पाटलिपुत्र के नाम के अनुरूप पाटलिपुत्र विष्वविद्यालय का काम भी ऐतिहासिक होना चाहिये – मुख्यमंत्री

पाटलिपुत्र के नाम के अनुरूप पाटलिपुत्र  विष्वविद्यालय का काम भी ऐतिहासिक होना चाहिये  – मुख्यमंत्री

पटना———–:- मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय, पटना का उदघाटन रिमोट के जरिये शिलापट्ट का अनावरण कर किया।

आयोजित समारोह में मुख्यमंत्री ने नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का ‘लोगो’, स्मारिका पत्र (पाटलिपुत्र प्रज्ञा), वेबसाइट और न्यूज लेटर का भी लोकार्पण किया। उदघाटन समारोह में छात्राओं द्वारा स्वागत गान एवं विश्वविद्यालय गीत (भागीरथी के तट पर बहती अविरल ज्ञान की धारा) प्रस्तुत की गयी।

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से संबंधित लघु वृत्तचित्र भी मुख्यमंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया गया। उदघाटन समारोह का विधिवत उद्घाटन मुख्यमंत्री ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति श्री गुलाबचंद राम जायसवाल ने मुख्यमंत्री को पुष्प-गुच्छ एवं अंगवस्त्र भेंटकर उनका अभिनंदन किया।

समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा किमेरे कार्यकालमें कई विश्वविद्यालयों
की स्थापना हुयी है। मगध विश्वविद्यालय को दो हिस्सों में बांटकर पाटलिपुत्र विश्व-विद्यालय की स्थापना की गयी है। पाटलिपुत्र एतिहासिक स्थल है।

उन्होंने कहा कि इतिहास को हमेशा महत्व देना चाहिए। कुछ लोग पटना का नाम बदलकर पाटलिपुत्र करने की बात हमसे कहा करते थे लेकिन नाम बदलने से अच्छा है कि हमें पाटलिपुत्र का महत्व समझकर उसकी इज्जत करनी चाहिए।

नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय से जुड़े लोगों से अपील करते हुए उन्होंने कहा कि पाटलिपुत्र का नाम जितना ऐतिहासिक है, काम भी उतना ही ऐतिहासिक होना चाहिए। यह विश्वविद्यालय काफी बड़ा है इसलिए इसे आगे बढ़ाना आपकी ही जिम्मेदारी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का कंसेप्ट हमारे पास है। इस
सन्दर्भ में हम कुलाधिपति से चर्चा करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए जो भी मदद की
आवश्यकता होगी, राज्य सरकार करेगी। हम परंपरा से थोड़ा अलग हटकर काम करते हैं और इसी कड़ी में चाणक्य लॉ यूनिवर्सिटी, चन्द्रगुप्त इंस्टिट्यूट ऑफ मैनेजमेंट और आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है।

उन्होंने कहा कि चाणक्य के नाम पर लॉ यूनिवर्सिटी और चन्द्रगुप्त के नाम पर जब मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की स्थापना हो रही थी, तब कुछ लोगों ने यह कहना शुरू किया कि अर्थशास्त्र के जानकार चाणक्य के नाम पर लॉ यूनिवर्सिटी का नाम और चन्द्रगुप्त के नाम पर मैनेजमेंट इंस्टिट्यूट की स्थापना समझ से परे है।

चन्द्रगुप्त की खासियत थी कि उनके शासनकाल में चाणक्य को कभी गुस्सा नहीं आया। चाणक्य अर्थशास्त्री के साथ-साथ विधिवेत्ता भी थे। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय गंगा के तट पर है और हमलोगों का समर्पण गंगा के प्रति काफी ज्यादा है। बिहार में गंगा के तट पर कई विश्वविद्यालय स्थापित हैं।

उन्होंने कहा कि बनारस से हमारा गहरा लगाव है और बक्सर को बनारस से सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए हमने केंद्र से आग्रह भी किया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि अपनी चिंता छोड़ शिक्षकों को पूरी तन्मयता के साथ छात्र-छात्राओं
का ख्याल रखना चाहिए। शिक्षकों की चिंता हमारी चिंता है लेकिन छात्रों के प्रति शिक्षकों का समर्पण भाव होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जो भी समस्याएं हैं, उसके लिए शिक्षा विभाग को कहा जा चुका है।

