरूरी है। इसको ध्यान में रखते हुए 16 जनवरी 2021 से शुरू हुए टीकाकरण में पहले और दूसरे चरण में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, एफएलडबल्यू, 60 साल से अधिक उम्र और 45 से 59 वर्ष आयु के कोमार्विड को टीके लगाये गये।

धीरे-धीरे राज्य को प्राप्त होने वाली वैक्सीन की उपलब्धता को बढ़ाया गया। अधिक से अधिक नागरिक टीका लगवाने आएँ, इसके लिये 18 वर्ष से अधिक आयु के सभी नागरिकों को टीका लगवाने के लिये पात्र घोषित किया गया। नागरिकों को कोविड-19 टीके लगवाने के लिये जागरूक करने कोविड-19 टीकाकरण महाअभियान शुरू किया गया। कोविड-19 टीकाकरण के सत्रों की संख्या को बढ़ाया गया। इसका परिणाम हुआ की दिन टीकाकरण महा अभियान के पहले दिन सर्वाधिक 17 लाख से अधिक टीके लगाने का राज्य ने रिकॉर्ड बनाया और इसके बाद प्रदेश 2 करोड़ टीके लगाने का रिकॉर्ड बनाकर अब 3 करोड़ से अधिक लोगों को पहली डोज़ लगाने में कामयाब हो चुका है। यह कुल लक्षित संख्या का 50 प्रतिशत से अधिक है। प्रदेश में अब तक 3 करोड़ 68 लाख 10 हजार 619 लोगों को टीके लगाये गये हैं। इनमें 59 लाख 28 हजार 345 लोगों को टीके की दोनों डोज़ लगायी जा चुकी हैं। अब तक 3 करोड़ 8 लाख 82 हजार 274 लोगों को टीके की पहली डोज़ देकर कोरोना महामारी से सुरक्षा कवच दिया जा चुका है। टीकाकरण का यह अभियान 100 प्रतिशत टीकाकरण होने तक जारी रहेगा।

प्रदेश का स्वास्थ्य विभाग कोविड-19 की संभावित तीसरी लहर का मुकाबला करने के लिये सभी संभव उपाय कर रहा है। अब तक कोरोना महामारी नियंत्रण में है। महामारी के समाप्त होने तक राज्य सरकार संकल्पित है। कोरोना पर नियंत्रण बनाये रखने के लिये सभी संभव प्रयास कर रही है। राज्य सरकार के प्रयासों में नागरिकों का सहयोग, महामारी से बचाव में प्रदेश की देश में सराहना हो रही है।

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