- January 5, 2021
पुलिस सोर्स का दावा–कोटक महिन्द्रा बैंक के ब्रांच मैनेजर की राइटिंग
दैनिक भास्कर —– आखिर वो कौन है, जो सरकारी फंड से 11 करोड़ 73 लाख 12 हजार 721 रुपया गलत तरीके से RTGS करना चाहता था? इस दुस्साहस के पीछे कौन है? क्योंकि इस बड़े कांड की साजिश रचने के पीछे अकेले पकड़ा गया शुभम कुमार गुप्ता शामिल नहीं है।
यह बात तय हो गई है कि इस साजिश के पीछे एक-दो नहीं, बल्कि कई लोग शामिल हैं। भास्कर की पड़ताल और पटना पुलिस की शुरुआती जांच में यह साफ हो चुका है कि शुभम गुप्ता तो सिर्फ एक मोहरा है। इसके पीछे कई लोग हैं।
इनमें 4 लोगों के नाम गांधी मैदान थाना की पुलिस की इंवेस्टिेगेशन में सामने आए हैं। जिसे भास्कर आपके सामने रख रहा है। सौरभ, सागर, अमृत और सिद्धार्थ। ये चारों वो नाम हैं, जो फर्जीवाड़ा कर करोड़ों रुपए BS ENTERPRISES के अकाउंट में RTGS कर ट्रांसफर करना चाहते थे।
सबसे बड़ी चीज है कि इस फर्म के नाम का जो बैंक अकाउंट है, उसका पता अब तक फर्जी ही साबित हुआ है। ऐसा लग रहा है कि फर्जीवाड़े की साजिश बहुत पहले से चल रही थी। सोमवार को जब जिला भू-अर्जन पदाधिकारी पंकज पटेल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि इस खेल के पीछे कौन लोग हैं? सरकारी खजाने में सेंधमारी करने के पीछे कौन-कौन लोग हैं? इसके बारे में वो भी जानना चाहते हैं। पुलिस की जांच और पड़ताल पर वो भी नजर रख रहे हैं।
कौन है सुमित?
इस पूरे मामले में सुमित नाम का एक शख्स सामने आया है। ये कौन है? इस बारे में पूरी जानकारी देने से हर कोई बच रहा है। दरअसल, शनिवार को जब शुभम गुप्ता पकड़ा गया था तो उसने पुलिस के सामने कुछ राज खोले। उसने बताया कि जिन लोगों ने उसे RTGS फॉर्म थमाया था, उनलोगों ने उसे बताया था कि जब ब्रांच के अंदर जाना तो तुम्हें वहां सुमित जी मिलेंगे। पूछकर उन्हें ही यह फॉर्म दे देना। अब सवाल यही है कि आखिर ये सुमित है कौन? कहीं बैंक का कोई स्टाफ तो नहीं है?
मिलीभगत की है आशंका
जिस तरह की साजिश सामने आई है, उसे देख जांच कर रही पुलिस टीम के होश उड़े हुए हैं। पुलिस सोर्स का दावा है कि इस खेल में शातिरों के गैंग को सरकारी कर्मचारी मदद कर सकते हैं। बगैर जिला भू-अर्जन कार्यालय में पदस्थापित कर्मचारियों के इतनी बड़ी साजिश रचा जाना संभव नहीं है। दावा यहां तक किया जा रहा है कि इस कांड में कोटक महिन्द्रा बैंक के स्टाफ भी मिले हो सकते हैं।
काफी हद तक मिलती है मैनेजर की राइटिंग
शुभम गुप्ता जब RTGS फॉर्म के साथ पकड़ा गया था तो उस पर जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के सिग्नेचर के साथ ही एग्जीबिशन रोड कोटक महिन्द्रा ब्रांच के मैनजर अभिषेक राजा के सिग्नेचर के साथ ही Ok to proceed लिखा हुआ था। मामला सामने आने के बाद यह दावा किया गया था कि शातिरों ने जिला भू-अर्जन पदाधिकारी के साथ ही ब्रांच मैनेजर की भी फर्जी सिग्नेचर किए थे, लेकिन पुलिस सोर्स का दावा है कि वो राइटिंग ब्रांच मैनेजर की राइटिंग से काफी हद तक मिलती-जुलती है। जब यह बात सामने आई तो भास्कर की टीम मैनेजर से मिलकर बात करने एग्जीबिशन रोड ब्रांच पहुंची थी, पर मिले नहीं। ब्रांच में मौजूद दूसरे अधिकारी ने कहा कि अभिषेक राजा अभी मौजूद नहीं हैं। फिर देर शाम को उनके मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया, काफी देर तक कॉल वेटिंग में रहा, पर बात नहीं हो पाई।
नहीं मिला BS ENTERPRISES का एड्रेस
BS ENTERPRISES का बैंक अकाउंट ICICI बैंक के बोरिंग रोड ब्रांच में है। इसके प्रोपराइटर निपेंद्र कुमार पांडेय हैं। हाउस नम्बर 197, गोला रोड के एड्रेस पर यह बैंक अकाउंट खोला गया था। भास्कर की पड़ताल में यह एड्रेस अधूरा मिला। गोला रोड में यह एड्रेस मिला ही नहीं। एड्रेस का पता लगाने के लिए उस एरिया के पोस्टमैन की भी सहायता ली गई, पर वो एड्रेस हाथ नहीं लगा। अब सवाल उठता है कि क्या ICICI बैंक ने बगैर एड्रेस वेरिफाई किए ही करंट अकाउंट खोल दिया था? इस बारे में ब्रांच मैनेजर से बात की गई, पर कुछ भी कहने से उन्होंने अपनी असमर्थता जाहिर कर दी।
6 घंटे बाद क्यों दी सूचना
पुलिस ने शुभम गुप्ता का मोबाइल फोन जब्त कर रखा है। उसके कांटैक्ट्स को खंगाला जा रहा है। कॉल डिटेल्स निकाले जा रहे हैं। शनिवार को उसने किन-किन लोगों से बात की? इसके डिटेल्स खंगाले जा रहे हैं। बैंक के अंदर और बाहर के सीसीटीवी फुटेज को भी चेक किया जा रहा है। पुलिस अधिकारी इस मामले में अभी अधिकारिक तौर पर तो कुछ भी कहने से बच रहे हैं, लेकिन एक सवाल यह जरूर उठा रहे हैं कि आखिर ब्रांच मैनेजर ने करीब 6 घंटे बाद पुलिस को सूचना क्यों दी? जबकि, शुभम शनिवार को दोपहर बाद तीन बजे के करीब ही पकड़ा गया था। कुछ देर में ही फर्जीवाड़े की बात सामने आ गई थी। फिर भी पुलिस को समय पर जानकारी नहीं दी गई।