- April 21, 2016
पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौता वैश्विक जलवायु सहयोग में एक मील का पत्थर है। इस सम्मेलन के कार्यान्वयन को आगे बढ़ाने तथा बराबरी और साझा लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियो और संबंधित अपनी-अपनी क्षमताओं के सिद्धांतों की विभिन्न राष्ट्रीय परिस्थितियों के आलोक में पहचान करने कार्य करता है।
पेरिस समझौते की मुख्य विशेषताएं इस प्रकार हैं-
A. पेरिस समझौता विकासशील देशों की विकास की अनिवार्यताओं को स्वीकार करता है। यह समझौता विकास के लिए विकासशील देशों के विकास के अधिकारों तथा पर्यावरण के साथ विकास को मान्यता देता है।
B. पेरिस समझौता स्थायी जीवनशैली और विकसित देशों के साथ खपत के साथ सतत प्रणाली के महत्व को पहचानता है और अपनी प्रस्तावना में ‘जलवायु न्याय’ की महत्ता को मानता है।
C. यह समझौता सम्मेलन के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करता है लेकिन अलग-अलग जिम्मेदारियों और क्षमता के सिद्धांतों को दर्शाता है।
D. इस समझौते का उद्देश्य यह सुनिश्चित करता है कि यह समन केन्द्रित नहीं है और इसमें अन्य महत्वपूर्ण तत्व जैसे अनुकूलनता, नुकसान और क्षति, वित्त, प्रौद्योगिकी, क्षमता निर्माण और पारदर्शिता तथा सहयोग शामिल है।
E. 2020 से पूर्व कार्रवाई भी निर्णय का एक हिस्सा है। विकसित देश वाले पक्षों ने एक परे रोडमैप के साथ अपनी वित्तीय सहायता के स्तर को बढ़ाने की गुजारिश की है, ताकि उन्हें 2020 तक सभा और अनुकूलन के लिए लगातार बढ़ रहे अनुकूलन वित्त द्वारा मौजूदा स्तर को बढ़ाने के लिए 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर संयुक्त रूप से जुटाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके।
भारत ने सम्मेलन के दौरान सिद्धांतों और प्रावधानों के आधार पर एक मजबूत और टिकाऊ जलवायु समझौते की वकालत की थी। पेरिस समझौता भारत की सभी महत्वपूर्ण चिंताओं और उम्मीदों का समाधान करता है।