• August 19, 2018

पूरे विश्व में वाजपेयी ने हिन्दी का गौरव बढाया -ग्रोवर

पूरे विश्व में वाजपेयी ने  हिन्दी का गौरव बढाया -ग्रोवर

रोहतक— सहकारिता मंत्री मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा है कि दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी देश के पहले ऐसे प्रधानमंत्री थे जिन्होंने राष्ट्रभाषा हिन्दी व हिन्दुस्तान का पूरे विश्व में गौरव बढ़ाने का काम किया। श्री ग्रोवर गांव बोहर में आयोजित श्रद्धाजंलि सभा में उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

ग्रोवर ने कहा कि गठबन्धन की राजनीति का नेतृत्व करते हुए अटल बिहारी वाजपेयी ने देश की जनता को पांच साल के लिए गैर कांग्रेसी सरकार दी और उन्होंने मूल्यों पर आधारित राजनीति की।

वाजपेयी के समय की पुरानी याद को ताजा करते हुए मनीष कुमार ग्रोवर ने कहा कि उन्होंने एक साधारण कार्यकर्ता के रूप में भाजपा में कार्य किया और वे एक कार्यकर्ता की तरह नारे लगाया करते थे कि देश का नेता कैसा हो- अटल बिहारी जैसा हो।

अनुसूचितजाति एवं वित्त विकास निगम के निदेशक सुखबीर चन्दौलिया व रमेश बोहर ने भी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देते हुए उनके जीवन पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर महाराज जोगीनाथ, सुखविन्द्र, महेंद्र प्रधान, परशुराम सरोहा, सतेंद्र सौलंकी, सुदेश कुमार, राजेश सैनी व जोगेंद्र सैनी आदि उपस्थित थे।

*** कानूनी जागरुकता व साक्षरता कार्यक्रम***

मुकदमों के शीघ्र निपटारे का अधिकार के संबंध में सिविल अस्पताल कलानौर के प्रांगण में सैशन जज संत प्रकाश एवं सीजेएम श्रीमती सुकृति गोयल के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवाएं प्राधिकरण रोहतक के पैनल के वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप द्वारा एक निशुल्क कानूनी जागरुकता व साक्षरता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता कश्यप ने बताया कि श्रीमती मेनका गांधी के मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि संविधान के अनुच्छेद 21 हर नागरिक को यह मौलिक अधिकार देता है कि कानून द्वारा निश्चित की गयी प्रक्रिया के अनुसार ही किसी व्यक्ति को जीवन से या मुक्ति से वंचित किया जा सकता है और यह प्रक्रिया संगत पूर्ण, उचित और निष्पक्ष होनी चाहिए न कि कोई अनुच्छेद 21 से मिलती जुलती प्रकिया हो।

यदि कोई व्यक्ति ऐसी प्रक्रिया से अपनी स्वतंत्रता खो देता है जो संगत पूर्ण , उचित व निष्पक्ष नहीं है, ऐसी स्थिति में अनुच्छेद 21 के तहत उसके मौलिक अधिकार का खंडन माना जायेगा। कोई भी प्रकिया जो शीघ्र मुकदमा सुनिश्चित नहीं करती संगत पूर्ण, उचित और निष्पक्ष नहीं कहलाई जा सकती।

इस संबंध में माननीय न्यायालय को यह अधिकार है कि यदि अभियोग पक्ष बार बार अवसर मिलने पर भी अपने गवाहों को पेश नहीं कर पाता है तो न्यायालय सीआरपीसी के तहत अभियोग को समाप्त कर सकता है तथा सर्वोच्च न्यायालय का कहना है कि यदि पुलिस निर्धारित समय में चार्जशीट दाखिल नहीं कर पाती है तो यह माना जा सकता है कि गिरफ्तार किये गये व्यक्ति के खिलाफ कोई मुकदमा नहीं है, सरकार ऐसे केसों को वापिस ले सकती है तथा सीआरपीसी की धारा 468(2)के तहत ऐसे व्यक्ति को तुंरत छोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत दिये गये उनके मूलभूत अधिकारों का हनन भी होगा।

अनुच्छेद 21 के अनुसार यदि मृत्युदंड को पूरा करने में देरी हो जाती है तो यह अनुच्छेद 21 का खंडन है। इसलिए मृत्युदंड को आजीवन कारावास की सजा में बदला जा सकता है।

इस अवसर पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजबीर कश्यप, वरिष्ठ चिकित्सा अधिकारी डॉ. कमला वर्मा, डॉ. रमन, पीएलवी माया देवी, ब्लाक एजूकेटर जसबीर रंगा, स्टाफ नर्स शर्मिला, सीमा, सुपरवाईजर दिनेश तथा चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रामकिशन, पिंकी, कविता, बबलू व मोहित आदि उपस्थित रहे।

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