उन्होंने कहा कि सात निश्चय के अंतर्गत पूरे बिहार में युवाओं के लिए पॉलिटेक्निक कॉलेज, मेडिकल कॉलेज, जी0एन0एम0 संस्थान,आई0टी0आई0, महिला आई0टी0आई0 और पारा मेडिकल संस्थान स्थापित किए जा रहे हैं। सभी सरकारी विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में मुफ्त वाई-फाई की सुविधा मुहैया करायी गयी है ताकि छात्र-छात्राएं इन्टरनेट का इस्तेमाल कर सकें।

उन्होंने कहा कि 2005 में जब हमने कमान संभाली थी, तब सर्वें में यह बात सामने आई थी कि 12.5 प्रतिशत बच्चे स्कूलों से बाहर हैं। गरीब माता-पिता अपनी बच्चियों को पांचवीं क्लास से आगे नहीं पढ़ाते थे, जिसको ध्यान में रखते हुए पोशाक योजना और साइकिल योजना की शुरुआत की गयी ताकि बच्चियाॅ आगे की पढ़ाई कर सके।

उन्होंने कहा कि 12वीं कक्षा के बाद शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र कम हुआ करते थे, जिसके कारण ग्रॉस एनराॅलमेंट रेशियो हमारा 13 प्रतिशत था, जबकि राष्ट्रीय औसत 24 प्रतिशत। हमने ग्रॉस एनराॅलमेंट रेशियो को 30 प्रतिशत से भी अधिक बढ़ाने का निष्चय किया, इसके लिए स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत की गयी, जिसके माध्यम से छात्रों को 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई करने के लिए 4 प्रतिशत ब्याज दर पर 4 लाख रुपये ऋण देने का प्रावधान है।

ट्रांसजेंडर, लड़कियों और दिव्यांगों को 12वीं कक्षा से आगे की पढ़ाई जारी रखने के लिए 1 प्रतिशत ब्याज दर पर 4 लाख रूपये का ऋण मुहैया कराया जा रहा है। पूर्व से मिलने वाली छात्रवृति एवं अन्य सुविधाओं के अतिरिक्त स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना का लाभ सभी छात्रों को दिया जा रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्वविद्यालय का नाम पाटलिपुत्र है इसलिए शान्ति, सद्भाव, मैत्री एवं एक-दूसरे के प्रति सम्मान का भाव होना चाहिए। विश्वविद्यालय में सिर्फ किताबी ज्ञान से समुचित विकास नहीं होगा, इसके लिए आपसी प्रेम और भाईचारा भी आवश्यक है। कुछ लोग तनाव का माहौल पैदा करने में लगे रहते हैं।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की जमीन के लिए आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है, इसके लिए चन्द्रगुप्त इंस्टीच्यूट ऑफ मैनेजमेंट में जगह दी जाएगी। इस सन्दर्भ में निर्णय भी लिया जा चुका है। मेरी रूचि शिक्षा और उसकी गुणवत्ता में है। उन्होंने कहा कि आज कल बहुत सुनने को मिलता है लेकिन 2005-06 में शिक्षा की क्या स्थिति थी बिहार में, यह किसी से छिपी नहीं है।

वर्ष 2005-06 में शिक्षा का बजट मात्र 4,261 करोड़ रुपये हुआ करता था, वह बढ़कर 2017-18 में 25,252 करोड़ और 2018-19 में 33 हजार करोड़ रुपये पर पहुँच गया है। बिहार में अब कुल बजट का 20 प्रतिशत से अधिक शिक्षा पर खर्च किया जा रहा है ताकि एक-एक व्यक्ति साक्षर और शिक्षित बन सके। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों का ख्याल रखना शिक्षकों का धर्म है। बिहार का इतिहास काफी गौरवशाली रहा है और मुझे पूरा भरोसा है कि गौरव की उस ऊॅचाई को हासिल करने में नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का जबर्दस्त सहयोग मिलेगा।

इस अवसर पर सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया, जिसका मुख्यमंत्री
सहित आगत अतिथियों ने आनंद उठाया। मुख्यमंत्री को प्रतीक चिह्न स्वरूप नवसृजित
पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय का लोगो भेंट किया गया।

समारोह को उप मुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी, शिक्षा मंत्री श्री कृष्णनंदन प्रसाद वर्मा, नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के कुलपति श्री गुलाबचंद राम जायसवाल एवं नवसृजित पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति श्री गिरीश कुमार चैधरी ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर भोजपुरी गायक एवं सांसद श्री मनोज तिवारी, शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव श्री आर0के0 महाजन, कई विश्वविद्यालयों के कुलपति, उप-कुलपति, प्रति-कुलपति सहित प्राचार्यगण, शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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