- April 24, 2016
पेरिस समझौता : कोई भी ‘कार्रवाई छुट्टी ’ नहीं हो सकती: जावडेकर
उन्होंने कहा कि यह समझौता ‘निर्वहनीय जीवन शैली’ के लाभों को रेखांकित करता है। उन्होंने बताया कि भारत उत्सर्जन सघनता में 35 प्रतिशत तक की कमी लाएगा, गैर जीवाश्म ईंधनों से ऊर्जा उत्पादन के लिए 40 प्रतिशत क्षमता का निर्माण करेगा, 2.5 मिलियन टन के अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करेगा और निर्बलता को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूलता को बढ़ाने में निवेश करेगा।
इस अवसर पर श्री जावडेकर के दिए गए भाषण का मूल पाठ निम्नलिखित है: इस पृथ्वी दिवस पर हमने इतिहास का निर्माण किया है। पेरिस समझौते पर 171 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं। यह सामूहिक बुद्धिमत्ता की विजय है।
मैं महासचिव, फ्रांस के राष्ट्रपति एवं विश्व के नेताओं को बधाई देता हूं।
यह समझौता स्पष्ट रूप से ‘निर्वहनीय जीवन शैली’ के लाभों को रेखांकित करता है। हमें अतिशय उपभोग को रोकना होगा। अगर हम इसी प्रकार आगे बढ़ते रहे तो हमें तीन ग्रहों की आवश्यकता होगी, जबकि हमारे पास केवल एक ही ग्रह है।
यह ‘जलवायु न्याय’, जो कि पेरिस समझौते के प्रस्तावना में प्रतिष्ठापित है, हमारे विजन को संचालनगत बनाने के लिए एक प्रेरणा है। इसका पूर्ण उपयोग यह सुनिश्चित करेगा कि विकाशील विश्व एवं निर्धन लोग वर्तमान जलवायु व्यवस्था के तहत न्याय पा सकें।
हम दोहराते हैं कि भारत:
गैर जीवाश्म ईंधनों से ऊर्जा उत्पादन के लिए 40 प्रतिशत क्षमता का निर्माण करेगा
2.5 मिलियन टन के अतिरिक्त कार्बन सिंक का निर्माण करेगा
निर्बलता को कम करने तथा जलवायु परिवर्तन के लिए अनुकूलता को बढ़ाने में निवेश करेगा।
भारत ने पहले ही सफलता अर्जित करने की राह पर कदम आगे बढ़ाने की राह पर प्रारंभ कर दिया है।