- April 3, 2018
पुनर्विचार याचिका—-SC/ST एक्ट –हिंसा और तांडव
नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट द्वारा SC/ST एक्ट में किए बदलाव के बाद केंद्र सरकार की ओर से दायर की गई पुनर्विचार याचिका में कहा गया है कि SC/ST एक्ट से जुड़ी जिस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है उसमें सरकार पार्टी नहीं थी.
केंद्र ने कहा है कि यह कानून संसद ने बनाया था.
केंद्र ने अपनी याचिका में कहा है कि कानून बनाना संसद का काम हैं.
SC/ST एक्ट पुनर्विचार याचिका पर दो जजों की बेंच सुनवाई करेगी.
———– पुनर्विचार याचिका—– – सरकार का मानना हैं कि सुप्रीम कोर्ट 3 तथ्यों के आधार पर ही कानून को रद्द कर सकती है. ये तीन तथ्य है, कि अगर मौलिक अधिकार का हनन हों, अगर कानून गलत बनाया गया हो.
इसके साथ ही केंद्र ने यह भी दलील दी कि किसी भी कानून को सख़्त बनाने का अधिकार भी संसद के पास ही हैं. केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में कहा है कि समसामयिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कैसा कानून बने ये संसद या विधानसभा तय करती है.
क्या था कोर्ट का फैसला
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति/जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम 1989 में संशोधन करते हुए कई अहम फैसले लिए थे. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि इस एक्ट के तहत आरोपों पर तुरंत गिरफ्तारी नहीं होगी. गिरफ्तारी से पहले आरोपों की जांच जरूरी है और केस दर्ज होने से पहले भी जांच की जाएगी. इस जांच को डीएसपी स्तर का अधिकारी करेगा और गिरफ्तारी से पहले इसमें जमानत सभव हो सकेगी. सीनियर अफ़सर की इजाज़त के बाद ही गिरफ़्तारी हो सकेगी.
दलित संगठनों का विरोध———— एससी- एसटी के कथित उत्पीड़न को लेकर तुरंत होने वाली गिरफ्तारी और मामले दर्ज किए जाने को प्रतिबंधित करने का शीर्ष न्यायालय का आदेश इस कानून को कमजोर करेगा.
—— इस कानून का लक्ष्य हाशिये पर मौजूद तबके की हिफाजत करना है———-
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क) सुप्रीम कोर्ट ने SC/ST एक्ट में था बदलाव किया
ख) एक्ट के तहत फौरन गिरफ्तारी पर लगाई थी रोक
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